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बुरा फंसा वसीम रिज़वी कुरान की 26 आयतें हटाने के लिए पहूंचा था SC शिया संस्था ने सर कलम करने पर रखा 20,000 हजार का इनाम

🔹कुरान की 26 आयतें हटाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे है वसीम रिज़वी,

🔹उनके अपने शिया समुदाय के मुसलमानों ने वसीम रिजवी की याचिका पर जताई नाराजगी,

🔹हसनैन जाफरी डंपी ने रिजवी का सिर काटकर लाने पर इनाम की घोषणा की,

Uttar Pradesh: आप को बता दें कि कुरान शरीफ की 26 आयतों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई: जाने सुप्रीम कोर्ट दाखिल याचिका में क्या कहा गया है

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कुरान की 26 आयतों को बाद में जोड़ी गई आयतें बताते हुए कुरान से हटाने का आदेश देने की मांग की है।सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका शिया वक़्फ़ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी ने दाखिल की है।

याचिक में कुरान की कुछ आयतों कोधर्म के नाम पर नफरत-खून खराबा फैलाने वाला बताया है। याचिका में कहा कि यह आयते देश की एकता-अखंडता के खिलाफ है। इसलिए इनको हटाना चाहिए। याचिका की प्रति देश 56 इस्लामिक संगठनों को भी भेजी गई

याचिका में कहा गया कि इतिहास गवाह है कि पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के निधन के बाद किताब की शक्ल में संग्रहित करने को कहा। उससे पहले तक लोग हजरत के द्वारा दिये गए संदेशों कोमौखिक तौर पर ही याद करते थे

रिज़वी का कहना है कि मोहम्मद साहब के बाद पहले खलीफा हज़रत अबू बकर, दूसरे खलीफा हज़रत उमर और तीसरे खलीफा हज़रत उस्मान के द्वारा कुरान को कलेक्ट करके उसको किताबी शक्ल में जारी किया गया. उन्होंने कहा कि कुरान की कुछ आयतें ऐसी हैं जो आतंकवाद को बढ़ावा देती हैं. साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि इसमें बहुत सी अच्छी बातें भी हैं, जो इंसानियत के लिए हैं।

रिज़वी ने तीनों खलीफाओं पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने ताकत का इस्तेमाल किया. इसी से कुरान में तब्दीली करके इस तरह की आयतों को डाला गया और दुनिया के लिए जारी कर दिया गया. वसीम ने कहा कि वह ताकत का सहारा लेकर पूरी दुनिया में आगे बढ़े हैं. साथ ही, रिज़वी का यह भी कहना रहा कि कुछ आयतों के ज़रिए ही आतंकी सबक ले रहे हैं और उनका ज़हन कट्टरपंथी की तरफ बढ़ रहा है

साभार Awais Usmani

दरअसल शियाने हैदर-ए कर्रार वेलफेयर एसोसिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हसनैन जाफरी डंपी ने वसीम रिजवी का सिर काटकर लाने वाले को 20 हजार रुपये इनाम देने की घोषणा की है।

वहीं, शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि कुरान से एक हर्फ भी नही हटाया जा सकता है।

दरअसल नबूवत के शुरुआती दिनों में जब मक्का के कुरैशियों ने मुसलमानों पर ज़ुल्मो सितम की हद पार कर दी, उन्हें ढूंढ ढूंढ कर मारा जाने लगा, उनके पानी के कुँओं में ज़हर घोल दिया गया तो हज़रत हमज़ा (रजि०) और बाकी सहाबियों (companions of Prophet) ने पैग़म्बर मोहम्मद (SAW) से दरख़ास्त की “अब तो जंग की इजाज़त देदी जाए अब ज़ुल्म की इंतेहा हो चुकी है”, इसके बाद अल्लाह के नबी ने अल्लाह से दुआ की और “सूरह मोहम्मद” नाज़िल हुई….

“सूरह मोहम्मद” में अल्लाह मुसलमानों को हुक़्म देता है कि 4 महीने का इंतज़ार करो, इस दौरान अगर दुश्मन सुलह को राज़ी नहीं होता या ज़ुल्म करना नहीं बंद करता तो फिर लड़ो तब तक कि जब तक फ़तेह नहीं हो जाती, लेकिन सिर्फ उससे लड़ो जो तुमसे लड़े, निहत्थों पर हमला मत करो, औरतों बच्चों और बूढ़ों पर हमला मत करो, पेड़ पौधों को नुकसान मत पहुँचाओ, घरों को आग मत लगाओ, जंग ख़त्म होने के बाद पकड़े गए लोगों को आज़ाद कर दो की उन्हें अल्लाह उनका सिला देगा…

“सूरह मोहम्मद” नाज़िल होने के बाद बदर की जंग होती है जिसमें सिर्फ 300 मुसलमान हज़ारों की फ़ौज़ से मुक़ाबला करते हैं और मुसलमानों को फ़तह हासिल होती है !

इसी “सूरह मोहम्मद” की एक verse उठाकर लोग प्रोपगैंडा करते हैं कि क़ुरान में violance को बढ़ावा दिया गया है, जबकि ये क़ुरान की सबसे ख़ूबसूरत सूरह में से एक है जहाँ जंग के माहौल में भी human rights का ख़्याल रखा गया, उस oppressive और tensed situation में भी 4 महीने तक सब्र करने के लिए कहा गया, उस दौर में जब लोग ज़िंदा गाय की सरामी उतार कर खा जाते थे लोगों को जंग के आदाब बताए गए, उस दौर में जब यूरोप से लेकर इंडिया तक इंसानियत नाम की चीज़ नहीं थी लोगों को well disciplined and humanitarian approach सिखाया गया…

क़ुरान की किसी भी सूरह को आप बिना context के नहीं समझ सकते, हर एक सूरह एक particular circumstance में नाज़िल हुई to tackle that particular issue, आज भी उलमा क़ुरान को समझने के लिए हज़ारों दूसरी किताबें पढ़ते हैं, जिन्हें अलिफ़ की भी पहचान नहीं वो क़ुरान पर अपना opinion दे रहे हैं !!

साभार Taifoor Abdal

वहीं वसीम रिज़वी की कुरान शरीफ़ को लेकर दिए गए बयान के खिलाफ़ रज़ा एकेडमी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया है,

मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन ऑफ़ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष Shujaat Ali Quadri साहब ने भी इस मौक़े पर सुप्रीम कोर्ट में मौजूद रहे और वसीम रिज़वी को समाज में नफ़रत फैलाने और धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए फौरन गिरफ्तारी की मांग की है,

Report by Bijnor express

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