New Delhi: नीरज चोपड़ा टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाले भारत के पहले खिलाड़ी बन गए हैं। उन्होंने 87.58 मीटर जैवलिन थ्रो (भाला फेंक) के साथ भारत की झोली में पहला गोल्ड मेडल डाल दिया। नीरज ने अपने पहले प्रयास में 87.03 मीटर, दूसरे में 87.58 और तीसरे प्रयास में 76.79 मीटर जैवलिन फेंका। इस प्रतिस्पर्धा में दूसरे और तीसरे स्थान पर चेक खिलाड़ी रहे।
🔸कोच ने पहले ही कर दी थी भविष्यवाणी
नीरज चोपड़ा के कोच नसीम अहमद ने प्रतियोगिता वाले दिन कहा था कि इसी वर्ष मार्च में नीरज चोपड़ा ने पटियाला में आय़ोजित इंडियन ग्रां प्री थ्री में 88.7 मीटर थ्री को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिया था। नसीम कहा था कि नीरज लय में हैं और वह यकीनन अपने रिकार्ड को तोड़कर नया कीर्तिमान स्थापित करेंगे
नीरज के कोच कोच नसीम अहमद बताते हैं कि नीरज चोपड़ा आज बड़े एथलीट हैं। बावजूद इसके वो आज भी मेरे सामने कुर्सी पर नहीं बैठते हैं। वो ज्यादा बात नहीं करते हैं लेकिन जब भी कोई बड़ी प्रतियोगिता में खेलने के लिए जाते हैं तो आशीर्वाद जरूर लेते हैं।
मैं उन्हें आशीर्वाद तो देता हूं और उनसे हर बड़ी प्रतियोगिता से पहले गुरुदक्षिणा में मेडल मांग लेता हूं और वो मेडल जीतते ही मुझे उसकी फोटो मैसेज कर देते हैं।
नीरज चोपड़ा कोच रह चुके नसीम अहमद बताते हैं कि, “मैं नीरज का हर मैच देखता हूं लेकिन फिर भी मेरी जीत तब होती है जब मेरे नीरज का मैसेज आ जाता है। यह पल हजारों खिलाड़ियों को तराशने के बाद एक कोच को नसीब होता है।
खेल के लिए नॉनवेज खाना शुरू किया
मैं खुशनसीब हूं कि मैं देश को नीरज चोपड़ा जैसा एथलीट दे पाया। मैंने ओलिंपिक में भी उनसे गोल्ड मेडल मांगा था ..!!”
कभी शाकाहारी रहे नीरज अब अपने खेल की वजह से नॉनवेज भी खाने लगे हैं। खाने की बात चली है तो खिलाड़ी को डायट के हिसाब से चलना ही पड़ता है पर गोलगप्पों को वे अपना पंसदीदा जंक फूड मानते हैं।
उनके लंबे बालों की वजह से सोशल मीडिया पर लोग उन्हें मोगली के नाम से भी जानते हैं. शायद लंबे बालों और फुर्तीलेपन की वजह से। यही फ़ुर्ती नीरज को ओलंपिक तक लेकर आई है। नीरज अभी 23 साल के हैं और उनकी नज़र 2024 के पेरिस ओलंपिक पर है।
🔸नीरज के नाम हैं कई सारे रिकार्ड
नीरज के कोच नसीन अहमद ने बताते हैं कि नीरज के चाचा साल 2011 में उनके पास नीरज को लेकर आए और यह कहा कि यह मेरा भतीजा है जो खा-खाकर मोटा हो रहा है आप इसे भी दौड़ाया करो। मैंने कहा आप स्टेडियम में भेज दिया करें, जिसके बाद नीरज रोज़ आने लगा।
पानीपत का एक और लड़का पैरा एथलीट नरेंद्र था, जोकि मेरे पास हॉस्टल में रहता था। नरेंद्र और नीरज की दोस्ती हो गई इसके बाद वह भी हॉस्टल में रहने आ गया।
नसीम अहमद बताते हैं कि नीरज किसान का बेटा है, इसलिए उसने अपनी मेहनत और जज्बे से इसी साल (2011) ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी का रिकॉर्ड तोड़ दिया, इसके बाद उसने विजयवाड़ा में खेलते हुए अंडर-18 में भी राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था। वह वर्ष 2016 तक मेरे पास रहा।
नीरज चोपड़ा आज बड़े एथलीट हैं, बावजूद इसके वो आज भी मेरे सामने कुर्सी पर नहीं बैठते हैं। वो ज्यादा बात नहीं करते हैं लेकिन जब भी कोई बड़ी प्रतियोगिता में खेलने के लिए जाते हैं तो आशीर्वाद जरूर लेते हैं।
मैं उन्हें आशीर्वाद तो देता हूं और उनसे हर बड़ी प्रतियोगिता से पहले गुरुदक्षिणा में मेडल मांग लेता हूं और वो मेडल जीतते ही मुझे उसकी फोटो मैसेज कर देते हैं ..!!” मुझे फक्र है नीरज की इस कामयाबी पर । नसीम अहमद ( पूर्व कोच नीरज चोपड़ा ओलिंपिक स्वर्ण विजेता )
©Bijnor Express
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