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नजीबाबाद का यह ताजमहल किसी आशिक ने अपनी बीवी के लिए नहीं बल्कि एक बीवी ने अपने शौहर की याद में बनाया था

उत्तर प्रदेश: के जनपद बिजनौर में बसे नजीबाबाद का ताजमहल कहें जानें वालें चारमीनार का एक यादगार सफर आप को ये बता दू की य ताजमहल किसी आशिक ने अपनी महबूबा के लिए नहीं बल्कि एक बीवी ने अपने शौहर कि याद में बनवाया था,

दुनिया आज एक सच्चे दिल से प्यार करने वाली इस औरत के जज्बे को दर किनार कर चुकी हैं लेकिन मोहब्बत के इस जज्बे को सलाम उत्तरप्रदेश सरकार को चाहिए कि वो किसी भी तरह इस निशानी को बनाये रखे जो धीरे धीरे मिटती जा रही है नजीबाबाद मे हर मोहब्बत के सर पर ताज है. मगर अफसोस कि नजीबाबाद में मोहब्बत करने वालो के मकबरा भी मोहताज़ है उत्तर प्रदेश में बिजनौर जनपद के नजीबाबाद शहर में बने ताजमहल के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।

लगभग 246 साल पूर्व चारमीनार नाम के इस ताजमहल को एक बेगम ने अपने पति की याद में बनवाया था।दिल्ली से लगभग 190 किलोमीटर की दूरी पर नजीबाबाद के नाम से प्रसिद्ध शहर को एक रूहेला सरदार नजीबुद्दौला ने बसाया था नजीबाबाद उत्तराखंड का प्रवेश द्वार है कोटद्वार के रास्ते यहां से उत्तराखंड आया जाया जाता है। नजीबुद्दौला ने इस शहर में कई महत्वपूर्ण एवंम खूबसूरत भवन बनवाएं जो अब अपने यहाँ होने पर आॅसू बहा रहे हैं,

इसी नवाब नजीबुद्दौला के नवासे नवाब जहांगीर खान की याद में उनकी बेगम ने चारमीनार नाम से शानदार मजार बनवाया नवाब जहांगीर खान की शादी किरतपुर के मुहल्ला कोटरा में हुई थी। शादी के दो साल बाद वह अपनी बेगम को लेने कोटरा गए हुए थे। लौटते समय जश्न की आतिशबाजी के दौरान छोड़ा गया गोला गांव जीवनसराय के पास आकर नवाब जहांगीर खान को लगा और उनकी मौत हो गई। उस हादसे से उनकी बेगम को बहुत धक्का लगा।उन्होंने नवाब की याद में नजीबाबाद के पास मोजममपुर तुलसी में चारमीनार नाम का शानदार मकबरा बनवाया।इस मकबरे के चारों ओर चार मीनारें हैं। एक मीनार की गोलाई 15 फुट के आसपास है। प्रत्येक मीनार तीन खंडों में बनी है। दो मीनारों में ऊपर जाने के लिए 26-26 पैड़ी बनी हुई है। इनसे बच्चे और युवा आज भी मीनार पर चढ़ते उतरते हैं। लखौरी ईंटों से बनी इन मीनारों की एक दूसरे से दूरी 50 फुट के आसपास है। चारों मीनारों के बीच में बना भव्य गुंबद कभी का ढह गया। बताया जाता है कि इसी गुंबद में नवाब जहांगीर खान की कब्र है। हॉल में प्र्रवेश के लिए मीनारों के बीच में महराबनुमा दरवाजे बने हैं। मीनारें भी अब धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त हो रही हैं। मीनारों के नीचे के भाग की हालत बहत ही खराब है। उनकी ईंट लगातार निकलती जा रही हैं।

नजीबाबाद और बिजनौर जनपद के इतिहास के जानकार बेगम द्वारा बनवाए गए इस चारमीनार ताजमहल के बारे में तो बात करते हैं, लेकिन वे यह नहीं बता पाते कि बेगम का नाम क्या था और वह कब तक जिंदा रहीं। यह भी कोई नहीं बता पाता कि इसके निर्माण पर कितनी लागत आई। ध्वस्त होने को तैयार पुरातात्विक महत्व के इस मकबरे के तुरंत सरक्षण की जरूरत हे

तैय्यब अली भाई

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