🔹कोरोना संक्रमण को फैलाने में ना तो तब्लीगी जमाती कसूरवार थें और ना ही साधू संत कसूरवार है,
🔹एक तरफ़ देशभर में लाशें जल रहीं हैं, और दूसरी तरफ़ बंगाल में रैलियां चल रही हैं!
New Delhi: बंगाल में चल रहीं चुनावी रैलियों और कुम्भ मेले में शामिल साधू संतो पर कोरोना संक्रमण फैलाने के आरोप के बाद बिजनौर एक्सप्रेस के संपादक आसिद नजीबाबादी ने अपनी फेसबुक आइडी पर श्रद्धालुओं का बचाव करते हुए लिखा है कि असल में यह सरकारी विभागों की नाकामी है जो मुस्लिम श्रद्धालुओं पर मढ़ी गई थी और हिंदू श्रद्धालुओं के सर पर मढ़ी जा रहीं हैं,
उन्होंने आगे लिखा है कि तब्लीगी मरकज़ वालें भी विदेशियों को अपने मुल्क वापसी के लिए विभागों के चक्कर काटते रहे सरकारी विभागों ने कुछ नहीं किया और साधू संतो को भी सरकारी विभागों ने कुम्भ मेले में आने की इज़ाजत दी तो कसूरवार कोन हुआ श्रद्धालु या फ़िर सरकारी विभाग..??
उन्होंने आगे लिखा है कि दरअसल यह एक वैश्विक महामारी हैं जिससे पूरी दुनिया लड़ रही हैं यह बात अलग है कि तब्लीगी जमात के मरकज़ को मिडिया संस्थाओं ने निशाने पर लेकर अपनी टीआरपी की खूब रोटियाँ सेकी,
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कोरोना के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए हरिद्वार में चल रहे कुम्भ मेले में शामिल साधू संतो से मेले को ‘प्रतीकात्मक’ रखने की अपील की थी, लेकिन वहीं दूसरी और खुद पीयम मोदी ने बंगाल में होने वाली अपनी आज की चुनावी रैलियों के कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया,?
नोटिस करने वाली बात यह है कि प्रधानमंत्री की आज की रैलियों में जमकर भीड़ जमा की गई और सोशल डिस्टन्सिंग का मजाक बनाया गया, वहीं देश के ग्रह मंत्री अमित शाह ने भी दो रैलियों और दो रोड़ शो किए,
मतलब एक तरफ़ साधू संतो को कोरोना संक्रमण के प्रति ज्ञान दिया जा रहा है, वहीं साक्षात उनके द्वारा दूसरी तरफ लाखों की संख्या में भीड़ जमा कर बंगाल में चुनाव प्रचार प्रसार किया जा रहा है,
आसिद नजीबाबादी ने कड़े शब्दों में कहा लिखा है कि क्या किसी देश का प्रधानमंत्री कोरोना महामारी के दौरान भी इस प्रकार से इतना गैर जिम्मेदाराना कृया कलाप कैसे कर सकते हैं यह सोचने का विषय है..
आसिद नजीबाबादी ने एक और अन्य पोस्ट में लोगों से कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए अपील की है कि:- मान्यताएं तो यह भी है कि सुर्यास्त के बाद चिंताए नहीं जलानी चाहिए, लेकिन इस कोरोना संक्रमण ने यहीं एक मान्यता नहीं बल्कि ना जाने कितनी मान्यता बदल कर रख दी हैं, मतलब साफ़ है, तो फ़िर आस्था अपनी जगह है और बीमारी अपनी जगह है, इसलिए पहलें अपनी जांन बचाएं, क्योंकि हर धर्म पहलें जीने की राह दिखाता है मरने की नहीं, Please sport again fight corona Virus,
बिजनौर एक्सप्रेस संपादक आसिद नजीबाबादी