25 हज़ार से अधिक लाशों का अंतिम संस्कार कर चुके लावारिस लाशों के वारिस शरीफ़ चाचा आज लावारिस अवस्था मे कर रहे है जीवन व्यापन ।

◾27 साल में 25 हज़ार से अधिक लाशों को उनके रीति रिवाजों के अनुसार मुखग्नि और दफ़ना चुके है।

◾एक्टर Aamir Khan ने अपने चर्चित शो “सत्यमेव जयते” में बुलाया और उनके तमाम सामाजिक कार्यो को दुनिया के सामने अपने शो के द्वारा रखा।

◾बीमार होने के लिए कारण बिस्तर पर है पैसे ना होने के कारण दवाई से भी जूझ रहे थे

लावारिस लाशों के वारिस शरीफ़ चाचा 27 साल में 25 हज़ार से अधिक लाशों को उनके रीति रिवाजों के अनुसार मुखग्नि और दफ़ना चुके है,लेकिन आज वह किस हालत में है कोई उनकी सुध लेने वाला नही,तस्वीर नंबर 2 और तीन शरीफ़ चाचा के घर से आई है,लावारिश लाशों को अपनाने वाले शरीफ़ आज आर्थिक तंगी से जूझ रहे है,बीमारी ने चारों तरफ़ से घेर लिया है,दवाई लेने तक के लिए पैसे नही है,घर में राशन नही, मुहल्ले के लोगों से उधार लेकर दवाई खरीदी जा रही है लेकिन 25 हज़ार लाशों के मददगार की इस दुनिया मे कोई मदद करने वाला नही।

शरीफ़ चाचा का 22 वर्षीय बेटा 1992 में किसी काम से सुल्तानपुर गया था, उसकी हत्या लाश को बोरे में भरकर फेंक दिया था,चाचा शरीफ को अपने बेटे की लाश तक नही मिली,उनके बेटे की मौत और लाश नसीब ना होने ने इतना बड़ा ज़ख्म दिया कि उन्होंने उस ज़ख्म को भरने के लिए ठान लिया कि आज के बाद वह यह ज़ख्म किसी को नही मिलने देंगे,किसी लाश को लावारिस नही छोड़ेंगे उसे अपने बेटे की तरह गला लगाएंगे उसके माथे को चूमेंगे और अपने हाथों से उसे दफ़नायेंगे या मुखग्नि देंगे,शरीफ चाचा ने अपने जीवन मे 25 हज़ार से अधिक लावारिस लाशों को गले लगाया, यदि मृतक हिन्दू है तो उसे मुखग्नि दी और मुस्लिम है तो उसको दफ़नाया,शरीफ़ चाचा को एक्टर Aamir Khan ने अपने चर्चित शो “सत्यमेव जयते” में बुलाया और उनके तमाम सामाजिक कार्यो को दुनिया के सामने अपने शो के द्वारा रखा।

साल 2020 में भारत सरकार ने शरीफ चाचा को पद्मश्री अवार्ड से सम्मनित करने के लिए 95 लोगों की सूची में शामिल गया,शरीफ़ चाचा ने अवार्ड हासिल करने के लिए 2500 रुपये अपने पड़ोसी से उधार लिये और दिल्ली जाने के लिए ट्रेन का टिकट कराया लेकिन लॉक डाउन की वजह से राष्ट्रपति भवन में होने वाला अवार्ड प्रोग्राम स्थगित हो गया,शरीफ़ चाचा आज भी उस अवार्ड का इन्तेज़ार कर रहे है,शरीफ़ चाचा कि ख़्वाहिश है कि भले अवार्ड अपने हाथों से ना लू लेकिन किस तारीख़ को मिलेगा वह तारीख़ अपने जीते जी जानने के लिए ख्वाहिशमंद है,अफ़सोस कि लावारिश लाशों का वारिश आज खुद लावारिश अवस्था मे जीवन यापन कर रहा है,शरीफ़ चाचा साईकल सुधार अपना घर चलाते थे लेकिन बीमार होने के लिए कारण बिस्तर पर है पैसे ना होने के कारण दवाई से भी जूझ रहे थे घर में राशन नही बीमारी से लड़ने के लिए दवाई नही ख़बर लेने वाली सरकार नही मदद करने वाली संस्था नही।

शरीफ़ चाचा के गुर्दे ख़राब हो चुके है, किडनी फेल हो चुकी है,उनके पास कुछ सस्ती दवाइयां है और एक बिस्तर है, अफसोस लावारिश लाशों के वारिस के लिए अस्पताल में बैड तक नसीब नही हो रहा है, उम्मीद है चाचा शरीफ़ की मदद के लिए सरकार आगे आयेगी, कुछ संस्थाएं और लोग आगे आयंगे और लावारिश लाशों के वारिस शरीफ़ चाचा को महसूस कराएंगे कि लावारिश लाशों के वारिश चाचा लावारिश नही है, हर व्यक्ति उनके साथ है और दुआएँ उनके साथ है,भारत सरकार से अपील है कि चाचा को इलाज और जल्द उन्हें उनका हक(पद्मश्री अवार्ड) दिया जाये।

रिपोर्ट : ब्यूरो चीफ बिजनौर एक्सप्रेस

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