देशभर से आती हिंसा कीं खबरों के बीच कई खबरे ऐसी हैं, जो को झींझोड़ के रख देती हैं बशर्ते आप इंसान हों और आपके अंदर कीं इंसानियत ज़िंदा हों, आप मानवता के पक्षधर हों.
रामनवमी के शुभ अवसर माध्यप्रदेश के खरगोन में मानवता को कलंकित कर देने वाली घटनाएं हुई, जिसमे कई लोगों पर आरोप लगें, लोगों का आरोप हैं इस पूरे मामले में बेशबरी भरी जाँच से एक ही समुदाय को आरोपी करार देते हुऐ, बिना न्यायिक प्रकिया के बुलडोज़र से उनके आशियाने तबाह कर दिए गए,
इस कड़ी में वसीम नामक व्यक्ति का नाम भी सामने आया जिनके ऊपर दंगों में पत्थर बाजी करने का आरोप हैं, लेकिन विडंबना ये हैं वसीम अहमद शेख उर्फ भूरा के 2005 में करंट लगने की वजह से इनके दोनों हाथ काटने पड़े थे. बिना हाथ वाले वसीम शेख पर बुलडोज़र तंत्र चल गया. मध्यप्रदेश पुलिस ने बिना हाथ के पत्थर बाजी करने वाले वसीम कीं गुमटी को जमींदोज कर दिया,
वसीम छोटी मोहन टाकीज के पास गुमटी चलाकर अपनी गुज़र बशर करते थे. लेकिन जिला प्रशासन ने क्रूरता और पूरी कठोरता 11 अप्रैल को उस पर बुलडोजर चलवा दिया और बिना हाथ वाले पत्थर बाज़ वसीम शेख कीं रोजी रोटी का जरिया खत्म कर दिया,
जिस पर कई लोग अपनी प्रतिक्रिया भी दे रहें हैं, लोगों का मानना हैं, इसतरह सत्ता का दुरूपयोग कर मानवता को समाप्त किया जा रहा हैं, सरकार कीं मंशा जो पहले से संदेह के कटघरे में ख़डी हैं, कहा जाता हैं कानून के हाथ बहुत लम्बे होते होते हैं, तो क्या सवाल वाज़िब नहीं कीं एक ऐसे व्यक्ति द्वारा पत्थर फेका जा सकता हैं, जिसके हाथ ही ना हों, क्या ये कहा जाना ठीक होगा, पत्थर फेकने के लिए हाथ ज़रूरत होती या नहीं लेकिन आरोपी होने के लिए आपका मुस्लिम होना ही काफी हैं,
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