▪️समाजसेवी व शोशल एक्टिविस्ट zakir ali Tyagi का झलका दर्द योगी सरकार के अफसरों के तानाशाही रवैये से परेशान हो कर यूपी छोड़ने पर कर रहे हैं विचार,
▪️योगी आदित्यनाथ सरकार में दो बार हो चुके हैं गिरफ्तार,
Zakir ali Tyagi ने फेसबुक पर लिखते हुए कहा कि मैं रात 10 बजे मेरठ जेल से 16 दिन बाद मेरी रिहाई हो गई है,मैं जल्द यूपी छोड़ रहा हूँ,यदि ये ही हाल रहा तो वो दिन दूर नही जब यूपी पुलिस मुझ पर गौकशी के बाद
हत्या,ब्लात्कार,लूटमार,चोरी और आर्म्स एक्ट के तहत भी फ़र्ज़ी मुक़दमे दर्ज़ कर जेल में सड़ा सकती है,मुझे नही मालूम कि अचानक मेरे साथ क्या हुआ,बस इतना जानता हूँ कि तारीख़ बदलते ही 25 अगस्त की रात 12:30 PM के करीब मैं Ravish Kumar का प्राइम टाइम शो को अपने लैपटोप पर यूट्यूब में देख रहा था अचानक से बैठक का दरवाज़ा खटखटाया जाता है,
मैंने दरवाज़ा खोला तो लगभग 20 पुलिसकर्मियों ने पूरे घर को घेर रखा था,सादी वर्दी में पुलिसकर्मियों ने मुझसे मेरा नाम पूछा,नाम ज़ाकिर बताने पर बोले कि अच्छा तू ही है वो योगी-मोदी पर लिखने वाला!मैं सादी वर्दी में खड़े 2 पुलिसकर्मियों ने मुझे अपने कब्ज़े में ले लिया,और बाक़ी पुलिसकर्मी घर मे घुस गये,अंदर घुसे पुलिसकर्मी मेरे घर की तलाशी ले रहे थे और घर की महिलाओं को गालियां दे रहे थे,तलाशी के बाद सभी पुलिसकर्मी घर से बाहर आये और लाठी डंडो और हथियारों के साये में मुझे अपनी गाड़ियों तक ले गये!
गाड़ी स्टार्ट हुई मुझे गिरफ्तार कर गांव से बाहर निकली तो जंगल मे गाड़ियों को अचानक से रोका गया,मैं थोड़ा घबराया कि शायद मेरा एनकाउंटर करने की तैयारी है,लेकिन कुछ देर बाद गाड़ियों को फ़िर से स्टार्ट कर दूसरे थाने की सीमा में घुस गई तो थोड़ी घबराहट बढ़ने की लगी क्योंकि मुझे मालूम नही था कि ये किस थाने या जिले की पुलिस की है,थोड़ा सोचा कि अगर ये पुलिस किला परीक्षितगढ़ थाने की है तो किठौर थाना क्षेत्र के रास्ते से क्यो ले जा रही है?लेकिन कुछ देर बाद रोड पर गाड़ी चढ़ने के बाद किला थाने की तरफ़ को मुड़ गई,और थाने में पहुंचे तो मेरी जेबों की तलाशी लेते हुए गालियां देते हुए मुझे हवालात में डाल दिया गया,एक पुलिसकर्मी ने मुझसे मालूम किया कि क्या करता है,
मैंने जवाब दिया कि सुभारती यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता का छात्र हूँ,गालियों की रफ़्तार बढ़ गई,काफ़ी गालियां मिली लेकिन मैं तो अफ़सोस में था कि किस जुर्म में हवालात में रखा गया है?क्या मैं सत्ता के हर ग़लत कार्य,नीति का आलोचक हूँ इसलिए तो किसी मामले में हिरासत में नही लिया गया हूँ?
लेकिन मैं खुद से ही सवाल जवाब करता रहा क्योंकि हवालात के पास ना तो कोई पुलिसकर्मी करने वाला था ना जवाब देने वाला था, जैसे तैसे रात गुज़र गई, सुबह 11 बजे ग्राम प्रधान तालिब चौधरी और गांव के कुछ गैर मुस्लिम लोग थाने पहुंचे,ग्राम प्रधान तालिब चौधरी मुझसे मेरे अंकल के साथ हवालात के पास मिलने पहुंचे तो उन्होंने मुझे मामले से अवगत कराया कि तुझे गौकशी के आरोप में गिरफ्तार किया है और खेत मालिक यानी शिक़ायतकर्ता भी आये है,
शिकायकर्ता जाट समुदाय से है उन्होंने इंस्पेक्टर से मुझे उक्त घटना में बेक़सूर बता छोड़ देने की अपील की थी लेकिन इंस्पेक्टर मिथुन दीक्षित ने उनकी एक तक न सुनी और त्वरित एक नाबालिग बच्चे ज़ुबैर के साथ गौकशी के आरोप लगा चालान बना दिया, गांव के लोगों को गांव लौटना पड़ा क्योंकि अब मेरा जेल जाना तय हो चुका था उस गौकशी के मामले में हिन्दू संगठनों ने क़ई प्रदर्शन कर डाले थे,बीजेपी नेताओं के प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए इंस्पेक्टर ने मुझे जेल भेजने की तैयारी कर डाली और 1 झोले में चाकू छुरिया, कुल्हाड़ी मेरे पास पुलिसकर्मियों द्वारा लाई गई और उस झोले पर जबरन मुझसे साइन कराये गये मेरे पूछने पर भी मुझे नही बताया गया कि मेरे साथ ऐसा क्यो और किसके इशारे तथा किस सबूत के आधार पर किया जा रहा है।
ख़ैर दोपहर 1 बजे मुझे और ज़ुबैर को गाड़ी में बिठा कचहरी ले जाया जा रहा था,पंजाब नेशनल बैंक पर बरसों से ड्यूटी करते आ रहे एक बुजुर्ग होमगार्ड भी मुझे कचहरी ले जाने वाली टीम में शामिल था और बार बार दरोगा से कह रहा था कि साब इस लड़के को मैं जानता हूँ इसे जबरन फसाया गया है दरोगा कहता है कि जानता हूँ लेकिन क्या करु इसे इंस्पेक्टर जेल भेज रहा है,जो असली गोकश है उनको रुपये लेकर छोड़ देता है और बेगुनाहों को जेल भिजवा रहा है, मैं थोड़ा खुश हुआ कि दरोगा और पुलिसकर्मी भी मेरे हक़ में बोल रहे है तुरंत मैं दरोगा से पूछता हूँ कि जब आप जानते है तो फ़िर ये गौकश करने वाले हथियार मुझ पर क्यो लगाए जा रहे है तो दरोगा कहता है कि घबरा मत जल्दी छूट जाएगा अदालत सब जानती है कि पुलिस हथियार फ़र्ज़ी ही लगाती है यानी जो हथियार आरोपी से बरामद दिखाये जाते है वो बरामद नही होते बल्कि पुलिस अपने पास से लगाती है और तू तो पत्रकार है जेल से रिहा होने के बाद इंस्पेक्टर के ख़िलाफ़ लिखना, दरोगा मेरी 2017 में हुई गिरफ्तारी के बारे में पूछता है कि क्या क्राइम संख्या बता अपनी, क्या लिखा था जो तू जेल गया था,आख़िर योगी पर क्या लिखा था जो गिरफ्तारी हुई?मैंने दरोगा को सारी गिरफ्तारी की जानकारी दी तो दरोगा बोला कि घबराना मत चार्जशीट बनाऊंगा तो रियायत कर दूंगा।
उसके बाद रास्ते में मेरा मेडिकल कराया गया जिसमें काफ़ी वक़्त लगा और कचहरी पहुंचे तो जज साहब गाड़ी में बैठ रवाना हो रहे थे,1घंटे तक पुलिस की हिरासत में अदालत के सामने खड़ा रहा,5 बज चुके थे,फिर पुलिस वहां से मुझे कचहरी में दूसरी तरफ़ ले जाती है शायद जो जज साहब रवाना हो रहे थे वो दूसरी तरफ़ किसी कमरे में आराम फरमा रहे थे,ना मैंने जज को देखा ना जज ने मुझे देखा,पुलिस हथियारों का झोला जज साहब के कमरे में ले जाती है और लौट जाती है, गाड़ी बिठा फ़िर कोरोना की जांच के लिए हॉस्पिटल ले गई,कोरोना रिपोर्ट का इन्तेज़ार करते रहे 8 बज चुके थे रिपोर्ट आई तो अस्थाई जेल गये और 9:30 बजे जेल में डाल दिया गया।
अदालत में जमानत की अर्जी लगाई गई 1 सितंबर को सुनवाई की तारीख़ मिली, जमानत नही मिली फिर 4 सितंबर को सुनवाई करने के लिए तारीख दी गई, फिर 7 सितंबर तारीख़ मिली तो जमानत याचिका मंज़ूर हुई और बेल मिल गई, रात 9 सितंबर को रात के 10 बजे से 16 दिन बाद रिहाई मिली तो 11 बज घर आया,गांव में मेरी गिरफ्तारी मामले में अज़ीब अज़ीब खुलासे हो रहे है,जिसको मैं अब मीडिया के सामने ही रखूंगा,बाक़ी मैं अब यूपी छोड़ने के लिए मज़बूर हो चुका हूँ क्योंकि मुझे टारगेट कर बिना साक्ष्य के गौकशी के इल्ज़ाम में जेल भेजा गया है जिसके लिए मैं कुछ सामाजिक संगठनों के वकीलों के ज़रियो हाइकोर्ट का रुख करूँगा लेकिन उससे आपको एक अहम जानकारी और दे दूं कि देश का लोकतंत्र, संविधान और हुक्मरान हाइजैक हो चुके है जो कि रिमोट के लिए ज़रिए सत्ताधारी दल के गुंडों के सामने नाच रहे है,ख़ैर पुलिस का शुक्रिया की मेरा एनकाउंटर नही किया गया वरना योगी जी की ठाय ठाय पुलिस रात के अंधेरे में कही भी गाड़ी पलटा सकती थी।
Zakir ali Tyagi
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