Edited By : बिजनौर एक्सप्रेस | Delhi, Bijnor, UP | Updated : 19 नवंबर , 2021
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राष्ट्र को संबोधित किया और अपने संबोधन के दौरान उन्होंने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की। उन्होंने इस मुद्दे पर आंदोलन कर रहे किसानों से घर वापस लौटने की अपील भी की। अपने संबोधन की शुरूआत से ही पीएम मोदी ने किसानों पर बात की। आंदोलन कर रहे किसानों से प्रधानमंत्री ने अपील की कि आप घर लौट जाएं और खेती में जुट जाएं।
मोदी के ऐलान से कुछ देर पहले किसान नेता नरेश टिकैत ने ट्वीट किया था – कि किसान बारूद के ढेर पर बैठे हैं। आंदोलन से ही जिंदा रहेंगे। यह जिम्मेदारी सबको निभानी होगी। जमीन से मोहभंग करना सरकार की साजिश है। जमीन कम हो रही है। किसान से जमीन बेचने और खरीदने का अधिकार भी यह लोग छीन लेंगे। जाति और मजहब को भूलकर किसानों को एक होना होगा। इस ट्वीट को राकेश टिकत ने रीट्वीट किया था। बात दें कि चौधरी नरेश टिकैत भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
कांग्रेस ने भी तवीट कर सरकार पर तंज कसा – किया टूट गया अभिमान, जीत गया मेरे देश का किसान। अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया आज प्रकाश दिवस के दिन कितनी बड़ी ख़ुशख़बरी मिली। तीनों क़ानून रद्द। 700 से ज़्यादा किसान शहीद हो गए। उनकी शहादत अमर रहेगी। आने वाली पीढ़ियाँ याद रखेंगी कि किस तरह इस देश के किसानों ने अपनी जान की बाज़ी लगाकर किसानी और किसानों को बचाया था। मेरे देश के किसानों को मेरा नमन।
अपने संबोधन में पीएम ने कहा कि मैं क्षमा चाहता हूं कि तीन कृषि कानून को मैं समझा नहीं सका. इसलिए केंद्र सरकार ने तीनों कानून को वापस लेने का फैसला लिया है । इससे पहले प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के कोने-कोने में कोटि-कोटि किसानों ने, अनेक किसान संगठनों ने, इसका स्वागत किया, समर्थन किया। मैं आज उन सभी का बहुत आभारी हूं। बरसों से ये मांग देश के किसान, देश के कृषि विशेषज्ञ, देश के किसान संगठन लगातार कर रहे थे। पहले भी कई सरकारों ने इस पर मंथन किया था। इस बार भी संसद में चर्चा हुई, मंथन हुआ और ये कानून लाए गए।
पीएम मोदी के संबोधन के बाद राकेश टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री ने तीनों कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है, लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कमेटी बनाने और बिजली अमेंडमेंट समेत अन्य मुद्दों पर अभी बात होनी बाकी है। टिकैत ने बताया कि संयुक्त मोर्चा प्रधानमंत्री की घोषणा को लेकर चर्चा कर रहा है, ताकि अगली रणनीति बनाई जा सके। टिकैत ने यह भी कहा कि आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा। हम उन दिन का इंतजार करेंगे, जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा।
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