बिजनौर नजीबाबाद के करीब जोगीरम्पुरी सादात मुस्लिम अकीदत की वह पाकीजा जगह जहां हजरत अली घुड़सवारी दस्ते के साथ यहां पहुंचे थे
#दरगाह_ए_आलिया नज्फे हिन्द दरगाह लगभग 400 साल पहले सैयद राजू मुगल बादशाह औरंगजेब के जुल्म से बचने के लिए यहाँ के घने जंगलो में आकर मौला अली से दुआ किया करते थे
दुआ के दौरान सैयद राजू ने हजरत अली को मदद के लिए पुकारा था सैय्यद राजू या अली या अली का वजीफा करते रहते थे अली से अपनी हिफाजत के लिए रात-दिन दुआएं मांगते थे
एक दिन सैय्यद राजू को पेड पर छुपने को मजबूर होना पड़ा संयोग से उसी दिन घुड़सवारी दस्ता जंगल में आ पहुंचा दस्ते के नौजवानो के चेहरे पर तेज व हाथ में अलम था सभी घुड़सवार नकाबपोश थे
जंगल के काम कर रहे एक ब्राह्मण किसान से दस्ते के घुड़सवारो ने सय्यद राजू की जानकारी ली नौजवान ने कहा कि सय्यद राजू के अलावा किसी को भी इस बात की भनक नहीं होनी चाहिए कि कौन आया है
नाबीना ने फरमाया कि मेरी आंखों में रोशनी नहीं है मैं इस काम को कैसे अंजाम दे सकता हूं दस्ते के मुखिया का हुक्म हुआ कि वह अपनी आंखें बंद कर के दोबारा खोले नाबीना को आंखें खोलते ही उसकी दुनिया ही बदल गई।
आंखों में रोशनी पाकर उसकी खुशी का ठिकाना न रहा वह भागता हुआ वह सय्यद राजू के पास पहुंचा और कहा कि जिन से आप मदद माँग रहे हैं वह घुड़सवार दस्ते के साथ आपसे मिलने आए हैं
तब सय्यद राजू वहां पहुंचे तो दस्ता गायब था घोडो के पाँव के निशान व मुंह के झाग के निशान वहाँ मौजूद थे 400 साल पहले हजरत अली के जोगीपुरा आने पर भले ही उनकी मुलाकात नहीं हो पाई लेकिन उन्हें ख्वाब में हुक्म हुआ कि दरगाह तामीर कराई जाए दरगाह निर्माण के समय पानी की कमी महसूस की गयी तभी एक मजदूर ने दरगाह के निकट गूलर के पेड़ से पानी टपकते देखा पानी गिरने से जमीन नम हुई।
वहां पानी का एक करिश्माई चश्मा फूटा जिससे पूरी दरगाह तामीर हुई आज भी इस चश्मे की अहमियत बरकरार है। इसका पानी पीने से चर्म रोग पेट की बीमारियां और ऊपरी हवाओं से निजात मिलती है।यहा हर साल मातमी मजलिसें मुनक्किद होती हैं जहां लाखों जायरीन जियारत के लिए पहुंचते हैं मातमी मजलिसों में वाकयात-ए-करबला के साथ हजरत इमाम हुसैन एवं उनके लश्कर को क्रूर बादशाह यजीद द्वारा दी गई दिल दहलाने वाली यातनाओं का उलेमा जिक्र करते हैं
मुसलमान फफककर रोने एवं सीनाजनी के लिए मजबूर हो जाते हैं दीन और इसलाम की हिफाजत के लिए दी गई बेशकीमती कुरबानियों का उलेमा द्वारा किए जाने वाले जिक्र से पूरा परिसर गमगीन माहौल में तबदील हो जाता है। जोगीरम्पुरी दरगाह आज मुस्लिम समाज ही नहीं विभिन्न धर्मों के अनुयायियों की अकीदत की स्थली बन चुकी है
यहां के पानी के नहाने से बीमारियां दूर होती है दरगाह-ए-आलिया नज्फे हिन्द जोगीपुरा में हर साल मजलिसों में अपनी अपनी दुआ मांगते हैं।
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