प्रिय बहन डॉ रचना जैन के जन्म दिन पर उनकी स्मृतियों को बहुत स्मरण करते हुए मन वेदना से भरा है । 29 जनवरी 2011 को रचना बहन को काल के क्रूर हाथों ने हमसे छीन लिया। आप रमा जैन डिग्री कॉलेज में समाज शास्त्र की प्रवक्ता थी। महिलाओं पर किए उनके शोध पर महामहिम राज्यपाल के कर कमलों से पीएचडी की डिग्री प्रदान की गयी थी।वैसे तो हर पल रचना की याद आती है पर प्रिय रचना पर कल रक्षाबंधन पर बहुत मिस किया। हर क्षण बस यही अहसास होता रहा है:- अजय जैन वरिष्ठ कवि/पत्रकार
कलाई सूनी हो गई
रोशन था जिससे हमारे घर का अंगना
छीन लिया काल ने वो कोहिनूर नगीना
कलाई मेरी सूनी हो गई
माथे की रोली कहीं खो गई
साथ बिताए जो जीवन के पल
क्यों अचानक गहरी निद्रा सो गई
याद आती रहेगी सदैव मुझे प्यारी बहना
आंसुओ ने सीख लिया खामोशी से ‘बहना’
होठो ने सीख लिया चुप्पी से रहना तुम्हारी लगाई बगिया भूल गई महकना तुम्हारी प्यारी चिड़िया भूल गई चहकना
जाने वाले आते नही पड़ेगा यूं ही वेदनाओं में रहना
याद आती रहेगी सदैव मुझे प्यारी बहना
राजलक्ष्मी का विश्वास थी
कमल अजय का एहसास थी
भव्य नूतन रिश्तो का मधु मास थी
सबकी सुरक्षा का आभास थी
कम उम्र में बहुत नाम फैलाया ऐसी मेरी प्यारी बहना
याद आती रहेगी सदैव मुझे प्यारी बहना
यथा नाम तथा गुण हो तुम,
प्रकृति की हो अनमोल रचना
सृजन किया तुमने शिक्षा जगत में
संघर्षो से नहीं सीखा कभी घबराना
वेदनाओं के विष को यूं ही जीवन भर पड़ेगा पीना
याद आती रहेगी सदैव मुझे प्यारी बहना
शब्द पुष्पांजलि अर्पित करते हुए आपका भाई
अजय जैन,नजीबाबाद