भानु सिंह पुत्री यशवंत सिंह आईएएस में चयनित होकर पुरे जिले का नाम रोशन किया है भानु सिंह दूसरे प्रयास में यह सफलता हासिल कर 618वीं रैंक प्राप्त की है उनके चयन से उनके परिजन व गांव वाले बेहद खुश हैं। भानु का सपना शुरू से ही आईएएस बनने का था छह साल की उम्र में बिना जाने ही यूपीएससी और आईएएस की फुल फार्म याद करने वाली भानु सिंह को उनके पिता ने आईएस बनने के लिए प्रेरित किया
एलआईसी में एजेंट यशवंत सिंह का परिवार शुरू से ही शिक्षा के प्रति जागरूक है बड़ी बेटी सुप्रिया सिंह एलएलबी ग्रेजुएट हैं और पीसीएस जे की तैयारी कर रही हैं।छोटी बेटी आयुषी अहलावत दून मेडिकल कॉलेज देहरादून से एमबीबीएस कर रही है बेटा राजकुमार एमबीबीएस की तैयारी कर रहा है। भानु सिंह हमेशा ज़िन्दगी में 90 प्रतिशत अंक से ज़्यादा ही लाई है हर रोज कम से कम 10 से 12 घंटे पढ़ती थी। यूपी पीसीएस का प्री एग्जाम भी उन्होंने पास कर लिया था लेकिन बाद में परीक्षा नहीं दी !
भानु सिंह का कहना है मध्यम वर्ग के परिवार से होने के बाद भी माँ बाप ने कभी उन्हें पढ़ाई में तकलीफ नहीं होने दी। मां पढ़ाई के लिए अपने गहने तक बेच दिए। जब वे कक्षा 9 में थीं तो पिता के पास फीस भरने तक के लिए पैसे नहीं थे। पिता ने 22 लोगों से पैसे उधार मांगे लेकिन नहीं मिले। 23वें व्यक्ति से पैसे उधार मिले तब जाकर उनकी स्कूल की फीस भरी गई। माता पिता के त्याग और कोशिशों से उन्हें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली है भानु सिंह ने सेंट मेरी स्कूल बिजनौर से कक्षा छह तक शिक्षा ली उसके बाद सेंट जूड स्कूल देहरादून से दसवीं पास की व सेंट जोसेफ अकादमी देहरादून से इंटर किया। उसके बाद बीएससी के लिए लेडी श्रीराम कॉलेज फॉर वूमन दिल्ली विश्वविद्यालय गई व कैंपस लॉ सेंटर दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की।
भानू के पिता यशवंत सिंह व पूरे गाँव को उन पर बहुत गर्व है। उनका कहना है बेटी भानु सिंह पद की गरिमा बनाये रखेगी व कभी आंच नहीं आने देगी। देश में जहां भी जाएगी देश की सेवा ही करेगी। उनकी कार्यशैली से देश को भी ऐसी बेटी को अफसर बनाने पर मान होगा !