Uttar Pradesh: इन दिनों सियासी अखाड़े का मुख्य केंद्र पश्चिमी यूपी का रामपुर “Raampur” बना हुआ है, यहाँ निशाना साधने वालीं सत्ताधारी पार्टी वह उसके मुख्या है, वहीं यह निशाना सपा के शीर्ष नेता आजम खां और उनके द्वारा बनाई गई विश्वस्तरीय मौहम्मद अली जौहर युनिवर्सिटी हैं,
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दरअसल मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी भव्यता में देश की वर्ल्ड क्लास युनिवर्सिटी नजर आती हैं और इस युनिवर्सिटी को बनाने के देशवासियों को आज़म खां पर गर्व करना चाहिए था..
लेकिन क्या वजह है कि देशवासी इस पर बोलना तो छोड़िए इसको बचाने तक के लिए तैय्यार नहीं दिखाई दे रहे है, वहीं उनकी पार्टी भी सिर्फ़ दिखावा करने तक ही सीमित रह गयीं हैं
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समय-समय पर सरकारों द्वारा बनाई गई कमेटियों वह उनकी जांच-पड़ताल के अनुसार भारत में मुस्लिम समुदाय सबसे बिछड़ा हुआ समुदाय हैं सच्चर कमेटी के अनुसार तो दलितों से भी बदत्तर है वहीं सरकारी सेवाओं और पढ़ाई लिखाई में तो हालात बद से बदत्तर है,
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रामपुर ने अपना नेता चुना जो उनकी इस हालात को बदल सकें और वाकई आजम खां ने यह कर कर दिखा दिया था कुछ हद तक यहीं मुख्य वजह है जो अन्य पार्टियों और सरकार की आंखों में खटक रहीं हैं
वह नहीं चाहते कि हिंदुस्तान के मुसलमानों को उनके प्रतिनिधि मिले और मुसलमानों के हालात बदले दलितों के साथ भी यहीं होता था एक समय भला हो बाबासाहेब अंबेडकर जी का जिन्होंने दलितों को सम्मान वह समाज में उनकी जगह बनाईं,
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देश के कुछ संगठन नहीं चाहतें हैं कि दलित वह मुस्लिम समुदाय पढ़ लिख कर इनकी बराबरी में बैठे इसलिये धीरे-धीरे आरक्षण सहीत सभी मुख्य संस्थानों को नुकसान पहूचाया जा रहा हैं,
आजम खान साहब की कोशिश थी कि अल्पसंख्यक समाज में व्याप्त शिक्षा के पिछड़ेपन को दूर किया जाए और इसके लिए उन्होंने मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय की स्थापना की जिससे अल्पसंख्यक कौम के नौजवानों के भविष्य को उज्जवल बनाया जा सके!
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आप को बता दें कि आज़म ख़ान के ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश सरकार ने लगभग 80 मामले जमीन क़ब्ज़े और धमकी के दर्ज किये हैं,
यहां तक की उनपर मवेशियों की लूट तक जांच में सही दिखा दिये गये।
यानी आज़म खां साहब बकरी/मुर्गी लूट रहे थे ये तरीक़ा था सत्ता को एक खुद्दार नेता को ज़लील करने का लेकिन आप क्या कर रहे थे?
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72 साल की बुजुर्ग महिला पर बिजली चोरी जैसा घटिया इल्जाम लगाकर एफआईआर दर्ज करा दी गयी लेकिन जिस पार्टी के लिए आज़म खान साहब ने अपने 30 साल लगा दिये उस पार्टी के अध्यक्ष ने इसे रस्मी तरीके से एक दो बयान देकर निपटा दिया।
आज़म खान साहब पहले से बीमार चल रहे थे और अब्दुल्लाह के लिए ये सब बहुत मुश्किल था ऐसे में ज़्यादा नहीं तो कम से कम एक अच्छा वकील तो उपलब्ध करा सकते थे,
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ये कहते हुए बुरा लग रहा है लेकिन जब वो अस्पताल में हैं तो उनकी एंटीसिपेटरी बेल के लिए भी कपिल सिब्बल को लड़ना पड़ा, किसके कहने पर सिब्बल साहब ने उस मामले में बहस की ये बताना हल्की बात होगी लेकिन इतना जरूर कह देता हूं कि आपके नेता ने इसके लिए भी कोई प्रयास नहीं किया।
क्या है नया विवाद दरअसल रामपुर सांसद आजम खां की अपील को खारिज करते हुए जिला जज ने मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी का गेट तोड़ने संबंधी आदेश को बरकरार रखा है।
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जौहर यूनिवर्सिटी के गेट को सरकारी भूमि पर मानते हुए साल 2019 में तत्कालीन उप जिलाधिकारी सदर प्रेम प्रकाश तिवारी ने तोड़ने के आदेश दिए थे। साथ ही गेट को अवैध मानते हुए जुर्माना डाला था
एसडीएम कोर्ट के आदेश के खिलाफ आजम खां की ओर से जिला जज की अदालत में अपील दायर की गई थी। जिला जज ने सोमवार को उनकी अपील को खारिज कर दिया। उन्होंने उप जिलाधिकारी के आदेश को सही माना।
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रामपुर की राजनीति आजम खां के इर्द-गिर्द घूमती हुईं नजर आती हैं मोहम्मद आज़म ख़ान का राजनैतिक इतिहास भी जान लीजिए
1- 1980 से 1985 तक पहली बार विधायक
2- 1985 से 1989 तक दूसरी बार विधायक
3- 1989 से 1991 तक तीसरी बार विधायक व कैबिनेट मंत्री
4- 1991 से 1992 तक चौथी बार विधायक व कैबिनेट मंत्री
5- 1993 से 1995 तक पाँचवी बार विधायक व कैबिनेट मंत्री
6- 1996 से 2002 तक सांसद, राज्यसभा
7- 2002 से 2007 तक छटी बार विधायक ( इसी बीच 2002 से 2003 तक विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे और फिर इस बीच 2003 से 2007 तक कैबिनेट मंत्री )
8- 2007 से 2012 तक सातवीं बार विधायक
9- 2012 से 2017 तक आठवीं बार विधायक व कैबिनेट मंत्री
10- 2017 से 2019 तक नौंवी बार विधायक
11- 2019 में सांसद, लोकसभा ( वर्तमान
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आसिद नजीबाबादी का स्वतंत्र लेख ✍️
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