▪️विलुप्त हो रही है पौराणिक मालिनी नदी, सिर्फ बरसात के समय होतीं है उफान पर
▪️नजीबाबाद के ग्रामीण क्षेत्रों में बरसात के समय मालिनी नदी बरपाती हैं अपना कहर
Historical information: मान्यता है कि इसी मालिनी नदी के तट पर भगवान राम के भाई भरत का जन्म हुआ था जिनके नाम पर हमारे देश आर्य बर्त का नाम भारत पड़ा,
लगभग 5000 हजार वर्ष पूर्व की प्राचीन और ऐतिहासिक नदी जिसका जलपान करके रजा भरत ने एक अखण्ड भारत वर्ष की स्थापना की थी उस मालिनी का जलस्तर अब विलुप्त हो रहा है
अगर इस नदी का संरक्षण संवर्धन नही हुआ तो इस नदी का महत्त्व यंहा का जनजीवन अंधकारमय के साथ साथ यहाँ का इतिहास इतिहास के पन्नों तक ही सीमट के रह जायेगा
खुलेआम इस नदी को पाट कर अतिक्रमण हो रहा हैं खुलेआम हो रहा कब्जा किसी से छुपा नहीं है लेकिन इस पर नकेल कसने की पहल किसी ने भी नहीं की अब भू माफियाओं के द्वारा नदी कि भूमी को बिना किसी वैध अनुमति के प्लाटिंग करके खुलेआम बेच रहे है
मालिनी नदी पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लाक के गांव मलियाना और वनाली चण्डा मालिनी शिखर पहाड़ियों के मूल भाग से मालिनी का उद्गम स्थल है जो धीरे धीरे बाबा हेमकूट पर्वत का स्पर्श करते हूए अपने ममतामयी दुग्ध रूपी जल से लालन पालन करती हुई कोटद्वार क्षेत्र से नजीबाबाद होते हुए अंत में गंगा में समाहित हो जाती है ऎसा ऐतिहासिक वर्णन प्राप्त होता है
कुछ इसी तरह से मालिनी नदी के तटो पर जमीन कब्जे का खेल चल रहा है राजस्व अमले की मिलीभगत से इस कार्य को अंजाम दिया जा रहा है राजस्व विभाग के जमीनी अमले से भू माफियाओं की इस प्रकार की साठगांठ है कि आम आदमी जहां कार्य कई बार दौड़ने के बाद भी नहीं होता है तो इनका कार्य रात में भी करने के लिए कर्मचारी तैयार बैठे रहते हैं।
पहाड़ी क्षेत्र से निकलने की वजह से इस नदी में रेत व बजरी भारी मात्रा में पाई जाती है, जिसकी वजह से इस नदी में अवैध खनन बड़ी संख्या में किया जाता है, और सरकारी खजाने को भी करोड़ों का चूना लागाया जाता है,
जिन ग्रामीण क्षेत्रों से होकर यह नदी गुज़रती है वहाँ भी इसके साथ अन्याय किया जा रहा हैं, साल के 3 महीने सूखने की वजह से आसपास के किसान नदी के किनारे काटकर इसपर कब्जा कर खेती-बाड़ी शूरू कर देते हैं, जिसकी वजह से बरसात में इस नदी का पानी आसपास के क्षेत्रों में फैल जाता है,
बिजनौर के इतिहासकार व भारतीय किसान यूनियन के आईटी सेल प्रमुख Tayyab Ali ने लिखा है कि मालिनी नदी की भूमी पर खुलेआम कब्जा किया जा रहा है इस ओर यदि ध्यान नहीं दिया गया तो यह मालिनी नदी कुछ दिनों में समतल भूमि में बदलकर बिक जाएगी आओ हम सब मिलकर इस ऐतिहासिक नदी का संरक्षण संवर्धन करे सब मिलकर आवाज उठाए भारतीय किसान यूनियन की आवाज बन जाए
नजीबाबाद के पास से होकर गुजरने की वजह इस नदी में गंदगी की भरमार हैं, नजीबाबाद के गंदे नालों व नालियों का पानी इस नदी में समाता हैं, जिसकी वजह से नजीबाबाद में इस नदी में सबसे अधिक गंदगी होतीं हैं,
यहीं वजह है कि नजीबाबाद की मसहूर समाजसेवी व पूजा हास्पिटल की सरपरस्त डाक्टर राखी अग्रवाल जी इस को लेकर काफ़ी गम्भीर हैं और वह समय-समय पर इस मालिनी नदी के तटों की साफ-सफाई करतें हुए देखीं जा सकतीं हैं,
वहीं नजीबाबाद के सोशलिस्ट एक्टिविस्ट आसिद नजीबाबादी ने कहा कि मालिनी नदी की भूमी पर ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर हो रहे अवैध खनन पर रोक लगाने की जरूरत है, उन्होंने कहा कि पहले इस नदी के आसपास पंछियों व जानवरों का बसेरा हुआ करता था, जो अब विलुप्त होने के कगार पर हैं,
आसिद नजीबाबादी ने आगे कहा कि नजीबाबाद के निकट भारी गंदगी वह किसानों के द्वारा अवैध तरीके से नदी के किनारों को काटकर खेती करना वहीं अवैध रूप से खनन किया जाना इस मालिनी नदी के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है,
Tayyab Ali जी के साथ Bijnor Express की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
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