न्यूज डेस्क, बिजनौर एक्सप्रेस न्यूज़। Edited by: विकास आर्य | Updated 20 Dec 2022
चीन में एक बार फिर से कोरोना ने कहर ढाना शुरू कर दिया है। अस्पतालों में मरीजों की संख्या में 85 से 95 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है। आलम ये है कि अस्पतालों में बेड की कमी हो गई है। मरीजों को फर्श पर लेटाकर उनका इलाज किया जा रहा है।
डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ की भी कमी हो गई है। दवा और ऑक्सीजन का संकट भी गहराने लगा है।हर रोज सैकड़ों लोग दम तोड़ रहे हैं। इतनी मौतें हो चुकी हैं कि अस्पतालों में अब लाश रखने की जगह भी नहीं बची है। रूम से लेकर अस्पताल के बाहर तक लाशों को रखा जा रहा है। कब्रिस्तानों में अंतिम संस्कार के लिए लंबी-लंबी कतारें लग रहीं हैं।
कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते चीन की सड़कों पर सन्नाटा पसर गया है। स्वस्थ्य लोग घरों से निकलने से डर रहे हैं और बीमार लोग अस्पतालों में मौत से जूझ रहे हैं। इसके पहले चीन की सरकार ने कोरोना के रोकथाम के लिए लॉकडाउन भी लगाया था।
कोरोना जांच केंद्रों पर लोगों की लंबी-लंबी लाइनें लग रहीं हैं। एनबीआर की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस साल ठंड में चीन के आठ करोड़ से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हो सकते है। रिपोर्ट में कहा गया है कि संक्रमण के बढ़ने की रफ्तार सबसे तेज होगी।
अस्पतालों में मरीजों की संख्या में हुए इजाफे की वजह से बेड और दवाइयों की कमी होने है। अभी चीन में एक लाख लोगों के बीच केवल 10 आईसीयू बेड की व्यवस्था है। ऐसे में संक्रमितों की लगातार बढ़ती संख्या और बेड की कमी के चलते मरीजों को फर्श पर लिटाया जा रहा है।
चीन के कई शहरों में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं। व्यवसायिक क्षेत्र पर भी संक्रमण का असर देखने को मिला है। इन केंद्रों पर कामगारों की एक साथ ज्यादा भीड़ न जुटे, इसके लिए व्यवस्था की जा रही है।
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