जमीअत उलमा हिन्द के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने हज़रत मौहम्मद साहब (स.अ.) का फोटो छापने पर पुस्तक के प्रकाषक को पत्र लिख नाराज़गी ज़ाहिर कर विरोध जताया है। जमीअत उलमा हिन्द के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने विद्या प्रकाशन मंदिर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्रकाशित एवं लेखक रेनू बिश्रोई द्वारा सम्पादित कक्षा चार की पुस्तक में चित्र छापने पर विरोध जताया है।
मौलाना मदनी की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि प्रकाशन ने सोशल साइंस पुस्तक के अध्याय ‘दे शोव्ड अस दा वे्य‘ के पेज नम्बर 89 पर मुस्लमानों के आखिरी पैगम्बर हजरत मौहम्मद साहब (स.अ.) का चित्र छापने पर पुस्तक के प्रकाषक को पत्र लिख कड़ा विरोध जताया तथा पुस्तक को बाजार से वापस मंगाने तथा भविष्य में इस तरह के आपत्तिजनक प्रकाशन से एहतियात बरतने को कहा है। उन्होंने प्रकाशक को आगाह किया है कि भविष्य में ऐसी किसी भी प्रकाशन करने पर प्रकाशक के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जायेगी
मौलाना मदनी ने कहा कि पैगंबर-ए- इस्लाम का कोई चित्र मौजूद नहीं है और इस्लाम धर्म के अनुसार उनका काल्पनिक चित्र छापना छापना व बनाना मना है इससे मुस्लिम समाज की धार्मिक भावनाओं का अनादर हुआ है तथा उनमें रंज व रोश का माहौल है।
मौलाना मदनी के पत्र के जवाब में विद्या प्रकाशन मंदिर प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक ने सफाई पेश करते हुए मौलाना मदनी को संबोधित पत्र में लिखा है कि ‘‘विगत वर्ष कोराना काल में यह मामला जैसे ही प्रकाश में आया था प्रकाशन ने तत्काल प्रभाव से कदम उठाते हुए इस पुस्तक को बाजार से वापिस मंगा लिया था। हम आपको यकीन दिलाते है कि प्रकाशन अपनी इस बड़ी भूल के लिए अफसोस प्रकट करता है और सुनिश्चित करता है कि भविष्य में ऐसी भूल फिर कभी नहीं होगी।
रिपोर्ट : ब्यूरो चीफ़ बिजनौर एक्सप्रेस