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पैगम्बर मोहम्मद पर अपमानजनक टिप्पणी करने वाले हरसिंहानंद पर कार्रवाई की मांग हुईं तेज़

🔹दिल्ली पुलिस ने दर्ज की FIR, AAP के अमानतुल्लाह की शिकायत के बाद कार्रवाई,

Uttar Pradesh: गाजियाबाद में स्थित डासना मंदिर के तथाकथित महंत हरसिंहानंद पर कारवाई की मांग तेज़ हो गई है, आप को बता दें कि अपने आप को धर्म का बड़ा ठेकेदार बताने वाले इस महंत ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुस्लिम समुदाय वह उसके पैगंबर मोहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी,

वहीं इसके बाद आम आदमी पार्टी के ओखला से विधायक Amanatullah Khan भी चर्चा में आ गए हैं, उन्होंने ट्विट करतें हुए कहा था कि हमारे नबी ﷺ की शान में गुस्ताखी हमें बिल्कुल बर्दाश्त नहीं, इस नफ़रती कीड़े की ज़ुबान और गर्दन दोनो काट कर इसे सख़्त से सख़्त सजा देनी चाहिए।
लेकिन हिंदुस्तान का क़ानून हमें इसकी इजाज़त नहीं देता, हमें देश के संविधान पर भरोसा है और मैं चाहता हूँ कि @DelhiPolice इसका संज्ञान ले

https://twitter.com/KhanAmanatullah/status/1378199076357873664?s=19

इतना ही नहीं उन्होंने खुद थाने जाकर महंत हरसिंहानंद पर मुकदमा दर्ज करवा दिया हैं, जिसमें उन्होंने कहा है कि नबी ﷺ की शान में गुस्ताखी करने वाले नरसिंहानंद के खिलाफ जामिया नगर थाने में लिखित शिकायत दर्ज की, @DelhiPolice से अपील है कि इस गुस्ताख़ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे। नरसिंहानंद जैसे लोग समाज में रहने लायक नहीं हैं।ये लोग देश का माहौल बिगाड़ रहे हैं,इन्हें खुला नहीं छोड़ा जा सकता

वहीं वरिष्ठ पत्रकार Wasim Akram Tyagi का इस प्रकरण में लिखा हुआ एक लेख खूब वायरल हो रहा हैं जिसमें उन्होंने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, उन्होंने लिखा है कि एनडीए के सत्तासीन होने के बाद देश में जिस उग्र हिंदुत्व का उभार हुआ है, उसने हिंदू समाज की सहिष्णुता के परखच्चे उड़ा दिये हैं। इसने एक बड़े वर्ग को विवेकहीन बना दिया है। यह वर्ग हर उस पाखंडी में ‘नायक’ देखता है जिसने किसी मुसलमान को नुक़सान पहुंचाया है।

आज ट्विटर पर नरसिंहानंद के समर्थन में ट्रेंड चलाया जा रहा है। इस्लामिक धर्मगुरु मौलाना वली रहमानी के निधन पर ठहाका लगाने वाले भी इसी वर्ग से हैं। यह समाज बहुत तेज़ी के साथ नैतिक पतन की ओर बढ़ रहा है। हिंदू राष्ट्रवाद के नशे ने इस समाज के बहुत बड़े वर्ग को मनोरोगी बना दिया है। इसके लिये नफरत की सियासत ज़िम्मेदार है।

जब ज़हरवाणी उगलने वाले बाबाओं को विधायक, सांसद, मंत्री बनाया गया तो ऐसे बहुत सारे बाबा रातों रात पैदा हो गए जिन्होंने संवैधानिक पद हासिल करने के लिये मुसलमानों के ख़िलाफ ज़हर उगलना कर दिया, फिर क्या था वे नेता बनते चले गए। कुंठित गिरोह के लिये वे ‘रॉल मॉडल’ बन गए। और सद्धभाव की बात करने वाले संत हाशिये पर डाल दिये गए।

ज़हरवाणी उगलने वालों को सत्ता, और सियासत ने भी मायूस नहीं किया। देश की 14 प्रतिशत आबादी के आराध्य के ख़िलाफ अमर्यादित टिप्पणी करने वाले नरसिंहानंद जैसे पाखंडी बाबा को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया। इसी से भारतीय लोकतंत्र को होने वाली बहुसंख्यकवाद नाम की घातक बीमारी का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। नफरत की इस सियासत की क़ीमत इस न सिर्फ समाज को बल्कि देश को भी चुकानी है।

नरसिंहानंद जैसे ज़हरीले बाबा जिस गिरोह को तैयार कर रहे हैं वह उसे हिंसा के रास्ते पर ले जा रहा है। इसके लिये कोई और नहीं बल्कि शासन एंव प्रशासन का दोगले रवैय्या ज़िम्मेदार है। लेकिन अब सवाल उससे आगे कहा है, जब-जब यति नरसिंहानंद जैसे तथाकथित बाबा खुद को हिंदुओं का हितैषी के रूप में स्थापित कर रहे होते हैं तब शंकराचार्य क्या कर रहे होते हैं।

क्या उन्हें आगे आकर इन ज़हरीले बाबाओं के ख़िलाफ अभियान नहीं चलाना चाहिए? ऐसे दर्जनों साधू संत हैं, जिन्हें मुसलमानों के मंचों पर सम्मान एंव प्रेम मिलता है लेकिन वे भी ऐसे पाखंडियों की ज़हरवाणी के ख़िलाफ बोलने का साहस नहीं दिखा पाते। क्या यह डर है? या उन्होनें अपनी सहिष्णुता को इन हिंसक प्रवृत्ति के पाखंडियों के चरणों में गिरवी रख दिया है?

वहीं महाराष्ट्र में भी रज़ा अकादमी और TNRF (बोर्ड) द्वारा सैयद मोईन अशरफ साहब और साओ नूरी साहब के द्वारा मोहम्मद साहब पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले नरसिंहानंद सरस्वती के खिलाफ Pydhonie Police Station, मुंबई में धारा 295 (A) 153 (A) 505 (2) के तहत 3 अप्रैल 2021 को एक प्राथमिकी दर्ज की गई है,

 

Report by Bijnor express

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