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बिष्ट ने नई शिक्षा नीति पर महत्वपूर्ण बिंदुओं पर की चर्चा

नजीबाबाद न्यूज़:- डॉ एल एस बिष्ट प्रान्त मंत्री विद्या भारती प उ प्र, आप सभी पत्रकार बंधुओं के सम्मुख नई शिक्षा नीति 2020,  जिससे भारत सरकार ने 29 जुलाई को 2020 को स्वीकृत किया है, के कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को आप सबके सम्मुख रख रहा हूं। इसमें पहली शिक्षा नीति के तुलना में अनेक बुनियादी परिवर्तन किए गए हैं। पहली शिक्षा नीति जैसा कहा जाता है की मैकाले पद्धति पर चल रही थी। इस नई शिक्षा नीति को लगभग पूर्ण रूप से बदल दिया गया है। जो  महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए हैं उन्हें कुछ विंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है।


1- बाल मनोविज्ञान एवं बाल विकास की अवस्थाओं को आधार बनाकर शैक्षिक संरचना:- पहले की स्कूली शिक्षा 10 + 2 प्रणाली पर आधारित थी। जिसमें बाल मनोविज्ञान का ध्यान नही रखा गया था। बच्चों के विकास के चार स्तर या अवस्थाएं होती हैं। यथा- शैशवावस्था, बाल्यावस्था, किशोरावस्था तथा तरुणावस्था। इसी के आधार पर अब यह प्रणाली  5 + 3 + 3 + 4 प्रणाली पर बनाई गई है।
तीन साल की उम्र में स्कूलिंग प्रारंभ होगी।
3 से 8 वर्ष की आयु के बच्चों को फाउंडेशनल स्टेज की शिक्षा दी जायेगी। इसमें दो ग्रुप होंगे। प्रथम 3 से 6 वर्ष की आयु तक बच्चा आंगनवाड़ी अथवा प्रीस्कूल अथवा बाल वाटिका में पढ़ाई करेगा। इन बाल वाटिकाओं का शिक्षण ई सी सी ई के अनुसार होगा। जिसमें कोई न तो कोई अक्षर ज्ञान कराया जाएगा और न अंक ज्ञान। केवल उनको सामान्य व्यवहार और उनके विकास के संबंध में क्रमशः बताया जाएगा। तथा द्वितीय 6 से 8 वर्ष की आयु के बच्चों की पढ़ाई को फाऊंडेशनल स्टेज के नाम से पुकारा जाएगा। जिसमें बच्चा ग्रेड 1 और 2 की कक्षाओं को पास करेगा। कक्षा एक में सामान्य व्यवहार में दक्षता और कक्षा दो में अंक ज्ञान और अक्षर ज्ञान की शिक्षा दी जाएगी।


8 से 11 साल के बच्चों को प्रीपरेटरी स्टेज का कहा जायेगा तथा  ग्रेड 3 से 5 की कक्षा पास करनी होगी। इसके अंतर्गत विभिन्न विषयों का ज्ञान खेल खेल में शिक्षा व  क्रियात्मक शिक्षा के माध्यम से कराया जाएगा।
11 से 14 साल के बच्चों को मिडिल स्टेज के नाम से जाना जाएगा। इसमें ग्रेड 6 से 8 की परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। इस श्रेणी में ज्यादा ध्यान अनुभवजन्य अध्ययन पर रहेगा। इस श्रेणी के अंतर्गत विज्ञान, गणित, कला, सामाजिक विज्ञान और मानवीय विज्ञान की पढ़ाई कराई जाएगी।
इस श्रेणी के अंतर्गत कोई भी विद्यार्थी अपनी रूचि के अनुसार किसी भी वोकेशनल विषय को चुन सकेगा और महीने में 10 दिन बिना बस्ता विद्यार्थी इंटर्नशिप और वोकेशनल ज्ञान प्राप्त करेगा। 14 से 18 वर्ष की पढ़ाई उम्र में ग्रेट 9 से 12 जिसे सेकेंडरी स्टेज के नाम से जाना जाएगा। इसमें ग्रेड 9–12 की परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। यह श्रेणी मल्टीडिसीप्लिनरी अध्ययन पर आधारित होगी, जिसमें विद्यार्थी को विषय चुनने की स्वतंत्रता होगी। साथ ही उसकी क्रिटिकल थिंकिंग को विकसित करने के लिए अलग-अलग उपागमों पर कार्य किया जायेगा।


यह जो चार  5+3+3+4 अवस्थाएं हैं बाल मनोविज्ञान के अनुसार की गई है- 8 साल तक बच्चे की शिशु अवस्था कहलाती  है। 8 से 11 साल की बाल अवस्था कहलाती है। जबकि 11 से 14 साल की उम्र किशोरावस्था तथा 14 से 18 साल की उम्र तरुणावस्था कहलाती है।  इसी आधार पर यह चार अलग-अलग स्टेज या अवस्थाएं बनाई गई हैं। जो किसी भी बच्चे के संपूर्ण विकास की आधारभूत अवस्थाएं होती हैं।
स्कूल स्तर पर परीक्षाएं 3 लेवल की होंगी — एक कक्षा 3 में, दूसरी कक्षा 5 में और तीसरी कक्षा 8 में। अन्य कक्षाओं में बच्चों को केवल सामान्य एसेसमेंट के आधार पर अगली कक्षा में प्रमोट किया जाएगा। बोर्ड लेवल पर परीक्षाएं तो अवश्य होंगी, परंतु परीक्षाएं बच्चे के मानसिक स्वरूप और क्षमता के साथ-साथ उसके रुचि और सीखने की प्रवृत्ति को ध्यान में रखकर की जाएगी। इसमें दो बोर्ड परीक्षाएं होंगी- एक मुख्य परीक्षा और दूसरी इंप्रूवमेंट की परीक्षा छात्र दे सकेगा। इस बर्ग में एक और महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि कक्षा 5 तक की पढ़ाई केवल मातृभाषा अथवा स्थानीय भाषा में ही होगी। कक्षा 8 और इसके ऊपर भी इसी माध्यम को छात्र चुन सकेगा। इस बर्ग में दूसरा महत्वपूर्ण बिंदु कक्षा 6 से व्यवसायिक शिक्षा का है। अर्थात छात्र अपनी रूचि के अनुसार किसी भी प्रकार की व्यवसायिक शिक्षा ग्रहण कर सकता है और साथ ही किसी भी प्राइवेट संस्थान से इंटर्नशिप करने की स्वतंत्रता उसे रहेगी।

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