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सुल्ताना डाकू ने आखरी डकैती इसी हवेली पर डालीं थी, जानिए इस कहानी से जुड़ी हुई रोमांचित जानकारियां !

🔹बिजनौर के ग्राम जालपुर कि यह हवेली सुल्ताना डाकू द्वारा डाली गयी आखरी डकैती कि आज भी गवाह है,

🔹खास बात यह है कि यह हवेली इन दिनों मधुमक्खियों का घर बनी हुई है,

Bijnor: सब से चर्चित डकैतियों में शामिल ग्राम जालपुर यह डकैती 22 मई सन 1922 मे डाली गयी थी इस डकैती को सुल्ताना डाकू ने अपने लगभग सौ घुडसवार साथियों के साथ अंजाम दिया था जालपुर के‌ जमींदार कुंवर तारा सिंह के यहां उस समय कि डकैती में 17 हजार 248 रुपये की डकैती हुई थी डकैतो द्वारा डाली गयी डकैती के हवेली के दरवाजों पर गोलियों के निशान आज भी देखे जा सकते हैं

हवेली का मुख्य द्वार

डकैती के दौरान सुल्ताना डाकू और हवेली के सुरक्षा कर्मियों में जमकर कई घंटे बालीबारी हुई थी गोलियों ने निशान आज भी हवेली की दीवारों और दरवाजों पर मौजूद हैं उस दौर मे नजीबाबाद से लेकर देहरादून नैनीताल सहारनपुर तक सुल्ताना डाकू का खौफ हुआ करता था यूपी और कुमाऊं तक उसका एकक्षत्र राज चला करता था सुल्ताना डाकू धन्ना सेठो कि हवेलियो मे डकैती डालने से पहले अपने आने की सूचना दे देता था

पोस्टर चस्पा कर के आगाह कर दिया जाता था कि सुलताना आएगा और डकैती डालेगा रोक सको तो रोक लेना उसके बाद सुलताना डाकू जमकर उत्पाद मचाता था और सबकुछ लूट कर लेजाता था सुल्ताना डाकू अपने गिरोह को बहुत सम्मान देता सुलताना डाकू भरोसेमंद मुख़बिरों का जाल बिछाकर लूटता था एक उसे बनियो का रामपुर (बेगमपुर शादी) गांव कि उस के मुख़बिरों के ज़रिये मालदार बनियो कि हवेली की ख़बर मिली और फिर सुल्ताना डाकू ने डकैती कि योजना बना डाली और गांव रामपुर मे भी बनियो को डकैती का शिकार बना डाला जमकर‌ लूटपाट कर हमेशा कि तरह कामयाब होकर नजीबाबाद लौट गया

अपने ज़माने के मशहूर शिकारी जिम कार्बिट ने भी अपने कई लेखों में सुल्ताना डाकू की डकैतियो लूटमार बारे में लिखा है सुल्ताना डाकू बड़ा निडर होकर डकैती डालता था और हमेशा पहले जमींदारो को सूचित कर देता था कि श्रीमान पधारने वाले हैं डकैती के दौरान वो ख़ून बहाने से जहां तक हो सकता बचता था साहूकारों और ज़मींदारों के हाथों पीड़ित ग़रीब मजदूर किसान सुलताना डाकू की लंबी आयु की दुआएं मांगते थे और यह भी कड़वा सच है कि सुलताना डाकू जिस क्षेत्र में डकैती डालता था तो वहीं के गरीबो मजदूरो ज़रूरतमंदों में बंटवा देता था

नांगल सोती थाने के रजिस्टर नंबर आठ में जालपुर में सन 1922 की डकैती का मुकदमा संख्या 25 फारसी भाषा में दर्ज है बाद में सुल्ताना डाकू को फांसी की सजा होने के बाद इस मुकदमे को खत्म कर दिया गया था लेकिन आज भी फारसी भाषा में सुल्ताना डाकू द्वारा डाली गयी ग्राम जालपुर कि डकैती का मुकदमा दर्ज है

सन 1891 में निर्मित नांगल सोती थाने से ब्रिटिश अधिकारीगण बिजनौर मण्डावर हरिद्वार सहारनपुर भगवानपुर रुड़की और कोटद्वार की कानून व्यवस्था पर पूरी नजर रखते थे नांगल थाने कि किरतपुर मण्डावर व श्यामपुर पुलिस चौकी अब थाना बन चुकी है नांगल थाने में सौ साल से भी ज्यादा का पुराना रिकार्ड आज भी सुरक्षित है।

प्रस्तुति———-तैय्यब अली

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