🔹सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पंजाब पुलिस ने मुख्तार अंसारी को यूपी पुलिस के हवाले किया,
Uttar Pradesh: सुप्रीम कोर्ट ने मऊ विधायक मुख्तार अंसारी को पंजाब से यूपी लाने का आदेश दिया है, यूपी सरकार क़ई महीनों से कोशिश कर रही थी कि मुख़्तार अंसारी यूपी की जेल में शिफ़्ट किये जाए, आख़िर मुख्तार अंसारी को यूपी लाने की मंशा क्या है सवाल होने सवाल उठने ज़रूरी है,
मुख़्तार अंसारी की पत्नी अफशां अंसारी ने पंजाब जेल से यूपी जेल लाते समय मुख्तार अंसारी के एनकाउंटर की आशंका जताई थी,उन्हें चिंता थी के उनके पति की हत्या कर मामले को बदला जा सकता है इसलिए उन्होंने अपने पति की सुरक्षा की गुहार राष्ट्रपति से लगाई थीं,
मुख़्तार अंसारी की पत्नी अफशां अंसारी ने राष्ट्रपति को भेजे ख़त में लिखा है कि मुख्तार अंसारी इस समय पंजाब की रोपड़ जेल में बंद हैं और सुप्रीम कोर्ट ने 26 मार्च को अपने आदेश में उन्हें रोपड़ जेल से दो सप्ताह के अंदर बांदा जेल भेजने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि उनके पति एक मामले में चश्मदीद गवाह है जिसमें बीजेपी के विधान परिषद सदस्य माफिया बृजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह अभियुक्त हैं
अफशां के अनुसार, ‘यह दोनों अभियुक्त सरकारी तंत्र की कथित मिलीभगत से अंसारी को जान से मारने की धमकी दे रहे हैं, लिहाजा इस बात का खतरा महसूस हो रहा है कि पंजाब की जेल से बांदा लाए जाते वक्त रास्ते में फर्जी मुठभेड़ की आड़ में अंसारी की हत्या की जा सकती है। अफशां ने पत्र में कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के कुछ अधिकारियों के पूर्व में किए गए क्रियाकलापों से आवेदक का परिवार भयभीत है और अपने पति के जीवन की सुरक्षा के प्रति घोर चिंतित है।
पत्र में कहा, ‘मुझे मिल रही पुख्ता सूचना और धमकी के कारण, ऐसा लगता है कि अगर मेरे पति के जीवन की सुरक्षा के लिए जिम्मेदारी तय किए बगैर उन्हें उत्तर प्रदेश भेजा गया तो निश्चित रूप से कोई झूठी कहानी रच कर मेरे पति की हत्या करा दी जाएगी। इसलिए राष्ट्रपति से गुजारिश है कि वह उत्तर प्रदेश लाए जाते वक्त मेरे पति के ‘लाइफ प्रोटेक्शन’ का आदेश दें।
🔹इस बीच मुख्तार अंसारी यूपी जेल में सकुशल शिफ्ट हो गए है,
आप को बता दें कि मुख़्तार अंसारी के दादा डॉ. मुख़्तार अहमद अंसारी महान स्वतंत्रता सेनानी थे वे 1927–28 में कांग्रेस के अध्यक्ष रहे थे। मुख़्तार के पिता सुभान अल्लाह अंसारी ने देश की आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था। उनके नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान महावीर चक्र विजेता हैं उन्हें ‘नौशेरा का शेर’ कहा जाता है।
कुछ वर्षो पहले मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश को फटकारते हुए कहा था कि आप मुख्तार के परिवार को नहीं जानते कि वह कितना प्रतिष्ठित परिवार है। मुलायम के इस बयान पर भारतीय मीडिया के जाहिल एंकर्स टूट पड़े, और मनमाने तरीक़े से अपनी कुंठा निकालने लगे। वही जाहिल एंकर्स एक बार फिर अपनी कुंठा दिखा रहे हैं। सर से लेकर पांव तक कुंठाग्रस्त हो चुके मीडिया के ये एंकर अदालत के निर्णय से पहले ही मुख़्तार अंसारी को अपराधी घोषित कर चुके हैं,
हालांकि अभी कोर्ट ने मख़्तार अंसारी को मुजरिम करार नहीं दिया है। सत्ताधारी दल एंव उसके एंकर्स पूरी रात मुख़्तार की गाड़ी ‘पलटने’ के इंतज़ार में जागते रहे। यूपी में सत्तासीन दल के कई नेता खुले मंच से चटखारे लेकर अपनी मंशा ज़ाहिर करते रहे कि गाड़ी ‘पलट’ जाती है। ऐसा क्यों है? क्या क़ानून और न्यायपालिका पर भरोसा नहीं है?
मुख़्तार अंसारी 15 वर्ष से भी अधिक समय से जेल में हैं और अदालत के ट्रायल का सामना कर रहे हैं। लेकिन सत्ताधारी दल के नेताओं ने तो सरकार में आते ही अपने ऊपर लगे मुक़दमों का ट्रायल कराना भी जरूरी नहीं समझा, और अपने ऊपर लगे मुकदमे खुद ही ‘जज’ बनकर वापस कर लिए। लेकिन यह ‘प्रावधान’ मुख़्तार अंसारी के लिए नहीं है, एक तो वो ‘मुख़्तार’ हैं, दूसरा वे सिर्फ विधायक हैं।
अगर मुख्यमंत्री होते तब शायद वे भी खुद पर लगे मुकदमे खुद ही जज बनकर वापस कर लेते। मुख़्तार के पास सिर्फ न्यायपालिका है, जिसका वे सामना भी कर रहे हैं। लेकिन उन्हें क्या कहें जिन्हें अदालत पर भरोसा नहीं, और अदालत के निर्णय से पहले ही मुख़्तार की गाड़ी ‘पलटने’ का इंतज़ार कर रहे हैं?
मुख़्तार अंसारी अमर नहीं हैं, मुख़्तार अंसारी फरिश्ता भी नहीं हैं, जो हर गुनाह से पाक हों। और यह भी सच है कि फिलवक़्त मुख़्तार अंसारी मुजरिम भी नहीं बल्कि मुलजिम हैं, हिंदी में कहें तो अभियुक्त हैं अपराधी नहीं हैं। मुख़्तार की ‘गाड़ी पलटने’ का इंतज़ार अदालत को ताक पर रखने जैसा है। गाड़ी पलटना न्यायपालिका और लोकतंत्र के वजूद को सीधी चुनौती है।
साभार:- वरिष्ठ पत्रकार Wasim Akram Tyagi और मुस्लिम सोशल एक्टिविस्ट zakir ali tyagi,
©Bijnor Express