▪️इज्तिमा में उलेमाओ ने सामाजिक बुराइयों के खात्मे के लिए कुरैशी बिरादरी का आह्वान किया,
▪️हजरत मौलाना मुफ्ती इंतजार हुसैन (झालू) व निजामत मौलाना सलीम अहमद कासमी (भनेड़ा) ने की,
Bijnor: नजीबाबाद कुरैशी बिरादरी में शादियो में बडे रहे खर्च व गैर रस्मो,बुराइयों को खत्म करने के लिए जिले के तमाम कुरैशी बिरादरी के लोगों ने नजीबाबाद मैं एक दिवसीय कबीला कुरैश के इज्तिमा मैं पहुंच कर अपनी अपनी राय पेश कर कुरैशी बिरादरी की इस्लाह की
रविवार को सुबह दस बजे मक्का मस्जिद जाब्तागंज के करीब एक दिवसीय यह कॉन्फ्रेंस कुरैशी इज़्तेमा का आयोजन किया गया जिस में जिले भर के कुरैशी बिरादरी के उलेमाओ ने शिरकत की आलिमो के साथ साथ जिले के भारी संख्या में कुरैशी बिरादरी के लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
इस इज्तिमा मैं बोलते हुए मुफ्ती नईम अहमद कासमी (भनेड़ा) ने कहा कि यह मजमा कोई आम मजमा नहीं है आज के दौर में बिरादरी के कुछ लोगों ने शादी को मजाक बना दिया और अपनी बेटी की शादी बड़े ही धूमधाम से करते हैं तथा देहज में इतना सब कुछ देते हैं जिस का फर्क गरीब भाइयों पर पड़ता है और उनकी बेटी की शादी समय पर नहीं हो पाती। जिस से मुआशरे और बिरादरी में बिगाड़ पैदा हो रहा है।
*वहीं इस एक दिवसीय इज्तिमा में ब्याह शादी के लिए 17 गाइड लाइन बनाई गई जिस में,*
(1) लड़की देखने सिर्फ दो खातून जाये और लड़की वालो पर बोझ ना बने।
(2) अपनी पसंद या नापसंद का जवाब सिर्फ 2 दिन में दिया जाए।
(3) रिश्ता पक्का होने के नाम पर होने वाली रस्म (जवाब) मुकम्मल बंद।
(4) मंगनी की तमाम रसूमात खत्म सिर्फ दस अफराद जाए और लड़की वाला सिर्फ 21 किलो मिठाई लड़के वालों को दे सकता है और लड़की वाला अपने यहां बड़ा प्रोग्राम नहीं करेगा।
(5) मंढा समदौला और बिल्कुल बंद।
(6) भात के नाम पर होने वाली फिजूल खर्चा बिल्कुल खत्म। सिर्फ भाई अपनी बहन को खुफिया तौर पर हदिया दे।
(7) बरात में ख्वातीन का जाना बंद सिर्फ घर की मुअम्मर एक दो ख्वातीन दुल्हन कि हमराही के लिए जा सकती है नौजवान बच्चियों का बारात में जाना बिल्कुल बंद।
(8) सेहरा बन्धाई की रस्म बंद बिना ऐलान के अपनी बेटी को हदिया कुछ दिया जा सकता है।
(9) बारात पहुंचने का वक्त 2:00 बजे तक।
(10) सलामी के नाम पर होने वाले बेहयाई बंद दामाद अपनी सास को सलाम के लिए किसी एक साथी के हमराह जा सकता है।
11 बारात में आतिशबाजी और डीजे नाच गाना बिल्कुल बंद।
12 दहेज का मुतालबा या इशारा बिल्कुल हराम है इस से परहेज करे।
(13) दहेज में चार पहिया गाड़ी और प्लॉट देना का रिवाज बिल्कुल खत्म होगा। और दहेज बिना नुमाइश और एक दो दिन पहले दिया जाए दहेज उठाने के नाम पर कोई एहतमाम ना हो।
(14) निकाह के तकरीब मस्जिद मे मुम्किन हो तो मस्जिद में ही को फोकियत देने की कोशिश करें।
(15) जूता चुराई बंद दुल्हन उतारती के नाम पर बहनाई खत्म।
(16) दावते वलीमा का एहतमाम करें और खाना बैठकर खिलाया जाए। मर्द व औरतो का खाना अलग अलग हो।
(17) अपनी बेटियों को शरई वारिस समझते हुए उन को विरासत में हिस्सा दें। दावते अकीका के नाम पर कोई रस्म ना हो।
इस मौके पर हजरत मौलाना इरफान, साबिक, मौलाना सलीम अहमद कासमी, मुफ्ती इन्तजार हुसैन, मुफ्ती नईम अहमद कासमी भनेड़ा, मौलाना शहजाद, हाफिज अजमल , हाफिज कासिम, मौलाना मोहम्मद इरफान व कुरैशी बिरादरी के जिम्मेदार लोग मौजूद रहे
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