▪️सिचाई विभाग के अफसर मालन नदी की चौड़ाई और गहराई बढ़ाने के लिए डीपीआर तैयार करने में जुटे हुए हैं।
▪️डीपीआर को मंजूरी मिलते ही पुनरुद्धार का काम शुरू करा दिया जाएगा,
Bijnor: आप को बता दे कि बिजनौर की मालन नदी बरसात के मौसम में अपना विकराल रूप धारण कर लेतीं है, जिसकी वजह से मालन नदी के दोनों ओर बसे 40 से अधिक गांवों में भारी जलभराव हो जाता है अब बिजनौर प्रशासन ने इस समस्या के निदान की कवायद शुरू कर दी है। जानकारी के अनुसार मालन नदी का पुनरुद्धार कराया जाएगा इसके तहत 71.5 किलोमीटर लंबी नदी को चौड़ा और गहरा कराया जाएगा। इसके लिए सिचाई विभाग ने सर्वे का काम भी पूरा कर लिया गया है,
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार इसके लिए सर्वे का काम पूरा कर लिया गया है। सिंचाई विभाग के अधिकारी डीपीआर तैयार कर रहे हैं। डीपीआर के मंजूर होते ही काम शुरू कर दिया जाएगा
दरअसल कोटद्वार से निकली मालन नदी ग्राम मोटाढाक से बिजनौर की सीमा में प्रवेश करती है। रावली तक करीब 71.5 किलोमीटर सफर पूरा करके मालन नदी गंगा में मिलती है। बरसात के मौसम में मालन नदी का पानी नजीबाबाद में कछियाना बस्ती और शाहपुर खैरुल्लापुर समेत कई अन्य गांवों में कटान करने के साथ-साथ आबादी में घुस जाता है
इस बार सरकार ने जिले के 40 गांवों को बचाने के लिए मालन नदी के पुनरुद्धार का निर्णय लिया है। इसके तहत 71.5 किलोमीटर तक नदी को चौड़ा और गहरा कराया जाएगा। इसके लिए सिंचाई विभाग के अधिकारी सर्वे भी कर चुके हैं और डीपीआर तैयार करने में जुटे हुए हैं।
मालन के उफान से प्रभावित गांव
मालन नदी की लंबाई 71.5 किलोमीटर है। इसके दोनों ओर बसे बिजनौर और नजीबाबाद तहसील के 40 गांव बरसात के मौसम में नदी के उफान से प्रभावित रहते हैं। इनमें नजीबाबाद तहसील क्षेत्र के ग्राम राजारामपुर फाजिल, ज्वालीलाला, कुतुबपुर, शाहबपुर उमराव, लाहककला, रामनगगर, बाकरपुर, पुंडरी खुर्द, शाहजहांपुर जसरथ, बरमपुर, सबलपुर बीतरा, अमतीखानपुर, भोगपुर बिजौरी, खैरुल्लापुर बीए, पूरनपुर गढ़ी, अकबरपुर चौगांवां, मौअज्जमपुर तुलसी, खलीलपुर, अलीपुरा, कल्हेड़ी, नंगला हरदास, धनसीनी, शेखपुर आलम, किशोरपुर और हर्षवाड़ा
बिजनौर सदर तहसील क्षेत्र के ग्राम मुज्जफरपुर केसो, शहजादपुर, मोहम्मदपुर लक्खू, रावली, उलखपुर, पपावर खुर्द, मुकीमपुर धर्मसी, गजरौला शिव, अकबरपुर अंगाखेड़ी, मुकीमपुर धारू, बाकरपुर गढ़ी और युसुफपुर हमीद गांव शामिल हैं। इनका कहना है..
पुनरुद्धार के लिए मालन नदी के सर्वे का काम पूरा हो चुका है। सिचाई विभाग के अफसर मालन नदी की चौड़ाई और गहराई बढ़ाने के लिए डीपीआर तैयार करने में जुटे हुए हैं। डीपीआर को मंजूरी मिलते ही पुनरुद्धार का काम शुरू करा दिया जाएगा! -केपी सिंह, सीडीओ
मालिनी_नदी ( मालन नदी) ✨
भारत का नाम जिस #भरत के नाम पर पड़ा,उनके माता पिता #शकुन्तला एवं #दुष्यंत की प्रथम भेंट से संबंधित पवित्र नदी..
मालिनी नदी का उद्गम स्थल उत्तराखण्ड राज्य के पौड़ी जिले में यमकेश्वर विधानसभा में कोटद्वार से मात्र 50 किलोमीटर दूरी पर मलियाना बदुल गांव और वनाली चण्डा मालिनी शिखर इत्यादि पहाड़ियों के मूल भाग से है,जो धीरे धीरे कल कल की निनाद ध्वनि करती हुई कण्वाश्रम कीमसेरा होते हुए बाबा हेमकूट पर्वत के चरण स्पर्श करते हूए समस्त मालिनी वासियों को अपने पुत्रों के समान अपने ममतामयी दुग्ध रूपी जल से लालन पालन करती हुई #कोटद्वार भाबर क्षेत्र होते हुए #बिजनोर_नजीबाबाद होते हुए अंत में माँ गंगा में समाहित हो जाती है..
ऐतिहासिक_वर्णन..📿
एवं गुण स्मयुक्तं ददर्श स वनं नृपः ।
नदिकच्छोद्भवं कान्तमुच्छितध्वजसन्निभम् ।।
नदीं चाश्रमसंशिष्टाम पुण्यतोयां दर्दश सः ।
सर्वप्राण भृतां तत्र जननी मिव धिष्ठिताम ।।
मालिनीतीरे भगवतः काश्यपस्य महात्मनः ।
आश्रमप्रवरं रम्यं महर्षिगणसेवितम ।।
नदीमाश्रमसम्बध्दाम दृष्ट्वाssश्रमपद्म तथा ।
चकराभिप्रवेशाय मतिं स नृपतिस्तदा ।।
महाकचछैबृहद्भिश्च विभ्राजितमतिव च ।
मालिनी मभितो राजन नदीं पुण्यां शुखोदकाम ।।
बिल्वार्कखदिराकीर्णम कपित्थधवसंकुलम ।। महाभारत।आदिपर्व ।
5000 वर्ष से भी पूर्व #महाभारत के आदिपर्व में श्री महर्षि वेदव्यास जी ने माँ मालिनी और मालिनी घाटी व तपोवन का अद्भुत वर्णन किया है..
यथा बड़े बड़े तून के वृक्षों से आश्रम की शोभ बढ़ रही है । बीच में पुण्य सलिला माँ मालिनी नदी बहती थी ,जिसका जल बड़ा ही सुखद एवँ स्वादिष्ट था। उसके दोनों तट पर कण्वाश्रम फैला हुआ था । मालिनी घाटी बेल (विल्व पत्र) आख ,खैर,और धव आदि वृक्षों से भरपूर थी । जो की अभी भी विद्यमान है मालिनी घाटी में । कण्वाश्राम कीमसेरा में मंदिर के पास बेल का पेड़ है जिसकी उम्र लगभग २०० या ३०० साल होगी और वो आज भी जैसा का तैसा ही है.. माँ मालिनी जननीमिव धिष्ठिताम ।
अळंकृतं द्विपवत्या मालिन्या रम्यतीरया ।
नरनारायणस्थानम गंगयेवोपशोभितम ।।
टापुओं से युक्त तथा सुरम्य तटवाली माँ मालिनी नदी से शुशोभित वह कण्वआश्रम तब माँ गंगा नदी से शोभायमान भगवान नर नारायण के आश्रम के ही समान प्रतीत हों रहा था..
वर्तमान समय में कण्वाश्रम कीमसेरा के समक्ष माँ मालिनी,बहुत से जगह टापु युक्त एवं सुरम्य तट लेकर अभी भी विद्यमान हैं..
जीवनदायनी माँ मालिनी का जलस्तर अब लगभग विलुप्ती ओर है जो लगभग 5000 हजार वर्ष से भी अधिक पूर्व की प्राचीन और ऐतिहासिक नदी हैं..
राजा_दुष्यन्त जब #कण्वाश्रम की ओर दृष्टिपात करते हैं..तो उन्हें आश्रम से सटकर बहनेवाली माँ मालिनी नदी वहाँ समस्त प्रणियों की जननी सी विराज रही थी.. माँ मालिनी नदी की अद्भुत महिमा को देखकर ही राज दुष्यंत ने कण्वाश्रम में प्रवेश किया था..
इनके जल का पान करके रजा भरत ने एक #अखण्डभारतवर्ष की स्थापना की..इस पवित्र नदी का संरक्षण संवर्धन पुनःअति आवश्यक है..और हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए यह पवित्र नदी इतिहास के पन्नों तक ही सिमट कर न रह जाय इसपर विचार करना भी हम सब के परम दायित्वों में से एक है..
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