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बिजनौर में 11 साल के बच्चे ने प्रतिभा दिखाते हुए बनाई बाबा साहब की अम्बेडकर की प्रतिमा

Bijnor: हिम्मत व होंसला हो तो क्या नही किया जा सकता कौन कहता है कि आसमान में छेद नही हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो। प्रसिद्ध गजलकार दुष्यंत कुमार की ये लाइनें निकिल कुमार पर चरितार्थ व सटीक बैठती है।

संसाधनों के अभाव में भी ग्रामीण बच्चों में ऐसी प्रतिभा छिपी हुई है बस जरूरत है तो उन्हें जगाने व उन्हें तराशकर अवसर देने की ऐसे ही एक प्रतिभाशाली होनहार व गरीवी से तंगहाल 11 वर्षीय निकिल कुमार ने बाबा भीमराव अम्बेडर की प्रतिमा अपने हाथों से मात्र 3 दिन में बनाकर व उसे सजाकर कर दिखाया है

बिजनौर के अफजलगढ़ ब्लाक के गाँव शाहपुर जमाल निवासी निकिल 11 वर्ष से उसके पिता का साया करीब 3 वर्ष पहले ही उठ चुका है निकिल के पिता राजवीर सिंह मेहनत मजदूरी करके अपने बीबी व तीन बेटो का पालन पोषण करता था लेकिन बीमारी के चलते 35 वर्ष में हार्ट अटैक के कारण चार वर्ष पूर्व उनकी मृत्यु हो गई

वही करीब 3 वर्ष पूर्व निकिल की माँ बबीता देवी भी अपने तीनो बच्चों को छोड़कर अन्य जगह चली गई निकिल का बड़ा भाई रिंकू बाहर राजस्थान में रहकर मजदूरी करता है जबकि निकिल व मंझला भाई रितिक गाँव मे ही अपने ताई, ताऊ ज्ञानचंद सिंह व धर्मवीर सिंह के संरक्षण में रहकर गाँव के ही सरकारी स्कूल में कक्षा पांच में पढ़ाई करता है पढ़ाई लिखाई में भी वह क्लास में अव्वल आता है

निकिल के मन मे शुरू से ही मूर्तिकार बनने की इच्छा जागृत थी बच्चों के साथ खेल खेल में ही उसके मन मे आये भाव से उसने पहले लकड़ी का पुतला बनाया ओर उसने मिट्टी व लकड़ी का सहारा देकर अपनी प्रतिभा को निखारते हुए प्रतिमा का रूप दे दिया इसी क्रम में उसने मिट्टी व बालू, लकड़ी आदि की सहायता से संविधान निर्माता बाबा भीमराव अम्बेडकर की मूर्ति अकेले ही बनाने का निश्चय किया और उसने 3 दिन में इस कार्य कर दिखाया

और मूर्ति को अच्छे तरीके पेंट कर सजाया ओर उसने मूर्ति रविदास कमेटी को भेंट स्वरूप प्रदान की। कमेटी के सदस्यों द्वारा प्रतिभाशाली निकिल को उसकी छोटी उम्र में किये गए कार्य की जमकर सराहना की ओर उसे इस कार्य के लिए सम्मानित भी किया गया। बकौल निकिल कुमार ने 3 दिन में करीब 3 फिट लंबाई की बाबा साहेब की मूर्ति को तैयार किया गया निकिल का कहना है कि इससे पहले भी वह कई देवी देवताओं व महापुरुषों की मूर्ति बना चुका है उसका दावा है कि यदि उसे संशाधन मिले और उसे मदद मिल जाये तो वह कम उम्र में ही मूर्तिकार बन जायेगा एक बार किसी मूर्ति को देख ले तो वह उस मूर्ति को भी बना सकता है,

अफजलगढ़ से हमारे संवाददाता संगम चौहान की रिपोर्ट।

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