▪️शाहीन बाग में अतिक्रमण रोकने में रहीं सबसे आगे, यौन शोषण के खिलाफ उठाती हैं आवाज!
▪️शाहीन बाग में एनआरसी धरने पर जमकर लगाए थे नारे!
Bijnor: दिल्ली के शाहीन बाग में अवैध अतिक्रमण के नाम पर बुलडोजर चलाने को लेकर सोमवार को पूरे दिन हाईवोल्टेज ड्रामा चलता रहा जहाँ लोगों ने MCD की तरफ से अतिक्रमण हटाने के लिए बुलडोजर के इस्तेमाल का विरोध किया। वही यह मामला इतना ज्यादा बढ़ गया था कि महिलाएं बुलडोजर के ऊपर चढ़ गईं और कहा कि बुलडोजर चलाना है तो हमारी लाश के ऊपर से गुजरना होगा।
इस पूरे घटनाक्रम में बिजनौर के किरतपुर निवासी एडवोकेट मुजक्किर जमा खान की पत्नी वह सोशल एक्टिविस्ट और वकील आरफा खानम का नाम काफी चर्चा में हैं। पैर में फ्रैक्चर होने के बावजूद भी बिजनौर की इस बहु ने सबसे पहले बुलडोजर पर चढ़ाई की थी। जिसके बाद से उनकी फोटो मीडिया से लेकर सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही है
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार पति-पत्नी दोनों वकील, 8 साल से चला रही एनजीओ दिल्ली में पैदा हुई और पली-बड़ी आरफा के पिता पेशे से डॉक्टर थे। जबकि उन्होंने वकालत करने का फैसला लिया। आरफा बताती हैं कि 10वीं कक्षा में थी तभी से प्रयास एनजीओ से जुड़कर झुग्गियों में बच्चों को पढ़ाने जाती थीं। उसी समय से यह ठान लिया था कि बड़े होकर समाज सेवा से जुड़ा काम करना है। दिल्ली से स्कूलिंग करने के बाद ग्रेटर नोएडा के लॉयड लॉ स्कूल से वकालत की पढ़ाई की। अब वह सेशन कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में केस लड़ती हैं
झुग्गियों के बच्चों को पढ़ाने के लिए छेड़ी मुहिम
आरफा बताती हैं कि वह महिलाओं को उनके कानूनी अधिकार बताने के लिए लंबे समय से काम कर रही हैं। 2014 में उन्होंने बढ़ते कदम नामक सामाजिक संस्था शुरू की थी। जिसमें वह दिल्ली की झुग्गियों और क्लस्टर में जाकर बच्चों को फ्री में पढ़ती थीं। उनकी इस संस्था में कई साथी जुड़े। अब वह रोटी बैंक, कपड़ा बैंक चलाने के साथ ही झुग्गियों में लोगों को सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूक करती हैं। महिलाओं के यौन शोषण और घरेलू हिंसा के खिलाफ मुकदमे लड़ती हैं और मुहिम भी चलाती हैं। आरफा के साथ उनके पति भी वकालत करते हैं। दोनों साथ मिलकर केस पर काम करते हैं। उनकी एक छोटी बेटी भी है।
कांग्रेस नेत्री ने टूटे पैर से ही कर डाली बुलडोजर की चढ़ाई
सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ कांग्रेस पार्टी की सदस्य आरफा खानम बताती हैं कि वह अपने परिवार के साथ शाहीन बाग के जी-ब्लॉक में रहती हैं। उनके घर से सामने से ही अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया शुरू होनी थी। आरफा कहती हैं कि मामला सुबह 9:30 बजे से शुरू हुआ। सबसे पहले यह खबरें आईं कि पुलिस बल की कमी के कारण अतिक्रमण नहीं हटाया जाएगा। मगर धीरे-धीरे माहौल बदलता गया। पहले MCD द्वारा अतिक्रमण हाटने के लिए सिर्फ एक टेंपो खड़ा था जिसे सड़क किनारे अवैध बोर्ड हटाने के लिए लाया गया था। करीब 10:30 बजे अचानक से एक बुलडोजर शाहीन बाग पहुंचता है।
आरफा का कहना है कि जब स्थानीय लोग MCD के अधिकारियों से मिलने पहुंचे थे तब बुलडोजर के साथ कोई भी नगर निगम का अधिकारी मौजूद नहीं था। उनका यह भी आरोप है कि स्थानीय लोगों को अतिक्रमण हटाने के लिए कोई नोटिस जारी नहीं किया गया था। यह भी नहीं बताया गया कि आखिर अतिक्रमण हटाने का रोड-मैप क्या है। कहीं ऐसा तो नहीं कि जिसका लिस्ट में नाम नहीं उसका भी घर और दुकान ढहा दी जाए।
स्थानीय लोगों को डर था कि कहीं यहां भी दिल्ली के जहांगीरपुरी की तरह गलत तरीके से अतिक्रमण न हटाया जाए। उस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट के स्टे के बाद अतिक्रमण रोका गया था। मगर जब तक कोर्ट के ऑर्डर आते कई लोगों से उनके परिवार के रोजगार का माध्यम छिन गया था। जहांगीरपुरी जैसी घटना को रोकने के लिए आरफा खुद बुलडोजर पर टूटे पैर और वॉकर लेकर खड़ी हो गईं।
धक्का-मुक्की में टूटा पैर, पर नहीं रुकी
दोपहर करीब 11:30 बजे से 12 बजे तक चले इस विरोध प्रदर्शन में इतने लोग शामिल हो गए थे कि पूरे शाहीन बाग की सड़कें ब्लॉक हो गईं। जबरदस्त धक्का-मुक्की चली और आरफा के सीधे पैर में फ्रैक्चर हो गया। वह अपने इसी टूटे पैर के साथ बुलडोजर पर चढ़ गईं। उनके साथ ही इलाके की बाकी महिलाएं भी बुलडोजर के सामने आ खड़ी हुईं। नारे लगाए गए कि ‘बुलडोजर चलाना है तो हमारे ऊपर से गुजरना होगा’।
विरोध प्रदर्शन के बाद आरफा सहित 7 लोगों को कालकाजी पुलिस थाने ले जाया गया। आईपीसी की धारा 65डी के तहत उन्हें थाने में रखा गया और शाम में 6:30 बजे छोड़ दिया गया। इसके बाद आरफा पैर पर प्लास्टर कराने डॉक्टर के पास पहुंचीं।
यह पहली बार नहीं है जब आरफा ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया है। इससे पहले वह शाहीन बाग के चर्चित एनआरसी धरने में भी हिस्सा ले चुकी हैं। 100 से ज्यादा दिन चले इस लंबे धरने में शाहीन बाग की महिलाओं ने सड़क को ब्लॉक कर दिया था। उस समय भी आरफा खानम ने धरने का समर्थन किया था और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की थी।
©Bijnor express