▪️कई सालों से शिव भक्तों के लिए कावड़ बनाकर हिन्दू मुस्लिम भाईचारे की एकता की बना मिसाल।
Bijnor: एक तरफ जहाँ देश में कुछ चुनिंदा लोग नफरत की आग फैलाने से बाज़ नही आते तो वही बिजनौर का आरीज़ पिछले कई सालों से महाशिवरात्रि के पर्व पर शिव भक्तों के लिए अपने हाथों से कावड़ बनाकर हिन्दू मुस्लिम भाईचारे की एकता की मिसाल पेश कर रहा है। देखिए बिजनौर से यह खास रिपोर्ट।
दरअसल एक मार्च को महाशिवरात्रि का त्यौहार है ऐसे में मुस्लिम कारीगर मुहम्मद आरीज़ पिछले कई सालों से कांवड़ बना कर साम्प्रदयिक सौहार्द की मिसाल पेश कर रहा है। ये है बिजनौर का आरीज़ कारीगर जो पुश्तैनी कावण बनाते आ रहे है।
महीन और धारदार औजार के ज़रिए आरीज़ का परिवार हापुड़ से कच्चा माल लाते हैं और लकड़ी के बांस को पहले कारीगर सुखाते है ताकि कावड़ का वजन हल्का रहे ताकि शिव भक्तों को कावण को कांधे से उठाने में परेशानी न हो वैसे एक कावड़ में डेढ़ से दो किलो का ही वजन होता है।
मुस्लिम कारीगर की माने तो इन्हें त्योहार आने का बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है ताकि समाज मे हिन्दू मुस्लिम भाई चारा कायम रहे। कावड़ को बनाने के लिए रोजाना दस से बारह कारीगर कावड़ बनाते है दिन भर में 15-20 कावड़ बन जाती है।
एक कावड़ को बनाने में कारीगर की 150-200 रुपए की लागत आती है जिसे कारीगर 350 से 400 रुपए में आसानी से बेच देते है और एक सीज़न में 500 से ज़्यादा कावड़ बेच देते है। बिजनौर के नजीबाबाद और उत्तराखंड के हरिद्वार में मुस्लिम कारीगरों के हाथों से बनी कावड़ सप्लाई की जाती है।
कावण का मुस्लिम कारीगर मुहम्मद आरिज़। कई सालों से शिव भक्तों के लिए कावड़ बनाकर हिन्दू मुस्लिम भाईचारे की एकता की बना मिसाल।
बिजनौर से हमारे संवाददाता तुषार वर्मा की रिपोर्ट।
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