▪️जनपद बिजनौर के थाना कोतवाली देहात ब्लाक में अद्भुत गाँव है दौलताबाद
Bijnor: यह गाँव लगभग 123 वर्ष पहले पत्थरो की बारिश से तबाह हुआ था ग्राम बिजनौर जिले के कुछ ही लोगों को यह पता होगा कि बिजनौर के कोतवाली देहात ब्लाक के गांव दौलताबाद में 20 अप्रैल 1888 को पत्थरों की बारिश हुई थी, जिसमें पूरा गांव तबाह हो गया था।
बताते हैं कि इस घटना में 246 ग्रामीण तथा 1600 पशु मारे गए थे इस घटना का जिक्र व्हीटेकर्स वर्ड ऑफ फैक्ट नामक पुस्तक में है आज इस घटना को 123 वर्ष बीत चुके हैं कुछ लोग तो भूगोलविद् उल्का पिंडों के पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के संपर्क में आने को घटना का कारण मानते हैं दुनिया के कई स्थानों पर ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं,
ग्राम दौलताबाद आज काफी खुशहाल है गांव की आबादी करीब 4,800 है और गांव में हर बिरादरी व जाति के लोग रहते हैं इस गांव के लोग 20 अप्रैल को काला दिन मानते थे गांव के बुजुर्ग अली हसन मेहंदी हसन सुक्खे व प्रेमचंद वाल्मिकी से बात हुई तो पता चला कि 20 अप्रैल 1888 को गांव में पत्थरों की वर्षा हुई थी।
आबादी क्षेत्र में ही पत्थरों की वर्षा होने के कारण गांव तबाह हो गया था पत्थरों की चपेट में आकर तमाम लोग व पशु मारे गए थे कई घायल हुए थे गांव में कुछ ही परिवार के लोग जिंदा रहे थे जहां पत्थरों की वर्षा हुई थी आज उस स्थान पर टीला बन चुका है और इसी टीले पर गांव की काफी आबादी बसी हुई है जहा भी खुदाई की जाए वहा पत्थर तथा मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े निकलते हे,
मैने दौलताबाद में पत्थरों की वर्षा होने की घटना को रशल ऐश की व्हीटेकर्स ऑफ फैक्ट नामक पुस्तक में एवरी सब्जेक्ट ऑन अर्थ के शीर्षक से पढ़ा हैं इस पुस्तक में खुलासा किया गया है कि गांव में क्रिकेट के गेंद के आकार के पत्थरों की वर्षा हुई थी और पत्थरों की चपेट में आकर 246 लोग व 1600 पशु मारे गए थे।
किदवँतीया तो यह भी है कि क्षेत्र के राजा की पुत्री काफी सुंदर थी राजा अपनी पुत्री की सुंदरता पर मोहित हो गया राजा ने बेटी से विवाह करने की रजामंदी के लिए ग्राम दोलताबाद मे एक पंचायत बुलाई थी पंचायत में राजा ने अपनी इच्छा जाहिर की, जिसका एक वाल्मीकि ने विरोध किया वाल्मीकि ने राजा के बेटी से विवाह करने पर क्षेत्र में पत्थरों की वर्षा होने का श्राप दिया था इसके बावजूद राजा ने पुत्री से ही विवाह कर लिया इसके बाद ही गांव में पत्थरों की वर्षा हुई थी
प्रस्तुति———-Tayyab Ali