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मुग़ल बादशाह आलमगीर ने क्यों बनाया था बिजनौर की शान नवाब नजिबूदौला को मुग़ल_सेना का सेनापति

New Delhi: दिल्ली का फ़िरोज़ शाह कोटला मस्जिद ये वो जगह है जहां मुग़ल सेनापति इमाद उल मुल्क ने आज ही के दिन 29 नवंबर 1759 को अपने ही मुग़ल बादशाह आलमगीर द्वितीय का क़त्ल करवा दिया ये क़त्ल पानीपत की तीसरी जंग की वजह बनी।

जब मुग़ल बादशाह औरंगजेब का इंतेक़ाल हुआ तो उस वक़्त आलमगीर की उम्र 7 साल थी। आलमगीर के पास सैन्य अनुभव बिल्कुल भी नही था लेकिन वो दूरदर्शी थे। आलमगीर ऐसे वक्त बादशाह बने जब मुग़ल सल्तनत चारो तरफ से घिर चुकी थी एक तरफ निज़ाम और मराठो से ख़तरा था तो दूसरी तरफ अहमद शाह अब्दाली से।

नजिबूदौला का मकबरा

अपनी ताकत बढ़ाने के लिए आलमगीर ने अपनी बेटी का निक़ाह अहमदशाह अब्दाली के बेटे से कर दिया। और नजीबुद्दौला को अपना नया सेनापति बनाया। निजबद्दोला ने फिर से मुग़ल सेना को मज़बूत कर दिया। और आस पास के सूबेदारों और नवाबो को मुग़ल सल्तनत में फिर से जोड़ने लगे। मुग़लो को फिर से उठता देख मराठो और निज़ाम को खतरा महसूस हुआ।

सदाशिवराव भाऊ मराठो के सबसे क़ाबिल सेनापति थे उन्होंने आलमगीर के पुराने सेनापति इमाद-उल-मुल्क को अपनी तरफ मिला लिया दोनों ने आपस मे सन्धि कर ली। इमाद-उल-मुल्क की बादशाह आलमगीर से पहले से ही दुश्मनी थी सिराजुद्दौला की वफ़ात के बाद जब मीर क़ासिम को बंगाल का नवाब बनाया गया तो आलमगीर ने अंग्रेजों का विरोध किया लेकिन सेनापति इमाद-उल-मुल्क ने बादशाह के खिलाफ जाते हुए मीर क़ासिम का समर्थन किया था।

नजिबूदौला का मकबरा

इमाद-उल-मुल्क और सदाशिवराव भाऊ ने मिलकर निज़ाबुद्दोला पर हमला कर दिया 15 दिन तक चले इस जंग में निजाबुद्दोला की हार हुई। इमाद-उल-मुल्क जंग तो जीत गया लेकिन अब उसे डर सताने लगा कि आलमगीर अब अपने समधी अहमदशाह दुर्रानी से मदद मांगेगा। और अगर अब्दाली ने हिंदुस्तान का रुख किया तो खात्मा तय है।

इमाद-उल-मुल्क ने षड्यंत्र रचा बादशाह के पास जाकर बोला आप से कोई पहुचे हुये पीर है मिलना चाहते है और बादशाह को मुलाकात के लिए कोटला फ़तह शाह ले गया और वही पर 29 नवम्बर 1759 को बादशाह आलमगीर का क़त्ल कर दिया।

मुगल बादशाह आलमगीर के कत्ल की खबर सुनते ही मराठे दिल्ली की ओर बढ़ने लगे। इमाद-उल-मुल्क और मराठो ने मिलकर अपना कठपुतली बादशाह दिल्ली की तख्त पर बैठा दिया। आलमगीर के कत्ल के बाद दिल्ली की ये हालत देखकर शाह वलीउल्लाह देहलवी रहमतुल्लाह एलैह ने अहमद शाह अब्दाली को खत लिख दिया। शाह वलीउल्लाह का खत मिलते ही अहमदशाह अब्दाली ने दिल्ली के करीब पहुच रहे मराठो पर हमले की तैयारी शुरू कर दी।

साभार mughal_saltanat

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