🔹मुस्लिम युवाओं का बड़ा सवाल अब इन लोगों को बिना गुनाह के 19 साल से ज़्यादा समय तक जेल में रखने की ज़िम्मेदारी कौन लेगा?
Gujraat: 2001 में गुजरात के सूरत से सिमी तंज़ीम के सदस्य होने के आरोप में 125 लोगों को गिरफ्तार किया गया था उस मामले में बीस साल बाद गुजरात की एक कोर्ट ने उन सभी सिमी के सदस्यों को बाइज़्ज़त बरी कर दिया है,
सूरत की एक अदालत ने 6 मार्च को 122 लोगों को प्रतिबंधित SIMI के सदस्य के तौर पर दिसंबर 2001 में हुई एक बैठक में शामिल होने के आरोप से ये कहते हुए बरी किया है कि ‘आरोपियों को UAPA के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता,
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन यह साबित करने के लिए ”ठोस, विश्वसनीय और संतोषजनक” साक्ष्य पेश करने में नाकाम रहा कि आरोपी सिमी से जुड़े हुए थे
आप को बता दें कि अक्टूबर 2001 तक गुजरात के मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल थे जो भाजपा से थे और अक्टूबर 2001 के बाद नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम बने थे, और उस वक़्त सेंट्रल में भाजपा की सरकार थी और अटल जी प्रधानमंत्री थे…
सुरत के एज्युकेशन के प्रोग्राम में आयें पूरे भारत से आनेवाले मुसलमानों को ‘सीमी’ (SIMI) के आरोप में पकडे गये 127 आरोपियों को सुरत चीफ मेजिस्ट्रेट ने 20 साल बाद सभी को बा ईज्जत बरी किया..
दरअसल आँल इन्डिया माइनोरिटीज एज्युकेशनल बोर्ड के जरिये सुरत में राजश्री हाल में मुसलमानों के एज्युकेशन के मस्लों पर बात करने के लिये एक सम्मेलन बुलाया गया था. सुरत पुलिस के अठवा पुलिस इनस्पेक्टर पंचोली ने खूफिया जानकारी का हवाला दे कर संम्मेलन में शामिल सभी मुसलमानों को ‘सीमी'(SIMI) के कार्यकर्ता बता कर गिरफ्तार कर लिया था,
जिसमे पूरे भारत से आलिम, डोकटर, एन्जीनीयर्स और सोश्यल एकटिविस्ट शामिल थे. उन पर यह इल्जाम था कि वह लोग कुछ गलत काम के इरादे से जमा हुये है. 11 महीने जेल में रखने के बाद गुजरात हाईकोट ने सब को जामानत दी इस दौरान मिडिया ने इन लोगों के खिलाफ जहरीला प्रचार-प्रसार किया…बहुत से की नौकरीयां चली गई, करोबार खत्म हो गये, बदनामी के दाग से हर जगह लोकल पुलिस उन्हें परेशान करती रही..
आज 20 साल बाद सुरत चीफ मैजिस्ट्रेट ए.एन. दवे साहब ने ‘सीमी’ (SIMI) के आरोप में पकडे गये सभी आरोपीयों को बाइज्जत बरी किया…20 साल तक कोर्ट के चक्कर खाने के बाद आज इन्साफ मिला,
रिहा होने वाले लोगों के वकील एडवोकेट एम एम. शेख साहब ने बताया कि- “किसी भी आरोपी के खिलाफ प्रतिबंधित संस्था ‘सीमी’ के होने का कोई सबूत न मिलने की वजह से कोर्ट ने सभी को बाइज्जत बरी किया है.
कोर्ट ने यह भी स्वीकार किया कि किसी ने भी कोई गैरकानूनी काम नही किया है.” आरोपियों की और से व्हील चेर में आयें 86 साल के सहारनपुर के मौलाना अताउर रहेमान वजदी साहब ने कहा कि- “पुलिस और एडमिनिस्ट्रेशन के जरिये अपनेी ताकत का गलत इस्तेमाल कर के अगर इसी तरह किसी को 20 साल परेशान किया जायें, तो यह मुल्क और समाज के लिये बडी गलत मिसाल साबित होगी. जिन 127 लोगों को और उन के परिवारवालों को 20 साल जो भुगतना पडा उस का मुआवजा कौन भरपाई करेगा ??”