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इस गुफा से है सुलताना डाकू का गहरा संबंध जहां ब्रिटिश पुलिस से अपनी लूट छुपाने के लिए होता था इस्तेमाल।

न्यूज डेस्क, ब्रेकिंग बिजनौर | Edited by : तैय्यब अली (स्वतंत्र लेखक) | बिजनौर | देहरादून | Updated 27 June 2023

देहरादून के नजदीक घने जंगलों मे पर्यटकों की पसंदीदा जगहों में से एक गुच्चू पानी जिसे ब्रिटिश काल में रॉबर्स केव भी कहा जाता था यानी डाकुओं की गुफा इस गुफा को डाकुओं की गुफा इसलिए भी कहा जाता हैं क्योंकि ब्रिटिश कालीन भारत में डकैती के बाद सुलताना डाकू अपने गिरोह के साथ नजीबाबाद से लेकर देहरादून तक डकैती डाल कर लूटे गये सामान सहित इन्हीं गुफाओं में छुप जाया करता था।

इस गुफा का रास्ता रहस्यमय होने के कारण ब्रिटिश पुलिस यहां तक नही पहुंच पाती थी और सुलताना डाकू पुलिस को गच्चा देने के लिए गुच्वू पानी नामक गुफा मे गुम जाता था रॉबर्स केव गुफा देहरादून से लगभग 18 किमी दूर हरे भरे जंगलों के बीच स्थित है यह गुफा तकरीबन 650 मीटर लंबी है इस गुफा से साल भर पानी की धाराएं निकलती रहती हैं विशेषकर बरसात के समय यहां जाना बेहद खतरनाक है।

ब्रिटिश शासनकाल में अंग्रेजों के छक्‍के छुड़ाने वाले डाकू सुल्ताना का दायरा नजीबाबाद (बिजनौर) से उत्तराखंड तक था कहा जाता है कि रॉबर्स केव में अकसर गर्मियों के गर्म मौसम में डाकू सुल्ताना अपने गिरोह के साथ रॉबर्स केव गुफा में आकर ज्यादातर समय यही ठहर कर व्यतीत करता था इस गुफा को रॉबर्स केव नाम ब्रिटिश शासकों द्वारा दिया गया था ऐसा इसलिए क्‍योंकि इस गुफा में सुलताना डाकू सहित तराई भाभर क्षेत्र के छोटे मोटे डाकू भी छुपते थे

ब्रिटिश काल मे इस गुफा के रास्ते बेहद रहस्यमय हुआ करते थे इसलिए डाकू अंग्रेजों के हाथ नहीं लग पाते थे बरसात में खतरनाक हो जाती है यह गुफा गुफा के अंदर एक नदी भी बहती है जिसमें बरसात के सीजन में पानी काफी बढ़ जाता है वैसे यहां पूरे साल हमेशा घुटनों तक पानी बहता रहता है गर्मियों के मौसम में इस गुफा के ठंडे पानी में चलना अलग ही अनुभव का अहसास कराता है आज यहां कई रेस्‍टोरेंट भी बन गये हैं गर्मी के सीजन में यहां पहुंच कर पर्यटक नदी में नहाने का आनंद भी लेते हैं

रॉबर्स केव के नाम से प्रसिद्ध यह गुफा है आज भी उतनी ही भयानक लगती है जितना सुलताना के बारे में ब्रिटिश लेखक जिम कार्बेट ने लिखा है सुलताना डाकू के बारे में कुछ अनसुने तथ्य क्या हैं क्या नही शायद पूरी जानकारी मिलना सम्भव नही है रॉबर्स केव का नाम सुनकर ही ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कोई खतरनाक या डरावनी या अद्भुत सी जगह होगी जो कि वास्तव में सत्य है और मुझे भी अनेको बार इस गुफा का भ्रमण करने का सौभाग्य मिला।

इस जगह को देखकर मैं वास्तव में दंग रह जाता हूँ और मुझे ऐसा महसूस होता हैं कि मानो मैंने किसी अद्भुत स्थान को देख लिया हो यदि आप भी देव भूमि उत्तराखंड कि यात्रा पर है तो एक बार गुच्वूपानी जाकर देखना चाहिए कि पुराने जमाने में अंग्रेजों के समय में जब चोर या डकैत डकैती डाल कर किस प्रकार से इस रास्ते से निकल जाते थे जो कि वास्तव में बहुत ही भयानक है और यहां पर अंग्रेज भी जाने से डरते थे आज के इस दौर में यहां पर लोग पिकनिक मनाने के लिए आते हैं।

यह गुफा विशेष रूप से लोगों के आकर्षण का केंद्र रहता है क्यों कि इस गुफा का पुराने इतिहास से भी जुड़ाव है जिसे देखने से हमें और भी कई प्रकार की जानकारियां मिलती हैं तो जब भी कभी देहरादून जाने का प्लान बनाएं रॉबर्स केव देखने के लिए जरूर जाएं। गुफा के अंदर जाने की शुरुआत एक बहुत बड़े झरने के साथ होती है बरसात में यहां बारिश अधिक होती हैं ज्यादा बारिश होने की वजह से यहां का आवागमन बंद हो जाता है।

गर्मियों का मौसम विशेष तौर पर यहां आने के लिए अच्छा रहता है रॉबर्स केव में प्रवेश करने से पहले गेट पर कुछ सेफ्टी रूल मानने होते हैं उन्हें फॉलो करना जरूरी है टिकट भी खरीदनी होती है क्योंकि यह एक पानी में जाने का रास्ता है यदि आप भी यहां पर आएं तो विशेष रूप से अपने साथ स्लीपर चप्पल या वाटर प्रूफ शूज कवर लेकर जरूर जाएं वैसे रॉबर्स केव के गेट पर यह सब चीजे रेंट पर भी मिल जाती हैं जिन्हें आसानी से लिया जा सकता है

इसके साथ ही कुछ कपड़े अपने साथ जरूर रखें क्योंकि पानी में जाते समय कपड़े गीले हो जाते हैं क्योंकि रॉबर्स केव का मुख्य रास्ता पानी के अंदर से ही शुरु होकर गुफा के बाहरी छोर तक जाता है और जब तक गुफा के अंदर प्रवेश नहीं किया जाएगा उसकी खूबसूरती का लुफ्त नहीं उठाया जा सकता है यह एक ऐसी गुफा है जो काफी पतली तथा सकरी है अंदर जाने पर यह बहुत ही डरावनी दिखाई पड़ती है जिसके दोनों तरफ ऊंची ऊंची चट्टाने हैं और बीच से पानी की धारा बहती है क्योंकि उसके अंदर बहने वाला पानी एक झरने से आता है जो बहुत ही स्वच्छ और ठंडा होता है।

गुफा के अंदर प्रवेश करने पर शुरुआत में पानी की मात्रा काफी कम होती है लेकिन जैसे-जैसे बीच गुफा में प्रवेश करते हैं रास्ता सकरा होता जाता है और कहीं-कहीं पर रास्ता इतना सकरा है कि पूर्ण रूप से अंधेरा सा दिखाई देता है और पानी की गहराई भी बढ़ जाती है जो कि घुटनों के ऊपर तक आ जाती है विशेष रुप से ध्यान रखे यहां पर सिर्फ गर्मी के मौसम में ही जाया जा सकता है ठंड और बारिश के मौसम में अंदर प्रवेश कर पाना मुश्किल के साथ खतरनाक भी है वर्तमान समय में अब डाकूओ वाला माहौल नहीं है

~तैय्यब अली (स्वतंत्र लेखक)

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