बिजनौर में गंगा नदी में 30 घड़ियाल छोड़े गए है पिछले साल भी 60 घड़ियाल गंगा में छोड़े गए थे। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सराहना करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के वन विभाग के प्रयास से जीवों का संरक्षण हो रहा है ।
Happy to know that 30 Gharials were released in the Ganga river near Bijnor barrage recently. Great work by @UpforestUp and @WWFINDIA .
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) November 23, 2020
Conservation breeding of #Gharials has helped in bringing a living fossil species back from the verge of extinction. pic.twitter.com/XjBAOYQ31w
गंगा में जलीय जीवों का खजाना बसा हुआ है। गंगा में मछलियों के साथ-साथ घड़ियाल और मगरमच्छ भी हैं। गंगा में डॉल्फिन भी अठखेलियां करती हैं। इस साल हुई डॉल्फिन की गणना में भी जिले में डॉल्फिन दिखी थीं। गंगा की धारा में घड़ियाल भी बड़ी तादाद में हैं।
डब्लूडब्लूएफ व वन विभाग द्वारा साल 2009 में गंगा की धारा में घड़ियाल छोड़े गए थे। पिछले साल भी गंगा की धारा में मुजफ्फरनगर सीमा की ओर 60 घड़ियाल छोड़े गए थे। इनमें 50 मादा और 10 नर घड़ियाल थे। इन घड़ियों की लंबाई तीन से चार फिट तक है।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक राजीव कुमार गर्ग, मुख्य वन संरक्षक एनके जानू शनिवार को दोपहर में गंगा बैराज पहुंचे। यहां पर उन्होंने डीएफओ सूरज कुमार के साथ हैदरपुर वेटलैंड में कराए जा रहे विकास कार्यो का निरीक्षण किया।
शनिवार ( 22 नवंबर, 2020 ) को घड़ियाल प्रजनन केंद्र, कुकरैल-लखनऊ से लाए गए 30 घड़ियाल, जिसमें 3 नर व 27 मादा हैं, को लेकर गंगा नदी में छोड़ा। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के कोआर्डिनेटर संजीव यादव व वन क्षेत्राधिकारी मोहन कुमार बहुखंडी ने बताया कि मगरमच्छ व घड़ियाल की प्रजाति भिन्न होती है। उन्होंने बताया कि मगरमच्छ की बनावट साधारण होती है तथा इसके लंबे नुकीले दांत होते हैं व इनका जबड़ा पूरा खुलता है.
समय-समय पर इन घड़ियाल की लोकेशन देखी जाती है। इनमें से अधिकतर घड़ियाल नदी की धारा के साथ बहकर बिजनौर की ओर आ गए थे। बिजनौर में विदुर कुटी के पास इन घड़ियालों को कई बार देखा गया है।
जल्दी प्रजनन शुरू कर सकते हैं घड़ियाल गंगा में पहले छोड़े गए घड़ियाल अब तीन मीटर तक के हो चुके हैं। आने वाले एक दो साल में ये घड़ियाल प्रजनन शुरू कर सकते हैं। घड़ियाल गंगा की रेत में ही घोंसला बनाकर अंडे देते हैं।
इससे पहले भी बिजनौर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए गंगा नदी में घडिय़ाल व डाल्फिन छोड़े गए है । पानी की बोट के जरिए लोगों को डाल्फिन व घडिय़ालो के नज़ारे दिखाये जा रहे है।
बिजनौर एक्सप्रेस से हमारे संवाद-दाता आक़िफ़ अंसारी की एक्सक्लुसिव रिपोर्ट ।