जनपद #बिजनौर की सबसे ऊंची मीनार वाली मस्जिद होने की वजह से #किरतपुर के मोहल्ला अँसारियान में बनी अँसारियो वाली मस्जिद एक मीनारा मस्जिद के नाम से विख्यात है
एतिहासिक पुस्तको का अवलोकन करने पर पता चलता है कि प्राचीन भारत मे रहा था कि मस्जिदो के ऊँचे मीनार अज़ान देने के लिए होते थे क्यू कि अजान कि आवाज दूर दूर तक जा सके
इस विशाल मिनार की मजबूती बेमिसाल है अपनी मजबूती के कारण यह मिनार आज भी अपना आस्तित्व बनाएं हुए है
आज से सरकार द्वारा मस्जिदे हर दिन खुली रहेँगी इतिहास के प्रति रुचि रखने वालों को तो यहां पहुच कर एक बार नमाज जरूर अदा करनी चाहिए
कस्बा किरतपुर कि यह एक मिनारा मस्जिद आजादी के समय का इतिहास समेटे हुए है यह मस्जिद प्राचीन स्थापत्य कला व आधुनिक निर्माण शैली का अछ्वुत संगम है इस बुलँद मिनार कि लम्बाई 132 फीट है इस मस्जिद कि बुनियाद भरने वाले मिस्त्री नन्हे व खुर्शीद बेग ने फरवरी 1972 तक भव्य मिनार का निर्माण पूरा क्या था इस एक मिनारा मस्जिद परिसर में एक साथ सैकड़ों लोग नमाज अदा कर सकते हैं
मस्जिद की कमेटी के अनुसार किरतपुर के मशहूर जमीदार सेठ शिराजुद्दीन ने मिनार कि नीव सन 1947 मे रखी थी जमीदार सेठ शिराजुद्दिन व कमेटी के लोगो के सहयोग से आज इस मस्जिद कि कमैटी के नाम लगभग 120 बीधा जमीन है सेठ शिराजुद्दीन का सपना था कि इस मस्जिद मे एसी तीन बुलन्द मिनारे बनवाई जाएँ मगर वह यह सपना अधूरा छोड कर खुदा को प्यारे हो गये और मस्जिद की देखभाल यहां के रहने वाले लोगों को सौंप गए मोहल्ले के लोगों ने कमेटी बनाकर मस्जिद तीन मिनारो के सपने को नई तरीके से बनवाने का प्लान तैय्यार क्या है
इस मस्जिद की मीनार जनपद में सबसे ऊंची मीनार होने के साथ साथ है यह दूर दूर तक एक मीनार वाली मस्जिद के नाम से प्रसिद्ध हो रही है। इस मस्जिद में एक सफ में 45 नमाजी नमाज अदा करते हैं साथ ही एक साथ 600 लोग नमाज पढ़ सकते हैं
इस तरह कि विरासती ऐतिहासिक धरोहरो को बचाने के लिए कारगर कदम उठाने के साथ साथ मेरे इस छोटे से प्रयास को शेयर करके एतिहासिक जानकारी को दूसरो तक पहुचाने की जरूरत है ताकि आने वाली पीढ़ी इस बारे में जान सकें
अगर इतिहास की दृष्टि से देखें तो इस तरह कि मीनारें अफ़ग़ान शासक शेरशाह सूरी और मुग़ल बादशाहों अकबर जहाँगीर और शाहजहाँ की गवाह रही हैं।
प्रस्तुति———–तैय्यब अली