बिजनौर यहा कि धरती पर खड़ी वनस्पति वन्य संपदा हो या फसल यहां पर सब कुछ प्रकृति के शृंगार में सहायक है बिजनौर कि धरती वेंटिलेटर का भी काम करती है
आप भी पौधारोपण कर प्रकृति के शृंगार मे चार चाँद लगा सकते है
इस के विपरीत आज हम जिस तरह कोरोना जैसी महामारी का सामना कर रहे हैं उसकी वजह प्रकृति के नियम को तोडना भी है आज समय पर बारिश नहीं होती है कहीं ज्यादा बारिश होती है तो कहीं बिलकुल सूखा है कही तूफान आरहे है तो बार बार भुकँप आ रहे है जब भी इंसान ने प्रकृति को चैलेंज किया है उसे उसकी कीमत चुकानी पड़ी है
इतिहास गवाह है प्रकृति ने अपना संतुलन अपने आप किया है भूस्खलन होना महामारी फैलना ये सब प्रकृति से छेड़खानी के नतीजे हैं हम लगातार पेड़ों को काटे जा रहे हैं जिससे वातावरण में कार्बन की मात्रा बढती जा रही है ग्लोबल वार्मिंग हो रहा है आज हमने प्रकृति को हानि पहुचाकर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली हैं
जो हवा जीवनदायनी थी आज वही हवा प्राणों का हरण करनेवाली बन गयी है फिर भी हम लोग अपनी आदतों से बाज नहीं आते हैं अगर हमें आनेवाली पीढ़ी को बचाना है तो इस स्थिति को कम करना होगा ज़मीन तो पहले भी उतनी ही थी जितनी आज है लेकिन आबादी लगातार बढती जा रही है जो चिंता का विषय है
कोरोना के इस संकट काल में चारों तरफ सिर्फ मृत्यु की ही चर्चा हो रही है क्योंकि अपने जीवनकाल में हम सब पहली बार शायद इतने करीब से मृत्यु को देख रहे हैं इसलिए हर कोई यही सवाल पूछ रहा है कि क्या इस वायरस से होने वाली मौतों को टाला जा सकता है और अगर कोरोना वायरस जल्दी खत्म भी हो गया तो इस बात की क्या गारंटी है कि बार बार आरहे तूफान व भूकम्प लोगों की जान नहीं लेगा?
वास्तव में आज जलवायु परिवर्तन एक बहुत बड़ी चुनौती है हमारे लिए स्याह आंधी का खामोश इशारा है इतना होने बाद भी परवाह कौन करता है लाखों टन गोला बारूद और ईंधन फूंककर सांझा सैनिक युद्धाभ्यास रोके हैं लाखों टन इंधन फूंककर सैर सपाटे के नाम पर अंधी कमाई के चक्कर में अनायास ही विमानों का उड़ना रोका है
शांतिपूर्वक हल होने वाले मसलों में भी गोला बारूद हवाई हमलों को रोका है क्या हमने धरती के सीने को चीरकर बड़े बड़े जीवाश्म इंधन की खोज रोकी हैं बड़े बड़े नाभिकीय परीक्षण रोके हैं अनायास खनन रोके हैं
हम एक तरफ तो बात करते हैं कार्बन डाईऑक्साइड के उत्सर्जन की तो क्या कारों और दुपहिया वाहनों के बेतहाशा निर्माण पर रोक लगी है वास्तव में कुछ संशयी लोगों की मिलीभगत के कारण यह संवेदनशील मुद्दा आम लोगों की पहुँच से बाहर है
प्रस्तुति————तैय्यब अली