▪️सेकुलर vs कट्टरपंथी सियासत का खेल है जारी जनता को बचकर रहना होगा इस सियासी जुगलबंदी से..
नजरिया: दरअसल वोट कटवा हर जगह सिर्फ़ 5-10 हज़ार वोट काटते हैं 5 सीट नहीं जीतते , बिहार में जनता ने जिताया है तो जीतने वालों ने ज़मीन पर कुछ मेहनत की होगी , लोगों को उनसे कुछ उम्मीद होगी , लोकतंत्र है कोई भी चुनाव लड़ सकता है , अपराधी लड़ते हैं , बाहुबली लड़ते हैं , गुंडे मवाली लड़ते हैं , तो एक विशेष दल जिसने ज़मीन पर इतनी मेहनत की है कि 5 सीट अपने दम पर निकाल सकता है वो काहे उत्तर प्रदेश में चुनाव नहीं लड़ सकता…???
मुस्लिम पार्टियों को अछूत मानकर गठबंधन ना करने का परिणाम है ये .. ज़मीनी हक़ीक़त भाँपकर गठबंधन किये जाते हैं , भाजपा ने सैकड़ों क्षेत्रीय दलों से गठबंधन कर रखा है तब हर जगह उनका कब्ज़ा है, बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने 20 सीटें मांगी थी, दे देते तो आज बिहार में RJD गठबंधन की सरकार होती,
और सेक्युलर कम्युनल तो रहने ही दीजिये बस सिंधिया और कपिल मिश्रा कल तक सेक्युलर थे, आज कम्युनल हो गए , कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद न मिलता तो शायद वो भी आज कम्युनल होते या यूं कह लें कि सिंधिया को मुख्यमंत्री बना देते तो आज वो भी सेक्युलर होते, ये वक़्त है समझदारी से लड़ने का , कितने मौके चाहिए आत्ममंथन करने के लिए ???,
थोड़ा हिकमत से भी काम लेना पड़ता है, काँग्रेस को 70 सीट देना ग़लत फ़ैसला था , तेजस्वी ने दरियादिली दिखाई, कुछ ऐसी दरियादिली उत्तर प्रदेश 2017 विधानसभा चुनाव में सपा ने भी दिखाई थी, काँग्रेस अब वो काँग्रेस नहीं रही, ज़मीन पर संगठन नहीं रहा , सिर्फ़ सीट लेकर कैंडिडेट उतारने से चुनाव नहीं जीते जाते, ज़मीन पर मेहनत करनी पड़ती है…
कुल मिलाकर बिहार में ग़लती किसी एक दल की नहीं थी वहां मिलजुलकर सबने बिहार गँवाया था, आज समझ गए होंगे तो शायद आगे कम नुकसान होगा तेजस्वी के लिए बुरा लगा, उसने काफ़ी मेहनत की थी …आसिद नजीबाबादी
और रही बात उत्तर प्रदेश की तो यहाँ हमको कौनो उम्मीद नहीं है , 2022 में 2017 से बुरा हाल होगा… यहाँ भी सेकुलर दल वहीं गलती कर रहे हैं जो बिहार में RJD ने की थी अपने सेकुलर कहलाने वाली पार्टी सपा हो या फिर बसपा दोनों ही असद्दूदीन ओवैसी की पार्टी Aimim से दूरियां बनाते हुए दिखाई दे रही हैं,
दरअसल अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए यहाँ भी मुस्लिम पार्टी को दरकिनार या फिर यू कहूँ कि जानबूझकर नजरअंदाज कर रहे हैं, इसकी एक बहुत बड़ी वजह भी है इन सभी सेकुलर दलों को इस बात की जानकारी अच्छी तरह से हे कि अगर उत्तर प्रदेश में मुस्लिम पार्टी ने पैर जमा लिए तो इनका बोरियां बिस्तरा बंधना तय है, यहीं वजह है कि जानबूझकर Aimim पार्टी को नजरअंदाज किया जा रहा हैं,
तर्कों के साथ जवाब देना हो या फ़िर दलित वह मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए सांसद में आवाज़ बुलंद करनी हो इस समय वाकई असद्दूदीन जैसा हिंदुस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय में दूसरा कोई विकल्प मौजूद ही नहीं है..
खैर मुझे क्या कुछ बोलूंगा तो भिन्न-भिन्न सियासी जमात के कार्यकर्ता मुझे बीजेपी का एजेंट बताने में देर नहीं करेंगे.. जागरूक बनिए चुनाव से पहले अपना वोट जरूर बनाएं और उसका सही अधिकार करीएगा यहीं कह सकता हूं मौजूदा स्थिति में.. 🙏
आसिद नजीबाबादी
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