सिस्टम की पोल खोलती दानिश सिद्दीकी की खींचीं ये बिजनौर की तस्वीरें जो हमेशा उनके काम की याद दिलाती रहेंगी ।

Edited By : बिजनौर एक्सप्रेस , Bijnor, UP | Updated : 18 जुलाई, 2021

दानिश भारत को बदनाम नहीं बल्कि अपनी तस्वीरों के जरिए सरकार के झूठ की पोल खोल रहे थे। उन्होंने लाचार हेल्थ सिस्टम की सच्चाई से लोगो अवगत कराया। ऐसे व्यक्ति को सबसे सच्ची श्रद्धांजलि उसके काम को यादकर, उसे दुनिया तक पहुंचाकर दी जाती है । सिद्दिकी की हत्या कंधार के स्पिन बोल्डक इलाके में एक झड़प के दौरान हुई। दानिश की गिनती दुनिया के बेहतरीन फोटो जर्नलिस्ट में होती थी।

दानिश सिद्दीकी एक क़ाबिल और संवेदनशील पुलित्जर पुरस्कार विजेता भारतीय फोटो जर्नलिस्ट थे। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान वह कवरेज के लिए जिला बिजनौर आये थे।

जहां उन्होंने जिला अस्पताल पहुँचकर नाज़ुक हेल्थ सिस्टम हालात से जूझ रहे तस्वीरें रॉयटर्स पर पोस्ट की थी ऐसी ही तस्वीरों लेना उनका काम था जिसकी वजह से उन्हें पुलित्जर पुरस्कार मिला था ।

उन्होंने लिखा था #danishpix  भारत की क्रूर दूसरी लहर ग्रामीण इलाकों के छोटे शहरों तक पहुंच गई है इतने बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के साथ एक नाजुक स्वास्थ्य प्रणाली जो निपटने के लिए सुसज्जित नहीं है मैंने एक सरकारी अस्पताल का दौरा किया जो नई दिल्ली से कुछ घंटों की ड्राइव पर है

हाल में दिल्ली में हुई हिंसा, कोरोना वायरस के संकट, लॉकडाउन, ऑक्सीजन संकट के दौरान दानिश सिद्दीकी द्वारा क्लिक की गई तस्वीरों ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं। दानिश सिद्दीकी की इन तस्वीरों में देश के अलग-अलग हिस्सों के दर्द को दिखाया गया था।

जामिया से लगी कॉलोनी गफ्फार मंजिल में रहने वाला दानिश का परिवार उनके जाने की खबर के बाद से ही मातम में है। उनके पिता अख्तर सिद्दीक़ी ने बताया कि दानिश से दो दिन पहले ही बात हुई थी। वह खुश थे और अपने असाइनमेंट के बारे में बता रहे थे। मेरी पहले भी बात हुई थी। वह इस माहौल में काम करते रहते थे।

दानिश सिद्दकी की जिंदादिली उनके सहकर्मी को रुला रही है। उनकी फोटोग्राफी शानदार थी, इसके लिए उनको पुलित्जर पुरस्कार मिला। प्रो अख्तर जामिया मिल्लिया इस्लामिया की एजुकेशन फैकल्टी में प्रोफेसर रह चुके हैं। परिवार दानिश के शव के इंतजार में है।

पिछले महीने जामिया में दानिश ने क्लास ली थी
दानिश के परिवार ने बताया कि उनकी पत्नी और दो बच्चे इस वक्त जर्मनी में हैं। सिद्दीक़ी के दुनिया से रुख्सत होना उनके परिवार, मीडिया की दुनिया समेत जामिया मिल्लिया इस्लामिया के लिए बड़ा सदमा है।

जामिया के एजेके मास कम्यूनिकेशन रिसर्च सेंटर की डायरेक्टर शोहिनी घोष कहती हैं, वो हमेशा हमारे फटॉग्राफी डिपार्टमेंट के टच में थे। अभी पिछले महीने ही उन्होंने एक क्लास भी ली थी। उनका जाना बहुत बुरी खबर है। दानिश सिर्फ अपनी प्रोफेशनल कामयाबियों की वजह से हमारे लिए खास नहीं था, बल्कि वह एक शानदार इंसान थे।

दानिश को पढ़ाने वाले जामिया प्रो फरहत बशीर खान कहते हैं, अगर एक तस्वीर हजार शब्द के बराबर है, तो दानिश की एक तस्वीर लाखों शब्द के बराबर है। दानिश ने अपनी जिंदगी अपनी ड्यूटी में दे दी।

जामिया में दानिश को 2005-07 में पढ़ाने वालीं वीडियो एंड टीवी प्रोडक्शन की प्रो. सबीना गदीहोके कहती हैं, उनकी इस तरह से मौत हमारे लिए बड़ा सदमा है।

तालिबान ने दानिश का शव ICRC को सौंप दिया है भारत सरकार ने तेज की कोशिशें से शव उनके घर पहुँच गया है आज रात 10 बजे जामिया कब्रिस्तान में सपुर्द ए ख़ाक किया जाएगा

वह बहुत नेक दिल,मेहनती, संवेदनशील और क़ाबिल पत्रकार थे।आज देश मे पत्रकार जगत से तल्लुक रखने वाला हर व्यक्ति दानिश सिद्दीकी को याद कर रहा है।कि वह जो खून से लथपथ जैकेट है,पांच अक्षरों का एक शब्द लिखा है PRESS इसी के मान के लिए वे काम कर रहे थे। बेशक़ हमे आपकी ये जैकेट हमें बताती रहेगी कि पत्रकार क्या होती हैं ।

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