ग्रामीण श्रेत्र में अचानक से यदि कोई मीठी मीठी बाते करने लगे रोज रोज आप को सलाम नमस्ते ठोकने लगे तो समझ जाना कि वह प्रधान पद का भावी उम्मीदवार हैं
ग्राम पंचायत चुनाव 2020 में होने जा रहे है एक अनुमान एवं खबरों के अनुसार यह चुनाव अक्टूबर या नवंबर माह में करवाए जा सकते है अनुरोध है चुनाव आयोग की नोटिफिकेशन का इंतज़ार करे
यह ऐसा समय आ गया है की बच्चे से लेकर बूढ़े हर व्यक्ति को चुनावो को लेकर काफी उत्सुकता रहती है और हो भी क्यो न आम जनता हर चुनाव मे बहुत ही महत्वपूर्ण सहयोग रहता है किसी का हारना हो या फिर जितना सब वोटर पर ही रहता है
ग्राम प्रधान का पढ़ा लिखा होना भी बहुत ही जरूरी होता है क्योकि आप एसे ही किसी को भी अपना प्रत्याशी नहीं बना सकते है वैसे ही इस चुनाव को लड़ने के लिए भी अब न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य कर दी गयी हैं।
संभावना यह भी जताई जा रही है कि इस बार के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य व जिला पंचायत सदस्य का चुनाव एक साथ कराया जाएगा इससे चुनाव पर आने वाला खर्च लगभग आधा हो जाएगा।
ग्राम प्रधान चुनावों को लेकर सरकारी मशीनरी में हलचल होने के बाद अब ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधान पद पाने वालो की भी सक्रियता और बढ़ने वाली है
पंचायत चुनाव में प्रधान पद के प्रत्याशियों ने 5-5 लाख तक की राशि पानी कि तरह बहाई जाती है हमारे मेरे स्वयं के सर्वेक्षण से ज़ाहिर होता है कि प्रत्येक मत के लिए 500 से 1500 रुपये तक खर्च किये जाते चांदी के सिक्के मीट की दुकान से फ्री मीट और शराब जमकर बाँटी जाती है।
ग्रामीण मतदाता “उन सभी उम्मीदवारो से पैसा दारु मुर्गा लेते हैं जो उन्हे देते हैं पर वोट उन्हें नहीं देते हैं जो ज़्यादा दावत देते हैं बल्कि ‘अन्य बातों वाद विवादो का ख़्याल’ रखकर देते हैं.
ग्रामीण चुनावों के दौरान कैश और अन्य उपहारों से वोट ख़रीदने की कोशिश पुरानी है. इसका पहला कारण ये है कि ग्रामीण राजनीति में संसद भवन से भी ज़्यादा प्रतिस्पर्धा है
प्रस्तुति———तैय्यब अली