बिजनौर के स्योहारा में मोहल्ला शेखान स्थित 300 साल पुरानी गौरैया वाली हवेली में करीब 2,000 गौरैया पल रही हैं। पिछले 300 सालों से यह हवेली उनका घर बना हुआ है। यह हवेली शेखों की है।
इतने सालों से गौरैया इस हवेली में रहती रही हैं, उसके पीछे परिवार के बुजुर्गों का बड़ा हाथ है यह हवेली शेखों की है। इस हवेली के पुरखे अपनी संतानों को इसे विरासत में देने से पहले एक वादा लेते हैं। वादा यह कि वे गौरेयों की देखरेख करते रहेंगे। यह परंपरा पीढ़ियों से चलती आ रही है।
हाल ही में गौरैया दिवस पर केक काटकर गौरैया दिवस मनाया गया। शामिल हुए युवाओं को घोंसला देकर घर में लगाने का आह्वान किया। बृहस्पतिवार को मोहल्ला शेखान निवासी गौरैया प्रेमी फराज शेख के घर गोरैया दिवस मनाया गया।
डीएफओ ज्ञान सिंह व समाजसेवी डॉ. मनोज वर्मा ने केक काटा। डीएफओ ने कहा कि हर साल 20 मार्च को विश्व गौरेया दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य गौरैया और अन्य सामान्य पक्षियों की घटती संख्या के प्रति जागरूकता, बढ़ावा और उनके संरक्षण के प्रयास करना है।
समाजसेवी डॉ. मनोज वर्मा ने कहा कि आधुनिक घरों में गौरैया को घोंसले बनाने की जगह नहीं मिलती है। गौरैया काकून, बाजरा, पके हुए चावल के दाने आदि खाती है। प्राकृतिक भोजन के स्त्रोत समाप्त होते जा रहे हैं। गौरैया बबूल, कनेर, नींबू, अमरूद, अनार, मेहंदी व बांस आदि पेड़ो को पसंद करती हैं।
गौरैया प्रेमी फराज शेख कहते है कि घर में बचे हुए खाने को अपनी छत पर रखने के साथ मिट्टी के बर्तन में पानी व दाना भी जरूर रखें। इस मौके पर रेंजर जीआर गंगवार, पूर्व विधायकै इंद्रदेव सिंह, डॉ. मनोज वर्मा, मुकेश रस्तौगी, रजत रस्तौगी आदि मौजूद रहे
बिजनौर एक्सप्रेस के साथ इसरार अहमद धामपुर
©Bijnor Express
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