बिजनौर की जलालाबाद नगरपंचायत और इसका 731 वर्ष पुराना इतिहास,

नजीबाबाद के निकटतम दक्षिण दिशा मे #सूबा_ए_सँभल का परगना कस्बा #जलालाबाद जहां अतीत से जुड़े साक्ष्यों को नही देखा जा सकता मगर इस कस्बे का इतिहास 730 वर्ष पुराना है
तब इसे ‘जलालपुर’ के नाम से जाना जाता था। यहां सन 1289 मे जब खिलजी सल्तनत के जलालूददीन फिरोज़ खिलजी ने कठेर विद्रोह को कुचलने के लिये इस क्षेत्र मे कदम रखा था तब जीत के बाद यहा एक गाँव बसाया था जलालाबाद जलालुददिन के नाम पर इस नगर का नाम #जलालाबाद है।

बाद मे मुगल सम्राट जलालु्द्दीन अकबर ने #जलालाबाद को परगना घोषित कर दिया बाद मे #जलालाबाद को तहसील का दर्जा दिया गया जिसमे लगभग आज के बिजनौर रुडकी देहरादून नजीबाबाद का भी क्षेत्र आता था

सुल्तान बनने से पहले जलालुद्दीन
►-बुलंदशहर के इफ्तादार भी थे
खिलजी वही वँश था, जिसने भारत की रक्षा दुनिया के क्रूरतम लड़ाके ‘मंगोलो’ से लडाई की थी मंगोल कभी नहाते नहीं थे, इसलिए उनके शरीर कि बदबू 2 मील तक जाती थी मंगोल मानव से लेकर हर प्रकार के जीवों का खून पीते थे खिलजियो ने बगदाद के खलीफा अबू मुस्तसिम बिल्लाह तक को मार दिया था

सन 1755 के आसपास अली मोहम्मद खान ने परगना जलालाबाद नवाब नजीबुददौला को तोहफे मे दिया और नजीब खान ने परगना जलालाबाद मे आने वाले क्षेत्र पर एक नगर बसाया जिसका नाम नजीबाबाद रखा गया और फिर वहीं से हुकूमत को चलायी परगना जलालाबाद सीमित होता गया और नजीबाबाद आबाद होता गया सन 1872 मे जलालाबाद की अबादी सिर्फ 3001 थी सन 1891 मे 2056 हो गयी थी

जून 1857 के शुरू होते ही नजीबाबाद के नवाब महमूद अली खां नजीबाबाद बसाने वाले नवाब नजीबुदैला के पड़पौते की सेना जलालाबाद के जाट योद्धाओं ने जलालाबाद से मेरठ तक अँग्रेजो का जीना हराम कर दिया था गया

रुड़की के पास अंग्रेजों से लड़ते हुए नवाब महमूद अली खां की फौज हार गी इस हार का सबसे दुख यह था कि सैकड़ों हिन्दू-मुस्लिमों को तोपों से बांध कर शहीद कर दिया गया। अंग्रेजों की सेना ने नजीबाबाद व जलालाबाद में खूब तांडव मचाया। नवाब के परिजनों को एक-एक करके मार डाला गया और पत्थरगढ़ के किले पर भीषण गोलाबारी की गयी तथा ग्राम महावतपुर मे नवाब साहब के हाथियो के महावतो को भून डाला गया

नजीबाबाद के तत्कालीन तहसीलदार अहमद अल्लाह खान ने जब ब्रिटिश हुकूमत से सहयोग मांगा तो उन्हे मना कर दिया गया इसके बाद सैनिक नजीबाबाद के नवाब के पास पहुंचे और उन्हें अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के लिए तैयार किया शेरकोट के नवाब माढे़ खां ने करीब 800 साथियों के साथ ब्रिटिश जिला मुख्यालय बिजनौर पर हमला बोल दिया। तत्कालीन जिलाधिकारी इन सैनिकों का सामना नहीं कर सके और बिजनौर पर नवाब माढ़े खां का कब्जा हो गया। सैनिकों ने ट्रेजरी लूट ली तथा सामान एक कुंए में डाल दिया गया। इसकी सूचना अंग्रेजी हुकूमत को मिली तो उन्होंने अंग्रेजी सैनिकों को यहां भेजा। इसके बाद अंग्रेजी फौज ने हमला कर बिजनौर पर एक बार फिर कब्जा कर लिया। हाफिज मलिक कि पुस्तक में लिखा है कोटकादर बढापुर राजा का ताजपुर, मंडावर, शहबाजपुर खादर, रावली घाट, लंढौरा, चांदपुर, हल्दौर, नहटौर आदि स्थानों का जिक्र किया है। इन स्थानों का संबंध 1857 की क्रांति से रहा है।

नगीना से लूटे थे 10348 रुपये 14 आने नजीबाबाद के बाद विद्रोही सैनिकों ने नगीना का रुख किया। मुरादाबाद जेल टूटने की खबर 20 मई को नगीना पहुंच गई थी। इस पर बाजार बंद हो गया। तहसीलदार मौलवी कादिर अली (कोटकादर) और थाने के डिप्टी इंचार्ज मुनीरुद्दीन बाजार खुलवाने में जुट गए। 21 मई को सवेरे 11 बजे विद्रोही सैनिकों ने नजीबाबाद के लोगों के साथ मिलकर तहसील पर हमला बोल दिया। विद्रोहियों के हमले को देखते हुए तहसील का गेट बंद कर दिया गया लेकिन एक खिड़की खुली रह गई। इस पर विद्रोहियों ने इस खिड़की से तहसील में घुसकर 10 हजार 348 रुपये, 14 आने और 11 पाई लूटी थी। इस रकम में नकद धनराशि के अलावा स्टांप व अन्य सामान भी शामिल था। इसके बाद विद्रोहियों का यह हुजूम जोगिरम्पुरी रायपुरसादात के रास्ते मुरादाबाद के लिए रवाना हो गया था।

आजादी के बाद जलालाबाद के पहले ग्राम प्रधान हबीब खान चुने गये उनके बाद सैयद अनवार चुने गये
नगर पंचायत बन ने के बाद पहले चेयरमैन खलील राईन चुने गये उनके बाद याकूब राईन खलील राईन की पत्नी शकीला बानो और वर्तमान मे मोहतरमा सायरा अंसारी चेयरपर्सन है l

प्रस्तुति————-तैय्यब अली

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