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मामूली कहासुनी के चलते दोस्त ने ही खून के एहसान को खंजर घोंप किया कलंकित

🔹कुछ दिनों पहले रिंकू ने आरोपित की पत्नी को दिया था खून,

🔹हिंदू संगठनों का आरोप जय श्री राम के नारे लगाने की वजह से हुईं हत्या,

Delhi: देश की राजधानी दिल्ली में बीते 48 घंटों में दो हत्या हुईं हैं पहली हत्या 32 वर्षीय तरन्नुम उर्फ हिना की हुई है और दूसरी हत्या रिंकू शर्मा की हुई है, इन दोनों हत्या में एक ही समानता है कि दोनों के हत्यारोपी ‘दोस्त’ ही हैं, हिना की हत्या सुमित नाम के उस शख्स ने कर दी जिससे वह प्यार करती थी और शादी करना चाहती थी, लेकिन इसके लिये सुमित तैयार नहीं था, वह उससे छुटकारा पाना चाहता था,,

तो वहीं रवि की हत्या का आरोप भी उसके दोस्तों पर ही हैं, दिल्ली पुलिस के मुताबिक़ कुछ दिन पहले सचिन और आकाश ने रोहिणी में एक रेस्टोरेंट खोला था जो लॉकडाउन में बंद हो गया, वहीं पर जाहिद ने भी रेस्टोरेंट खोला था, 10 फरवरी को सचिन ने जाहिद से कहा कि तुम्हारी वजह से मेरा रेस्टोरेंट बंद हुआ इसी बात को लेकर झगड़ा हुआ और सचिन ने जाहिद को थप्पड़ मार दिया।

फिर गोलू ने सचिन को थप्पड़ मार दिया बीच मे सचिन की तरफ से रिंकू आ गया इसके बाद मौके से जाहिद गोलू चले गए। रात साढ़े 10 बजे जाहिद और उसके साथी रिंकू के घर आए और उसे चाकू मार दिया जिसके बाद अस्पताल में उसकी मौत हो गई पुलिस ने मोहम्मद दानिश, तसुद्दीन, मोहम्मद इस्लाम, जाहिद और मोहम्मद महताब को रिंकू शर्मा की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया है।

आरोपी

वरिष्ठ पत्रकार वसीम अकरम त्यागी लिखते हैं कि इंसान की हत्या को किसी भी तरह से तर्कसंगत नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन रिंकू शर्मा की हत्या ने एक बार फिर मीडिया और राजनीतिक दलों के गिद्धों को लाशों पर नफरत की राजनीति करने का मौक़ा दे दिया है। अब भाजपा, मीडिया समेत तमाम हिंदुवादी संगठनों के लोग इस रिंकू की हत्या पर नफरत फैलाने में लग गए हैं।

नए-नए पोस्टर घुमाए जा रहे हैं किसी में लिखा है कि रिंकू की हत्या जय श्री राम बोलने की वजह से हुई, किसी में कहा जा रहा है कि वह राम मंदिर के लिये चंदा मांग रहा था इसलिये उसकी हत्या हुई। दिल्ली समेत देशभर में हर दिन दर्जनों हत्याएं होतीं है, कितना अच्छा होता कि रिंकू शर्मा की लाश पर नफरत के शौलों को हवा देने वाले संगठन उन तमाम हत्याओं के खिलाफ मुखर होते?

हिंदू संगठनों के द्वारा लगाये गये पोस्टर

मंगोलपुरी में जिसकी हत्या हुई उसका नाम रिंकू शर्मा है, लेकिन हत्यारोपी ‘दूसरे’ समुदाय से हैं। दिल्ली के ही किशनगढ़ इलाक़े में जिस महिला की हत्या हुई, उसके आरोपी भी ‘दूसरे’ समुदाय से हैं। समाज क्या करे? क्या तरन्नुम के समाज वाले भी हाथों में तख्तियां लेकर सड़कों पर उतर आएं और ऐसे ही माहौल में नफरत फैलाएं जैसे रिंकू शर्मा के नाम पर फैलाई जा रही है? लेकिन तरन्नुम के समाज के पास ‘बजरंगदल’ जैसा संगठन नहीं है, कपिल मिश्रा जैसा ‘शेर’ नहीं है, और कुंठित मीडिया भी नहीं है।

इसलिये तरन्नुम की लाश पर नफरत की राजनीति नहीं होगी, ट्विटर पर ट्रेंड नहीं चलेगा, ह्वाटसप यूनीवर्सिटी पर नफरत की ‘पाठशाला’ भी नहीं चलेगी। इसलिये इस मामले में पुलिस ‘अपना काम’ करेगी, उसकी नीयत और कार्यशैली पर सवाल भी खड़ा नहीं किया जाएगा।

पूरी घटना पर दिल्ली पुलिस का क्या कहना है

लेकिन रिंकू शर्मा की हत्या का कारण रेस्टोरेंट से शुरु हुए विवाद को लेकर बर्थडे पार्टी की मार पीट बताने वाली पुलिस पर पूरा दबाव बनाया जाएगा, कि वह बजरंगदल के मनमाफिक़ बयान दे। लाशों पर नफरत की सियासत ऐसे ही होती है, गिद्धों का पेट भी तभी भरता है जब सामने लाश पड़ी हो। अख़बार ज़हर परोसा, टीवी वाले भड़काएगा, क्योंकि वर्तमान भारतीय समाज की भूख इसी से शांत होती है, इसलिये ज़हर खाईए, ज़हर ओढ़िये, ज़हर बांटिए, ज़हर बोलिए, ज़हर फैलाईए क्योंकि जॉम्बी जो बनना है।

Wasim Akram Tyagi ✍️

Wasim Akram Tyagi

मुझे ये समझ नही आ रहा कि ये जस्टिस माँगा किस लिए जा रहा है? क्या हत्यारे पुलिस की पकड़ से बाहर है? क्या उन्हें गिरफ्तार नही किया गया? क्या उनकी गिरफ्तारी के विरोध में तिरंगा यात्रा निकाली जा रही है? क्या गिरफ़्तारी के विरोध में किसी थाने का घेराव किया गया? क्या कोई मंत्री, विधायक, सांसद हत्यारों के समर्थन में आया? क्या कोई हत्यारों को अपराधमुक्त बता रहा है? मतलब कैसा इंसाफ चाहिए आपको थोड़ा समझा दीजिये….

इससे पहले क्या किसी हत्यारे को पकड़ते ही फांसी पर लटका दिया गया था? तुरन्त सज़ा सुना दी गयी थी? बिना चार्जशीट फाइल किये, बिना सबूत जुटाये, बिना अदालती कार्यवाही के फैसले हो गए थे?
2019 के सरकारी आंकड़ों की अगर बात की जाये तो देश में प्रतिदिन 79 हत्या और 88 रेप होते है ये वो डाटा है जो सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज है, इसमें अनरजिस्टर्ड केसेज़ कितने होंगे वो आप खुद अनुमान लगा लीजिये।

अब मेरा सवाल आप तमाम नफरती चिलगौज़ो से है कि ये हिन्दू मुस्लिम एंगल निकलते ही क्यों तुम पाजामे के अंदर की नारंगी कच्छी को मुंह पर पहन लेते हो?
हत्या तो हत्या होती है लेकिन तुम्हारा खून उन हत्याओं पर क्यों नही उबलता जो हिन्दू,हिन्दू की करता है या मुस्लिम, मुस्लिम की करता है? तुम्हारा खून तब भी नही खोला था जब मंदिर के पुजारी ने हिन्दू बहन का बलात्कार करके उसकी हत्या कर दी थी? तुम्हारा खून तब भी नही खोला था जब एक बूढ़ा तुम्हारी बहनो से मालिशे करा रहा था उनका शोषण कर रहा था? तुम्हारा खून तब भी नही खोला था जब सेंगर हिन्दू बहन का रेप करके लगातार उसे डरा धमका के उसके परिवारवालों की हत्याएं करा रहा था?

क्या हिन्दू हिन्दू को मारे तो दर्द कम होता है? क्या परिवारवालों को सब्र आ जाता है कि अपने ही धर्म वालों ने मारा है? नहीं ना
तो तुम इतने सलेक्टिव क्यों हो विरोध करने में? क्यों ज़रा सा भी मुस्लिम एंगेल देखते ही तुम्हारा जोश तुम्हारा धर्म तुम्हारा विरोध सब उबाल मारने लगता है।
मैं किसी भी प्रकार की हत्या का विरोध करती हूँ और रिंकू शर्मा के परिवारवालों के इस दुःख की घड़ी में खुद को शामिल मानती हूँ। किसी भी नफरत, मनमुटाव या रंजिश का अंत हत्या नही हो सकती क्योकि आप एक इंसान को नही मारते एक परिवार को मार देते है ज़िंदा माँ बाप को भी बच्चों के साथ मार देते है।

मैं तुम लोगो की साम्प्रदायिक सोच और गिद्धों की तरह देश की सुख शांति को नोचने को आतुर इस प्रवत्ति पर अपनी तरफ से बेशुमार लानत भेजती हूँ और तुम सारे नफरत के बीमारों को सलाह देती हूँ कि जल्द से जल्द अपना इलाज कराए ताकि देश को तुम जैसे आदमखोरों से निजात मिल पाए जो बस किसी भी तरह देश के माहौल में हिन्दू मुस्लिम का ज़हर घोल कर यहां के अमनो सुकून में खलल डालना चाहते है।

हम हक़परस्त है और हमेशा मज़लूम के पक्ष में ही खड़े रहेंगे चाहे उसका धर्म मज़हब कुछ भी हो

Huma bijnori

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