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देहरादून जाॅलीग्रांट एयरपोर्ट के लिए 10 हजार पेडों को काटने की खबरों के बीच वन प्रेमियों में रोष

▪️उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में स्थित जॉलीग्रांट अन्तर्राज्य एयरपोर्ट को अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट में तब्दील करने का शिगूफा इन दिनों चर्चाओं मे हैं,

▪️वन रेंज के 10 हज़ार पेड़ों के काटने का मंसूबा तैयार किया है जो कि क्षेत्रफल की दृष्टि से 87 हेक्टेयर यानि 217 एकड़ बैठता है,

▪️वहीं दूसरी और एक और अन्य पक्ष हैं जो जाॅलीग्रांट एयरपोर्ट को अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट में तब्दील करने का पक्ष कर रहे हैं और बीच का रास्ता निकालने की बात कर रहे हैं,

Dehradun: जल, जग़ल, ज़मीन, इन सबके बिना जीवन की कल्पना करना बेहद कठिन है। ये बिल्कुल वैसी कल्पना है जैसे कि बंजर ज़मीन में कोई जीव पानी की तलाश करता हो ___ या कोई भीड़ बिन साये मीलों का सफ़र तय कर रही हो और सफ़र पूरा होने से पहले ही मुसाफिर दम तोड़ दे

खबर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से है जहां जॉलीग्रांट अन्तर्राज्य एयरपोर्ट को अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट में तब्दील करने का शिगूफा इन दिनों चर्चाओं मे है। बता दें कि एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ़ इण्डिया और उत्तराखंड की बीजेपी सरकार ने जॉलीग्रांट एयरपोर्ट एक्सटेंशन के नाम पर थानो वन रेंज के 10 हज़ार पेड़ों के काटने का मंसूबा तैयार किया है। जो कि क्षेत्रफल की दृष्टि से 87 हेक्टेयर यानि 217 एकड़ बैठता है,

प्रदेश के आलाधिकारी इस पर ब्लू प्रिंट तैयार कर रहे हैं। हालांकि राज्यसरकार के लिये ये इतना आसान नही होगा क्योंकि ये प्रदेश विश्वविख्यात चिपको आन्दोलन के जनक सुन्दरलाल बहुगुणा का प्रदेश है ये प्रदेश कामरेड गोविंद सिंह रावत , चंडी प्रसाद भट्ट और गौरादेवी जैसे वन प्रेमियों और आन्दोलनकारियों का प्रदेश है

जिसका असर और जुनून यहां की युवा पीढ़ियों मे भी वक़्त वक़्त पर देखने को मिला है ___ ये ही वजह है कि प्रदेश का जागरुक युवा और जनसरोकारी संगठन, पर्यावरणविद बीजेपी सरकार के इस मंसूबे के खिलाफ बिगुल फूंक चुके हैं,

युवाओं के हाथों में तख्तियां , बेखौफ आवाज़ इस बात का सबूत है कि प्रदेश मे फिर से एक चिपको आन्दोलन की दरकार है। राज्यसरकार मैट्रो सिटीज़ के सपने को अपनी आंखों में लिये कहां से कहां आ पहुंची इसका शायद हमें अभी अन्दाज़ा नही है

जॉलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के गम्भीर विषय पर पर्यावरणविदों ने भी बिजनौर एक्सप्रेस न्यूज़ के साथ अपनी राय साझा की है। ज़रा सुनिये

बाईट- जे.पी. मैठाणी👇, पर्यावरणविद्

उत्तराखण्ड देवों की भूमि है __पर्यटन और तीर्थाटन का राज्य है और इसमें कोई दो राय नही कि यहां लोग प्राकृतिक सुन्दरता को निहारने के लिये आते हैं यहां के खूबसूरत पेड़ पौधों से लिपट अपनी तस्वीरें कैमरों मे क़ैद करने के लिये आते हैं। ऐसे में जॉलीग्रांट एयरपोर्ट का विस्तारीकरण पर्यावरण और पर्यटन के लिये किसी बड़े खतरे से कम नही है,

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में स्थित जॉलीग्रांट अन्तर्राज्य एयरपोर्ट को अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट में तब्दील करने की मांग सालों की जा रही है, लेकिन एयरपोर्ट का विस्तारीकरण पर्यावरण संरक्षण की वजह से नहीं हो पा रहा हैं,

जाॅलीग्रांट एयरपोर्ट को अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट में तब्दील करने के लिए हजारों पेड़ काटे जानें की संभावना जताई जा रही हैं जिससे वन प्रेमियों का आग बबूला होना तय है, यहीं वजह है कि सरकार अपने कदम फूंक फूंक कर रख रहीं हैं,

बता दें कि जाॅलीग्रांट एयरपोर्ट का विस्तारीकरण और अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का फायदा उत्तराखंड के लोगों के बाद सबसे अधिक बिजनौर के लोगों का होना तय हैं,

दरअसल बिजनौर से हजारों की संख्या में लोग अरब देशों में रहते हैं जो ज्यादातर दिल्ली या फिर लखनऊ एयरपोर्ट पर उतरते हैं, अगर जाॅलीग्रांट एयरपोर्ट अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनता है तो, यहाँ सबसे अधिक अंतरराष्ट्रीय यात्री बिजनौर से ही देखने को मिल सकते हैं,

असकरी जाफ़री की रिपोर्ट

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