नई दिल्ली: जमीयत उलमा-ए-हिंद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी कि बैठक में CAA के विरुद्ध प्रदर्शन के दौरान अनुचित गिरफ्तारियां, उत्तर प्रदेश की मस्जिदों में 5 लोगों की शर्त लगाने, क़ुर्बानी और ईद उल अज़हा की नमाज़ से संबंधित रुकावट और सीबीएसई की ओर से पाठ्यक्रम में कमी करने आदि पर विस्तार से विचार विमर्श हुआ।
13/07/2020 में UP के दारूल उलूम देवबंद मदरसे में आयोजित हुई इस बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कई जिम्मेदार सदस्यों ने हिस्सा लिया, इस मौके पर जमीयत उलमा ए हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने CAA के खिलाफ़ विरोध करने वाले लोगों को गिरफ्तार कर के प्रताड़ित करने और अनुचित धाराओं में उनकी गिरफ्तारियों पर सख्त रोष व्यक्त किया उन्होंने ने सरकार से कड़े शब्दों में मांग की कि इस तरह की अनुचित गिरफ्तारियों पर रोक लगाई जाए और गिरफ्तार लोगों पर से लगाई गई धाराओं को हटाकर तुरंत उनकी रिहाई का फैसला किया जाए,
मौलाना मदनी ने कहा कि सरकार की तरफ से शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को रोकने की जो कोशिश हुई और फिर प्रदर्शन में भाग लेने वालों के साथ जो नकारात्मक व्यवहार अपनाते हुए उन पर देशद्रोह जैसे सख़्त कानूनों की धाराएं लगाकर, विभिन्न बहानों से (उदाहरणार्थ – दंगों में संलग्न करके) गिरफ्तारियां की जा रही हैं। वह अत्यधिक निंदनीय है।
बैठक में विशेषकर ईद उल अज़हा की नमाज़ और कुर्बानियों को लेकर सामने आने वाली समस्याओं और परेशानियों पर विचार विमर्श हुआ। और इस संबंध में पारित प्रस्ताव में सरकार से मांग की गई कि मुसलमानों की प्रमुख इबादत “क़ुर्बानी” और ईद उल अज़हा की नमाज़ के लिए आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध की जाएं और बाधाओं को दूर किया जाए। जहां तक क़ुर्बानी का संबंध है तो वह हर साहिबे हैसियत (सक्षम) मुसलमान पर लाज़िम (आवश्यक) है और वक्त के अंदर उसका कोई विकल्प नहीं है। इसलिए आवश्यक है कि क़ुर्बानी के जानवर की ख़रीद फरोख्त (खरीदना और बेचना) और स्थानांतरण के कार्यों को सुरक्षित बनाया जाए। और क़ुर्बानी के कार्य में भी कोई रुकावट खड़ी न की जाए।
साथ ह मुसलमानों से यह अपील भी की गई जिन पर क़ुर्बानी वाजिब हो वह क़ुर्बानी अवश्य करें। और स्वच्छता का पूरा ध्यान रखें। सार्वजनिक स्थलों पर मांस, हड्डी, अवशेष इत्यादि डालने से पूरी तरह बचाव करें और जानवरों की खरीद-फरोख्त और स्थानांतरण में कानून का पूरा पूरा पालन करें। सरकार से यह ईदगाहों और आम मस्जिदों में आवश्यक सावधानियों के साथ ईद उल अज़हा की नमाज़ अदा करने की अनुमति देने की मांग की गई। मुसलमानों से अपील है कि नमाज़ की अनुमति मिलने की स्थिति में मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग इत्यादि समस्त शर्तों का पूरा पालन करें।
इसके अतिरिक्त बैठक में उत्तर प्रदेश की मस्जिदों में 5 लोगों की शर्त लगाने का मामला भी उठाया गया और इस पर मुसलमानों की तरफ से चिंता प्रकट की गई। राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की है कि सावधानी और सतर्कता के साथ मस्जिदों में नमाज़ों की सार्वजनिक अनुमति दी जाए। ताकि लोग संतुष्टि के साथ मस्जिदों में जमात के साथ पंच वक्ता नमाज़ पढ़ सकें।
प्रस्ताव में कहा कि कोरोना वायरस (कोविड-19) के फैलाव को रोकने के लिए देश में लागू लॉकडाउन को क्रमशः खोला जाने लगा है और धीरे-धीरे जीवनचर्या नियमित और बहाल हो रही है। बाज़ार और कारखाने सावधानियां बरतते हुए खोल दिए गए हैं। यहां तक कि बहुत से राज्यों में सामाजिक फासलों (सोशल डिस्टेंसिंग) को बनाए रखते हुए संख्या का निर्धारण किए बिना मस्जिदें और इबादत खाने खोल दिए गए हैं। लेकिन कुछ राज्यों विशेष रूप से उत्तर प्रदेश राज्य में सिर्फ 5 लोगों की शर्त लगा कर व्यवहारिक प्रतिबंधों को बनाए रखा गया है। जिसके आधार पर राज्य में मस्जिदें आम नमाज़ियों के लिए अभी तक बंद हैं। जिसके कारण मुसलमानों में अत्यधिक चिंता पाई जाती है।
बैठक के दौरान सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) के माध्यम से पाठ्यक्रम से राष्ट्रीयता, सेकुलरिज्म (धर्म निरपेक्षता), सिटीजनशिप (नागरिकता) फेडरेलिज्म जैसे प्रमुख विषयों को पाठ्यक्रम से बाहर करने पर भी घोर चिंता प्रकट की और इस फैसले पर इस फ़ैसले पर पुनर्विचार की मांग की।
बैठक में जमीयत उलमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना क़ारी सय्यद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी और महासचिव मौलाना महमूद मदनी के अलावा, मुफ़्ती सलमान मंसूरपुरी समेत नामचीन उलेमा ने भाग लिया।
जमीएत उलेमा-ए-हिंद की प्रेस विज्ञप्ति