पीएम नरेंद्र मोदी के राज्य सभा में परजीवी शब्द पर बवाल, आईये जानते हैं परजीवी किन्हें कहतें हैं?

राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये (आंदोलनजीवी) लोग खुद आंदोलन नहीं चला सकते हैं, लेकिन किसी का आंदोलन चल रहा हो तो वहां पहुंच जाते हैं. ये आंदोलनजीवी ही परजीवी हैं, जो हर जगह मिलते हैं..?

साभार आज तक

आईये जानते हैं परजीवी किन्हें कहतें हैं??

दरअसल परजीवी जीव वो जीव होतें हैं, जो अपने भरण-पोषण एंव सुरक्षा के लिए दूसरे जीवों पर आश्रित होतें हैं, ये जीव दूसरे जीवों के रक्त, एवं मांस से अपना पेट भरते हैं, और उन्हीं जीवों के शरीर पर अंडे देतें हैं और अपनी आबादी को बढ़ाते हैं!

मैं स्वतंत्र रूप से सच बताऊँ तो मुझे कुछ अजीब नहीं लगा क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहलें भी इस तरह के क्रिया-कलापों में लिप्त रह चुके हैं, लोग कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री को यह अशोभनीय भाषा शोभा नहीं देतीं, क्योंकि गणतंत्र में जबतक जनतंत्र की भागीदारी नहीं होगीं तो गणतंत्र की मजबूती कैसे होगीं..

और क्या बीजेपी ने कभी धरने प्रदर्शन या फिर आंदोलन नहीं किए जवाब हैं बिल्कुल किए हैं लेकिन उस समय की सरकार कहीं ना कहीं गणतंत्र और जनतंत्र पर भरोसा रखतीं थीं, अगर यहीं काम पूर्व सरकार ने किए होते तो यकीन मानिये बीजेपी सत्ता से दूर होतीं..

क्योंकि कांग्रेस को सत्ता से दूर करने की मुख्य वजह जनतंत्र द्वारा किए गए धरने प्रदर्शन ही है, जिसमें “अन्ना हजारे” “अरविंद केजरीवाल” “श्री श्री रविशंकर” और “बाबा रामदेव” जैसे कई महापुरुषों का योगदान शामिल हैं, जो आज कल बीजेपी की गोद में खेल रहे हैं!!

बिजनौर भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष चौधरी कुलदीप सिंह ने अपनी फेसबुक आइडी पर पोस्ट करते हुए कडा विरोध जताया है और उन्होंने लिखा है कि/ आज संसद में आंदोलन कर रहे किसानो का मजाक उड़ाया गया और ठाहके लगाए गये और किसानो को #आंदोलनजीवी_जमात बोला गया

बिजनौर से भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष चौधरी कुलदीप सिंह

अन्नदाताओ को गर्व है कि वह आन्दोलनजीवी है किसान वह जीवी है जो अहंकारी सत्ता और उसके तानाशाही राजाओं के खिलाफ सीना चौड़ा करके खड़े होते हैं इतिहास उठा कर देख लो किसान अपने हक की लड़ाई मैं सदैव अहंकारी सत्ता के खिलाफ आवाज़ बुलंद करते रहे है आंदोलनजीवी’ शब्द सुन कर आज पूरी भाजपा को पुराने दिन याद आ गए होंगे कैसे रथों पर मोर्चे निकलते थे कैसे पेट्रोल का दाम बढ़ते ही चूड़ियाँ टूट जाती थी कैसे गैस का दाम बढ़ने पर संसद में रोना धोना मच जाता था किसान की मौत होने पर प्रधानमंत्री का इस्तीफा माँगा जाता था क्या वह दिन याद या भूल गये

200 किसानों के शव दिल्ली की सीमा से उनके घर गए मोदी सरकार के मुँह से उनके परिवारों के लिए संवेदना के दो शब्द नहीं निकले आप क्या किसानों के हित की बात करोगे आप को किसानो के असल मुद्दों से भटकाना है।

नफ़रत की खेती’ करने वालों का यही तराना है।
प्रधानमंत्री जी ने आज राज्यसभा में कहा है कि पिछले कुछ समय से इस देश में एक नई बिरादरी सामने आई है इस बयान पर आपकी राय?

Report by Bijnor express

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