बिजनौर/अफजलगढ़- कोरोना महामारी के चलते देश में 22 मार्च से हुए लॉकडाउन की वजह से सभी काम-धंधे बंद हो जाने से प्राइवेट शिक्षक और प्राइवेट शैक्षणिक संस्थान के संचालक वर्गों पर रोजी रोटी का संकट मंडराने लगा है। इतना ही नहीं इस महामारी ने देश के प्राइवेट शिक्षक और गरीब जनता को भुखमरी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है कोरोना संक्रमण के इस वैश्विक संकट में जिले के सभी स्कूल, कॉलेज एवं अन्य निजी शिक्षण संस्थान 22 मार्च से ही बंद पड़े हैं। इससे शिक्षकों की भी आमदनी के सारे स्त्रोत बंद हैं। प्राइवेट शैक्षणिक संस्थान के संचालक परेशान हैं, तो वहीं छात्रों की पढ़ाई पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
लॉकडाउन के बाद उपजे आर्थिक संकट के कारण शिक्षक वर्ग काफी परेशान हैं। अब इस संकट की घड़ी में मकान मालिकों के द्वारा कोचिग संस्थानों का किराया देने के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा है। जिले के प्राइवेट स्कूल और कोचिंग संस्थान बंद हैं 22 मार्च से कोचिंग संस्थान बंद फिर करना पड़ रहा मकान व बिजली बिल का भुगतान
शिक्षा विभाग की माने तो जिले मैं प्राइवेट स्कूल और अधिक कोचिंग संस्थान हैं। जिनकी आमदनी का जरिया छात्र हैं। छात्रों से फीस वसूल कर मकान का किराया, शिक्षकों की सैलरी, बिजली बिल का भुगतान और संचालकों के परिवार का भरण पोषण चलता हैं। लेकिन करीब लॉकडाउन लगने के बाद स्कूल से लेकर कोचिंग संस्थान बंद हैं। छात्र स्कूल व कोचिंग नहीं जा रहे हैं। वहीं शहर के कुछ स्कूल अपने छात्रों को ऑनलाइन पढ़ा रहे है।
प्राइवेट स्कूल के सामने बढ़ी हैं परेशान
प्राइवेट कोचिंग संस्थान संचालक ने बताया कि सरकार के निर्देश को मानते हुए हम लोगों ने लॉकडाउन का पूरी तरह पालन किया, लेकिन सरकार को भी हमारे बारे में सोचना चाहिए. हमारे यहां टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ हैं। जिन्हें प्रति माह हजार रुपये तनख्वाह देनी पड़ती हैं, साथ ही मकान का किराया, बिजली का बिल अलग से खर्च होता है।
पढ़ाई शुरू करवाए सरकार
सलाउद्दीन अहमद ने कहां की जब से लॉकडाउन लगा है तब से जीविका का जरिया बंद हो गया हैं। जिससे परिवार चलाना मुश्किल हो गया हैं। सरकार से आग्रह है कि शैक्षणिक संस्थानों में सैनिटाइजर, मास्क और सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए पढ़ाई शुरू करवाए। इसमें छात्रों और शिक्षकों के हीत में होगा