▪️आज अल्पसंख्यक ही नहीं बल्कि देश का संविधान और लोकतंत्र खतरे में, मौलाना अरशद मदनी
▪️तो क्या वाकई देश में जुलूसों के बहाने मुसलमानों को निशाना बनाने का सुनियोजित अभियान हैं चल रहा हैं,
New Delhi: वैसे तो उपद्रवियों को सबक सिखाने के लिए कुछ लोग ऐक्शन बुलडोजर को जायज बता रहे हैं। लेकिन इस मामले ने अब देश की सियासत गरमा दी है। वहीं इस मामले ने अब मजहबी रंग लेना भी शुरू कर दिया है। विपक्ष का आरोप है कि बीजेपी के बुलडोजर (Opposition against BJP bulldozers) पर नफरत और दहशत सवार है। इनके जरिये मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है। उनका यह भी कहना है कि किस हक से सरकार आरोपियों के घर पर बुलडोजर चला रही है। ऐसा करने का अधिकार किस संविधान में है। उन्होंने इसे अत्याचार और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया है।
इस पूरे मामले को समझते हैं।
दरअसल हाल ही में यूपी चुनाव के दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए ‘बुलडोजर बाबा’ शब्द का इस्तेमाल किया था। तब उन्होंने यही भी आरोप लगाया था कि सीएम का बुलडोजर सिर्फ मुसलमानों के लिए है। इसकी मंशा अल्पसंख्यक समुदाय में डर और दहशत फैलाना है। यूपी विधानसभा चुनाव में कानून व्यवस्था एक अहम मुद्दा था। योगी सरकार ने कानून व्यवस्था के मोर्चे पर पुरानी सरकारों को कठघरे में खड़ा किया था। माफियाओं के खिलाफ बुलडोजर चलाकर योगी ने कड़ा मैसेज दिया था।
खरगोन पर सियासत गरम
रविवार को रामनवमी के जुलूस पर पथराव और आगजनी की हिंसक घटनाओं के बाद खरगोन शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया था। अब इस पर सियासत गरम हो गई है। इसने साम्प्रदायिक रंग ले लिया है। एमपी के पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘क्या खरगोन प्रशासन ने लाठी, तलवार जैसे हथियारों को लेकर जुलूस निकालने की इजाजत दी थी? क्या जिन्होंने पत्थर फेंके चाहे जिस धर्म के हों सभी के घर पर बुलडोजर चलेगा? शिवराज जी, मत भूलिए आपने निष्पक्ष हो कर सरकार चलाने की शपथ ली है।’
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को बीजेपी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सत्ता में बैठे लोगों को महंगाई और बेरोजगारी जैसी समस्याओं पर बुलडोजर चलाना चाहिए। लेकिन, बीजेपी के बुलडोजर पर तो नफरत और दहशत सवार है। खरगोन में रामनवमी पर हुई हिंसा के आरोपियों के घरों और दुकानों पर बुलडोजर चलाए जाने की पृष्ठभूमि में राहुल गांधी ने यह टिप्पणी की।
AIMIM के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने एमपी सरकार के इस ऐक्शन को गैर-कानूनी करार दिया। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट रूप से राज्य की मिलीभगत हिंसा है। यह जिनेवा कन्वेंशन का गंभीर उल्लंघन है। मध्य प्रदेश सरकार ने किस कानून के तहत मुस्लिम समुदाय के घरों को ध्वस्त कर दिया है?
योगी और शिवराज के तरीकों पर सवाल उठना लाजिमी है। हिंसा होने पर कोर्ट का आदेश आने से पहले किसी का घर गिरा देना कितना सही है? यह जस्टिस सिस्टम के सामने भी एक बड़ा सवाल है। कोर्ट में मामलों को निपटने में जिस तरह सालों-साल लग जाते हैं, उससे लोग परेशान हो चुके हैं। वो तुरत-फुरत फैसला चाहते हैं। यूपी में गैंगस्टरों के खिलाफ बुलडोजर ऐक्शन होना लोगों को पसंद आया। विकास दुबे, ध्रुव कुमार सिंह, सुंदर भाटी, अनिल भाटी, अमित कसाना, उमेश राय, त्रिभुवन सिंह… फेहरिस्त लंबी है। ये मुसलमान नहीं थे। हालांकि, इन सभी गैगस्टरों की यूपी में बुलडोजर चलाकर कमर तोड़ी गई। शायद शिवराज सिंह चौहान भी इसी ट्रेंड को अपने राज्य में फॉलो करना चाहते हें।
यही वजह है कि अब जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट जानें का फैसला किया है, मौलाना अरशद मदनी ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है कि विभिन्न राज्यों में मुसलमानों की संपत्ति पर बुलडोज़र चलाने के खिलाफ जमीअत उलमा-ए-हिन्द सुप्रीम कोर्ट पहूंची आज अल्पसंख्यक ही नहीं बल्कि देश का संविधान और लोकतंत्र खतरे में,
वहीं बिजनौर के सोशल एक्टिविस्ट आसिद नजीबाबादी ने लिखा है कि मस्जिद के सामने जाओ और वहां पर भगवे झंडे फहराओ या फिर उत्तेजित नारेबाजी करो, जवाब मिले तो हमपर हमला हुआ है, में पहले भी कह चुका हूँ अस्ल में यह सब कुछ कुछ संगठित लोगों के द्वारा सोची-समझी रणनीति के तहत किया जा रहा हैं, जैसे कि पिछले दिनों कोरोना महामारी के समस तब्लीगी जमात के साथ किया गया था, उन्होंने आगे फेसबुक पर लिखा कि मैं अपनी लिस्ट में शामिल सभी हिंदू साथियों से पूछना चाहता हूं कि अगर आगामी मुस्लिम जुलूस में मुस्लिम भी मंदिरों के सामने जाकर, हिंदू धर्म और उसके मानने वाले लोगों के विरुद्ध उत्तेजित नारेबाजी वह मंदिरों पर हरा झंडा फहराएंगे तो आप का जवाब क्या होगा..??
▪️मध्य प्रदेश के खरगोन में दंगों के बाद अल्पसंख्यकों की संपत्ति गिराना फासीवाद पर आधारित कार्रवाई: जमीअत उलमा ए हिंद
इससे पहले राम नवमी के अवसर पर हिंसात्मक घटनाओं पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने मध्य प्रदेश के गृह मंत्री को पत्र लिखा था जिसमे कहा गया था कि राम नवमी के त्योहार के अवसर पर देश के कई राज्यों विशेषकर मध्य प्रदेश के खरगोन में हुई साम्प्रदायिक हिंसा और इसके बाद सरकार एवं प्रशासन द्वारा आरोपियों के घरों और दुकानों के विध्वंस पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने कड़ी आपत्ति और चिंता व्यक्त की है।
मौलाना मदनी ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि दंगाइयों ने देश में आदत बना ली है कि वह मुस्लिम मोहल्लों में नफरत पर आधारित नारे लगाते हैं, वहां अत्यधिक भड़काऊ कृत्यों को अंजाम देते हैं और मस्जिदों और मस्जिदों एवं इबादतगाहों का अपमान करते हैं। उन्हें इस सम्बंध में कानून वयवस्था की तरफ से कोई बाधा या कठिनाई भी नहीं है।
मौलाना मदनी ने इस सम्बंध में गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर ध्यान आकर्षित कराया है कि वह ऐसी बेकाबू हो रही स्थिति पर रोक लगाएं और देश को अराजकता की राह पर लगातार चलने से रोकें। मौलाना मदनी ने विशेषकर मध्यप्रदेश के खरगोन में हुई घटना पर प्रकाश डालते हुए लिखा है कि यहां अल्पसंख्यक समुदाय को काफी नुकसान उठाना पड़ा है।
असामाजिक तत्वों के जरिए कई घरों और धार्मिक स्थलों को आग के हवाले कर दिया गया और लूटमार की गई। यह देखना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिंसा फैलने के बाद अब स्थानीय प्रशासन अल्पसंख्यक समुदाय को परेशान करने पर तुला हुआ है। मुस्लिम संपत्ति और उनके घरों को चिह्नित कर के तोड़ा जा रहा है।
मौलाना मदनी ने सवाल उठाया कि ऐसा किस कानून के तहत किया जा रहा है? जबकि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रत्येक आरोपी को निष्पक्ष सुनवाई, जमानत, फौजदारी के वकील की सेवाएं, मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त करने का अधिकार है। यही नहीं यह भारत में अदालतों द्वारा अपनाया गया एक सामान्य कानूनी सिद्धांत है कि जब तक कोई आरोपी दोषी साबित न हो जाए, उसके साथ निर्दोषों की तरह की व्यवहार किया जाएगा। लेकिन अब मध्य प्रदेश की सरकार घरों को गिराकर भारत के संविधान का उल्लंघन करते हुए फासीवादी कृत्य को अंजाम दे रही है और बड़ी बेशर्मी से इसका बचाव भी कर रही है।
मौलाना मदनी ने गृह मंत्री से शिकायत की कि जमीयत उलेमा की स्थानीय इकाई को प्राप्त हुई रिपोर्ट के अनुसार स्थानीय पुलिस टीम अल्पसंख्यक समुदाय में भय का माहौल पैदा कर रही है। यह सब देखकर देश के सभी हिस्सों में अल्पसंख्यक समुदाय में अन्याय की गहरी भावना पाई जाती है। मौलाना मदनी ने गृह मंत्री से मांग की कि खरगोन हिंसा की सच्चाई को सामने लाने के लिए एक उच्च स्तरीय न्ययिक जांच कमेटी का गठन करें।
साथ ही उन सभी लोगों के विरुद्ध मुकदमा चलाया जाए जिन्होंने जुलूस के दौरान हिंसा को हवा दी और जिसके कारण यह पूरी घटना हुई। कानून का पालन कराने वाली एजेंसियों के भेदभावपूर्ण रवैये का संज्ञान लेते हुए संपत्तियों के विध्वंस को तुरंत रोका जाए।
वहीं जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी लगातार जमीयत उलेमा-ए- खरगोन के अधिकारी मुफ्ती रफीक और हाफिज इदरीस से रिपोर्ट ले रहे हैं और कानून-व्यवस्था बनाए रखने की पूरी कोशिश कर रहे हैं
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