डाॅकू सुल्ताना से अभिलेख और साक्ष्य बचाने के लिए अंग्रेज़ों ने इंग्लैंड से मंगायी थी यह खास तिजोरी, जो आज भी महफूज है

🔹आज #सुल्ताना_डाकू इस दुनिया मे मौजूद नही है जो अमीरो को लूट कर गरीबो को खिलाए

Bijnor: बात उस समय कि है जब पश्चिमी उत्तर प्रदेश का लंबा चौड़ा क्षेत्र मेरठ कमिश्नरी के अंतर्गत आता था उस जमाने मे डाकुओं का काफी आतंक था ब्रिटिश शासक भी डाकुओं से भयभीत रहते थे उस समय अपराध तो बहुत कम थे परंतु डाकुओ के गिरोह ज्यादा सक्रिय थे आजादी के दीवाने भी अपनी ताकत से अंग्रेजों के पांव उखाड़ रहे थे डाकुओं से सुरक्षा और आंदोलनकारियों पर दबाव बनाने के लिए जनपद बिजनौर के नांगल व स्योहारा थानों की स्थापना करनी पड़ी थी

सुल्ताना डाकू की कहानी को लेकर फिलिप मेसन की किताब ‘द मैन हू रूल्ड इंडिया’ में लिखा है कि सुल्ताना डाकू का उस जमाने मे इस कदर ख़ौफ था कि अगर किसी दूर-दराज के पुलिस थाने के आगे से वह गुजरता तो सिपाही उसे अपने हथियार सौंप दिया करते थे वह जिन गांवों में डकैती डालता था वहा पोस्टर लगा दिया करता था कि फला समय डाका डालने आउँगा उसके खिलाफ कोई गवाही देने वाला नही मिलता था बनिये धनाड्य लोग उससे डरते और नफ़रत करते थे लेकिन सुल्ताना गांव के गरीबो के बीच काफी मशहूर था क्योंकि वह लूटा हुआ माल गरीबों में बांट देता था सुल्ताना को गरीबों का मसीहा भी कहा जाता था

डाकू सुल्ताना के खौफ से बचने के लिए ब्रिटिश सरकार ने उस समय इंग्लैंड से मंगायी थी यह काली तिजोरी जो आज भी महफूज है
आजकल इस तिजोरी का इस्तेमाल मुरादाबाद पुलिस महत्वपूर्ण अभिलेख और साक्ष्य सुरक्षित रखने में कर रही है

सन 1897 के लगभग कि बात है देहरादून से लेकर नजीबाबाद मुरादाबाद नैनीताल हल्द्वानी के थानों और पुलिस चौकियों में खजाने को सुल्ताना डाकू से महफूज रखने के लिए ब्रिटिश सरकार ने एक अनोखी तरकीब निकाली थी इंग्लैंड मे एक ऐसी तिजोरी का निर्माण कराया गया था जिसको तोड़ना तो बहूत दूर कि बात थी इस तिजोरी को जलाया भी नहीं जा सकता था।

इस तिजोरी को आग में रखने के बाद भी उसमें रखा सामान पूरी तरह से महफूज रहता है यह तिजोरी दीवार में चिनवाई गई है।

इस तिजोरी को उस समय समुद्री जहाज की मदद से इंग्लैंड से भारत लाया गया था इस तिजोरी का वजन लगभग दो सो किलोग्राम से भी अधिक है।

सुल्ताना डाकू से जुड़े नांगल थाने के अभिलेखों का उर्दू से अनुवाद करने पर कई रोचक जानकारियां सामने आई है जब सुल्ताना डाकू ने नांगल थाने की बिजनौर पुलिस चौकी में लूटपाट की थी तब सरकारी खजाने को मुरादाबाद मे रखी इस काली तिजोरी मे खजाना रखा गया था ब्रिटिश सरकार को शक था कि सुल्ताना को कही इस तिजोरी की भनक तो नही लग गयी

बिजनौर कि लूट के बाद सुल्ताना डाकू ने मुरादाबाद मे हमला कर दिया इस हमले कि घटना ने ब्रिटिश सरकार को हिलाकर रख दिया था।

इसके बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के थानों व पुलिस चौकियों को डाकू सुल्ताना से महफूज रखना ब्रिटिश सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गयी थी इस ब्रिटिश कालीन तिजोरी का इस्तेमाल आज भी थाने के महत्वपूर्ण अभिलेख और साक्ष्य सुरक्षित रखने में हो रहा है।

प्रस्तुति———-तैय्यब अली

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